शनिवार, 13 अगस्त 2022

दरख्त भी अपनी छाँव पे पहरा नहीं लगाते

 

इतना भी क्यों मगरूर है तू ऐ इंसान

के दरख्त भी अपनी छाँव पे पहरा नहीं लगाते

                     कृष्णधर शर्मा 12.08.22

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