मंगलवार, 6 दिसंबर 2022

माँ-बाप के ऋण

कैसी तबियत है आपकी!

खाना खा लिए या अभी नहीं!

और सब तो ठीक-ठाक है न!

फोन पर सिर्फ इतना सुन लेने से

दिन में दो बार

खुश हो जाते हैं माँ-बाप

क्योंकि वह जानते हैं कि

बेटा सिर्फ इतना ही पूछ सकता है

वह चाहकर भी नहीं पूछ पाता है

कि कुछ रूपये-पैसे की जरुरत तो नहीं है न!

चाहता तो जरुर होगा बेटा यह पूछना!

मगर क्या करे, उसकी भी तो गृहस्थी है न

उसके बीवी-बच्चे हैं शहर में

जिनकी जरूरतें भी तो हजार होती हैं

मंहगाई के इस ज़माने में

इसलिए वह नहीं पूछ पाता

अपने माँ-बाप से कभी भी

हाँ, मगर जब भी आता है गाँव

तो अपने बीवी-बच्चों से छुपाकर

पकड़ा देता है हजार-पांच सौ रूपये

मुक्त हो जाता है अपने कर्तव्यों से

और माँ-बाप के ऋणों से भी वह...

            (कृष्णधर शर्मा 6.12.2022)

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