गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा,

हम बुलबुलें हैं इसकी यह गुलसिताँ हमारा.!!


ग़ुर्बत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में,

समझो वहीं हमें भी दिल हो जहाँ हमारा.!!


परबत वह सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का,

वह संतरी हमारा, वह पासबाँ हमारा.!!


गोदी में खेलती हैं इसकी हज़ारों नदियाँ,

गुलशन है जिनके दम से रश्क-ए-जनाँ हमारा.!!


ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वह दिन हैं याद तुझको,

उतरा तिरे किनारे जब कारवाँ हमारा.!!


मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना,

हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोसिताँ हमारा.!!


यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रूमा सब मिट गए जहाँ से,

अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशाँ हमारा.!!


कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,

सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा.!!


‘इक़्बाल’ कोई महरम अपना नहीं जहाँ में,

मालूम क्या किसी को दर्द-ए-निहाँ हमारा.!!


  मोहम्मद इकबाल