"जिंदगी ख़ूबसूरत है, बस जीना आना चाहिए" *कृष्णधर शर्मा*
बचपन कब बीता बुढ़ापे ने कब दस्तक दी!
जवानी दबकर रह गई जिम्मेदारियों के बोझ तले
कृष्णधर शर्मा 28.12.24
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