मंगलवार, 9 अगस्त 2011

जीवन के चौराहे पर

अजीब सी अनुभूति होती है
कभी कभी जिन्दगी में
जब हम खुद को
चौराहे पर खड़ा पाते हैं
इधर जायें या जायें उधर
कुछ समझ नहीं पाते हैं
चुन तो लेते हैं राह कोई
पर सही है या गलत
यह तय नहीं कर पाते हैं
कर तो लेते हैं
जल्दबाजी में कोई फैसला
पर हुआ गलत तो
जीवन भर पछताते हैं.(कृष्ण धर शर्मा,2003)

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