रविवार, 5 नवंबर 2017

चरवाहे का सुख




कौन बनेगा प्रधानमंत्री!
कौन बनेगा मुख्यमंत्री!
या कौन बनेगा राष्ट्रपति!
क्या लेना-देना इन फ़िजूल
बातों से भला एक चरवाहे को
उसके मतलब की बातें तो
होती हैं सिर्फ इतनी सी ही
कि किस तरह से भरा जाए पेट
अपने प्राणों से प्रिय गाय-बैलों का
ताकि जब शाम को लौटना हो
वापस अपने घर के लिए
तो अघाए हुए हों उसके गाय-बैल
उतर सके गायों के थन में दूध
आँखें गड़ाये अपनी माँ का
इन्तजार कर रहे छौनों के लिए

           (कृष्ण धर शर्मा, 10.6.2017)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें