नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

रविवार, 5 नवंबर 2017

चरवाहे का सुख




कौन बनेगा प्रधानमंत्री!
कौन बनेगा मुख्यमंत्री!
या कौन बनेगा राष्ट्रपति!
क्या लेना-देना इन फ़िजूल
बातों से भला एक चरवाहे को
उसके मतलब की बातें तो
होती हैं सिर्फ इतनी सी ही
कि किस तरह से भरा जाए पेट
अपने प्राणों से प्रिय गाय-बैलों का
ताकि जब शाम को लौटना हो
वापस अपने घर के लिए
तो अघाए हुए हों उसके गाय-बैल
उतर सके गायों के थन में दूध
आँखें गड़ाये अपनी माँ का
इन्तजार कर रहे छौनों के लिए

           (कृष्ण धर शर्मा, 10.6.2017)

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