"आघात जितना ही कठोर क्यों न हो, रुकावट न पड़ने से वह लगता नहीं। पर्वत-शिखर से फेंक देने से ही हाथ-पैर नहीं टूटते, टूटते हैं केवल तभी जबकि पैरों के तलवे के स्पर्श से कठोर भूमि उस वेग को रोकने लगती है। ठीक यही दशा हुई थी केष्टो की।"(मझली दीदी -शरतचंद्र)
शनिवार, 27 जनवरी 2018
रविवार, 14 जनवरी 2018
शुभदा
पति का अच्छा-बुरा सब कुछ सह लेने वाली शुभदायें ही तो हाराण मुखर्जी जैसे गैर जिम्मेदार, नाकारा और नशेड़ी पुरुषों के लिए उर्वराशक्ति का काम करती हैं! (शुभदा-शरतचंद्र)
मंगलवार, 9 जनवरी 2018
तीसरा सप्तक
"मेरा विश्वास है कि कविता दर्शन नहीं है, आध्यात्म नहीं है, मतवाद नहीं है। सर्वोपरि वह अभिव्यक्ति है जो पाठक को उद्वेलित करती है। इस उद्वेलन के प्रभाव में आप आनंदित भी हो सकते हैं और क्षुब्ध भी। आप में प्रेम भी जाग सकता है और घृणा भी।" (तीसरा सप्तक-अज्ञेय)
शुक्रवार, 5 जनवरी 2018
प्रतिज्ञा
"दाननाथ सरल स्वभाव के मनुष्य थे। जीवन के सरलतम मार्ग पर चलने में ही वह संतुष्ट थे। किसी सिद्धान्त या आदर्श के लिए कष्ट सहना उन्होंने न सीखा था" (प्रतिज्ञा-मुंशी प्रेमचंद)