शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

सवालों के जवाब


बूढों के पास बचा ही क्या था
कुछ अदद नाती-पोतों के सिवाय
जो खिंचे चले आते थे उनके पास
सुनने कुछ नए-पुराने किस्से-कहानियां
या ढूँढने अपने कुछ अनसुलझे
सवालों के जवाब
वरना कौन आता है भला उनके पास
बड़े बेटे के अलावा
जो हफ्ते में छुट्टी के दिन
2 मिनट का समय निकाल पूछ लेता है
“कुछ परेशानी तो नहीं है न!
तबियत तो ठीक है न!”
अब तो टीवी और मोबाइल ने
छीन लिए हैं उनसे बच्चे भी
क्योंकि बच्चों को वह सब भी
मिल जाता है टीवी और मोबाइल पर
जो बूढ़े भी नहीं बता पाते थे
काफी देर सर खुजलाने के बाद भी.....
          (कृष्ण धर शर्मा, 05.06.2018)

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