गुरुवार, 20 सितंबर 2018

थके पांव- भगवतीचरण वर्मा

 "उस अन्तहीन अवगत पथ के साथ एक अनिवार्य गति भी है जो जिंदगी कहलाती है। इस गति की सीमाएँ हैं जन्म और मृत्यु के रूप में। इस गति का आरम्भ जन्म के साथ होता है, इस गति का अन्त मृत्यु के साथ होता है। जन्म और मृत्यु के बीच इस गति में कहीं किसी प्रकार का व्यक्तिक्रम नहीं। इस गति से किसी को कहीं कोई छुटकारा नहीं।" (थके पांव- भगवतीचरण वर्मा)



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