शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

अग्निपरीक्षा


स्त्री तुमको ही हर युग में
क्यों देनी होती अग्निपरीक्षा
स्त्री तो होती है देवी
सदियों से मिली हमें यह शिक्षा
सीता, द्रोपदी या अहिल्या हो
छला तुम्हें पुरुषों ने सदा
तुमको ही दोषी ठहराया
पुरुष सदा निर्दोष रहा
कथनी-करनी में फर्क मगर
समझ नहीं आता हमको
गलती हो पुरुषों की अगर  
सजा मिली हरदम तुमको

              (कृष्ण धर शर्मा, ७.२०१६)

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