स्त्री
तुमको ही हर युग में
क्यों
देनी होती अग्निपरीक्षास्त्री तो होती है देवी
सदियों से मिली हमें यह शिक्षा
सीता, द्रोपदी या अहिल्या हो
छला तुम्हें पुरुषों ने सदा
तुमको ही दोषी ठहराया
पुरुष सदा निर्दोष रहा
कथनी-करनी में फर्क मगर
समझ नहीं आता हमको
गलती हो पुरुषों की अगर
सजा मिली हरदम तुमको
(कृष्ण धर शर्मा, ७.२०१६)
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