नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

रविवार, 27 दिसंबर 2009

बड़ा आया चिड़िया का मामा!

एक डॉक्टर बच्चे के पैर का टांका काटने आया।

उसने कहा: बेटा वह देखो ऊपर, वहां सोने की चिड़िया है।

बच्चा: पहले तू ठीक से नीचे देख, कहीं पैर न कट जाए। बड़ा आया चिड़िया का मामा!

रविवार, 6 दिसंबर 2009

बर्तन धोने के लिए!

चिंटू: मेरी बीवी बहुत अच्छी है। मुझे इतनी सर्दी में पानी गर्म करके देती है।
पिंटू: नहाने के लिए?
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चिंटू: नहीं-नहीं, बर्तन धोने के लिए!

बचपन से पढ़ाई कर रहा हूं,

चिंटू (मां से): मां, पापा जब कॉलेज में हुआ करते थे, तब से शराब और सिगरेट पीते हैं क्या?
मां: हां बेटा, पर तू कभी ऐसी आदतें मत डालना!

चिंटू: नहीं मां, मैं खुद पर संयम रखना जानता हूं। कभी किसी चीज की आदत नहीं डालता।
मां: अच्छा, वेरी गुड!
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चिंटू: हां, अब देखो न, मैं बचपन से पढ़ाई कर रहा हूं, पर आज तक इसकी आदत नहीं डाली। इसे कहते हैं खुद पर संयम रखना!