नमस्कार,आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757
रविवार, 18 अप्रैल 2010
रविवार, 11 अप्रैल 2010
इतनी क्यों पी रखी है?
नशे में धुत संता को सड़क पर लड़खड़ाते देख पुलिसवाले ने पूछा: इतनी क्यों पी रखी है?
संता: मजबूरी थी साहब।
पुलिसवाला: ऐसी क्या मजबूरी थी?
संता: बोतल का ढक्कन गुम हो गया था!
संता: मजबूरी थी साहब।
पुलिसवाला: ऐसी क्या मजबूरी थी?
संता: बोतल का ढक्कन गुम हो गया था!
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