नमस्कार,आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757
बुधवार, 8 अगस्त 2012
हेमधर शर्मा के कविता संग्रह ‘मां के लिये’ का लोकार्पण समारोह
हर कवि अपने अनुभव जगत के सहारे रचनाओं में अपना समाज बनाता है. युवा कवियों उमेश और हेमधर ने भी कविताओं में अपने अनुभवों को प्रामाणिकता के साथ रखा है. महत्वपूर्ण यह है कि ऐसा करते हुए वे आत्ममुग्धता का शिकार नहीं हुए हैं. यही चीज उनकी कविताओं को सार्वजनीन बनाती है. यह बात प्रतिष्ठित कवि एवं महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के प्रति कुलपति श्री ए. अरविंदाक्षन ने कही. वे हेमधर शर्मा के कविता संग्रह ‘मां के लिये’ और उमेश यादव के कविता संग्रह ‘अम्मी के घर आना परी’ के लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे.
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