नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 21 फ़रवरी 2012

अब नेताओं की बात का क्या भरोसा!!

नेताओं की बस एक पेड़ से टकरा गई। कुछ नेता मौके पर ही मर गए कुछ अंतिम सांसे ले रहे थे।
दुर्घटना को देख किसान आए और खेत में गड्ढा खोदकर नेताओं को दबा दिया।
कुछ देर बाद जांच के लिए पुलिस भी पहुंची
पुलिसः जब आपने नेताओं को दफनाया तो क्या वो कुछ कह रहे थे
किसानः हां सर, कुछ जिंदा थे और कह रहे थे वो मरे नहीं हैं
पुलिसः फिर तुमने उन्हें दफना क्यों दिया
किसानः साहब वो नेता जो थे, अब नेताओं की बात का क्या भरोसा!!

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