रोग मुक्ति के लिये आवश्यक नियम :
(१) खाना खूब चबा-चबाकर खायें |
(२) चूना खाना है (एक गेहूं के दाने के बराबर दिन में एक बार ) दस मिनट धूप में टहलें |
(३) त्रिफला चूर्ण एक चम्मच एक गिलास गर्म पानी में उबालकर दो चम्मच गुड़ या शहद मिलाकर काढ़ा बनाकर पियें |
(४) त्रिफला और गिलोय चूर्ण तीन-तीन ग्राम में मिलाकर चाटना है |
(५) पानी हमेशा बैठकर घूँट-घूँट पियें |
(६) भोजन तीन बार से अधिक न करें, भोजन भूख से थोड़ा कम करें |
(७) दिन में कभी न सोयें |
पानी के सामान्य नियम :
१) सुबह बिना मंजन/कुल्ला किये दो गिलास गुनगुना पानी पिएं ।
२) पानी हमेशा बैठकर घूँट-घूँट कर के पियें ।
३) भोजन करते समय एक घूँट से अधिक पानी कदापि ना पियें, भोजन समाप्त होने के डेढ़ घण्टे बाद पानी अवश्य पियें ।
४) पानी हमेशा गुनगुना या सादा ही पियें (ठंडा पानी का प्रयोग कभी भी ना करें।
भोजन के सामान्य नियम :
१) सूर्योदय के दो घंटे के अंदर सुबह का भोजन और सूर्यास्त के एक घंटे पहले का भोजन अवश्य कर लें ।
२) यदि दोपहर को भूख लगे तो १२ से २ बीच में अल्पाहार कर लें, उदाहरण - मूंग की खिचड़ी, सलाद, फल और छांछ ।
३) सुबह दही व फल दोपहर को छांछ और सूर्यास्त के पश्चात दूध हितकर है ।
४) भोजन अच्छी तरह चबाकर खाएं और दिन में ३ बार से अधिक ना खाएं ।
अन्य आवश्यक नियम :
१) मिट्टी के बर्तन/हांडी मे बनाया भोजन स्वस्थ्य के लिये सर्वश्रेष्ठ है ।
२) किसी भी प्रकार का रिफाइंड तेल और सोयाबीन, कपास, सूर्यमुखी, पाम, राईस ब्रॉन और वनस्पति घी का प्रयोग विषतुल्य है । उसके स्थान पर मूंगफली, तिल, सरसो व नारियल के घानी वाले तेल का ही प्रयोग करें ।
३) चीनी/शक्कर का प्रयोग ना करें, उसके स्थान पर गुड़ या धागे वाली मिश्री (खड़ी शक्कर) का प्रयोग करें ।
४) आयोडीन युक्त नमक से नपुंसकता होती है इसलिए उसके स्थान पर सेंधा नमक या ढेले वाले नमक प्रयोग करें ।
५) मैदे का प्रयोग शरीर के लिये हानिकारक है इसलिए इसका प्रयोग ना करें । साभार-http://rajivdixit.net
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