नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शुक्रवार, 30 नवंबर 2018

राक्षस


अब जिसे राक्षस ही साबित करना हो
वह भला आपके कहने भर से
कैसे हो जायेगा राक्षस
उसके बारे में प्रचारित करना होगा
दुनियाभर का सच-झूठ
जैसे कि वह होता है घोर अत्याचारी
एक विशालकाय शरीर वाला
होते हैं उसके कई सर, कई हाथ
हो सकते हैं उसके सर पर सींग भी
बड़े-बड़े दांत होना तो अनिवार्य ही है
आसमान गूंजता है जब वह बोलता है
धरती कांपती है जब वह चलता है
निगल जाता है वह साबुत ही इंसान को
उसका तो काम ही है अच्छे लोगों को
परेशान करना, मार देना आदि-आदि
उसे राक्षस साबित करना खासतौर पर
और भी जरूरी हो जाता है
जबकि देव बनने की आपकी अभिलाषा
अपने प्रबलतम और निकृष्टतम रूप में हो 
क्योंकि यह तो आपको भी पता ही है
कि देव बनने के लिए किसी दानव का
किसी राक्षस का होना भी बहुत जरूरी है
              (कृष्ण धर शर्मा, 27.02.2018)

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