करते हैं वादे बड़े बड़े
चुनाव से पहले
और भूल जाते हैं
चुनाव के बाद
फिर कुछ भी नहीं रहता
उनको याद
उनकी सरकार
आती है और बिना
कुछ किये ही चली जाती
न जानें क्यों लेकिन
शर्म उनको मगर नहीं आती.(कृष्ण धर शर्मा,2004)
चुनाव से पहले
और भूल जाते हैं
चुनाव के बाद
फिर कुछ भी नहीं रहता
उनको याद
उनकी सरकार
आती है और बिना
कुछ किये ही चली जाती
न जानें क्यों लेकिन
शर्म उनको मगर नहीं आती.(कृष्ण धर शर्मा,2004)
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