नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

रविवार, 27 नवंबर 2011

मुहावरे (च)

चंडाल चौकड़ी : दुष्टों का समुदाय, समूह. 

चंद्रमा बलवान होना : भाग्य अनुकूल होना. आजकर तुम्हारा चंद्रमा बलवान है, जो कुछ करोगे उसमें लाभ होगा.

चंपत हो जाना : चला जाना, भाग जाना. सुल्तान के बहुत-से सिपाही तो लड़ाई में मारे गए. जो बचे वे प्राण बचाकर इधर-उधर चंपत हो गए.

चकमा देना : धोखा देना. इस बदमाश ने मुझे बड़ा चकमा दिया.

चक्कर में फँसना : झंझट, कठिनाई, बखेड़े में फँसना.

चखचख मचना : लड़ाई-झगड़ा होना.

चट कर जाना : सबका सब का जाना. दूसरे की वस्तु हड़प कर जाना.

चड्ढ़ी गाँठना : सवारी करना.

चढ़ दौड़ना : आक्रमण करना.

चना-चबैना : रूखा-सूखा भोजन.

चपेट में आना : चंगुल में फँसना.

चप्पा-चप्पा छान डालना : हर जगह देख आना.

चरणों की धूल : किसी की तुलना में अत्यन्त नगण्य व्यक्ति.

चरणामृत लेना : देवमूर्ति, महात्मा आदि के चरण धोकर पीना.

चरबी चढ़ना : बहुत मोटा होना. मदांध होना.

चलता करना : हटा देना, भगा देना, निपटाना. किसी प्रकार इस मामले को चलता करो.

चलता-पुरजा : चालाक, व्यवहार-कुशल. मोहन बड़ा चलता-पुरजा आदमी है, वह तुम्हारा काम करा देगा.

चलता-फिरता नजर आना : चले जाना, खिसक जाना. यहाँ बैठिए मत, चलते-फिरते नजर आइए.

चस्का लगना : शौक होना, आदत पड़ना. कुछ दिनों से कमलाचरण को जुए का चस्का पड़ चला था.

चहल-पहल रहना : रौनक होना, बहुत-से लोगों का आना-जाना, एकत्र होना. जहाँ रात-दिन निर्जनता और नीरवता का आधिपत्य रहता था वहाँ अब हरदम चहल-पहल रहती है.

चाँद का टुकड़ा : अत्यंत सुंदर व्यक्ति/पदार्थ.

चाँद पर थूकना : किसी ऐसे महान व्यक्ति पर कलंक लगाना जिसके कारण स्वयं अपमानित होना पड़े.

चाँदी कटना : खूब लाभ होना. आजकल राशनवालों की चाँद कट रही है.

चाँदी के टुकड़े : रुपए उसने चाँदी के टुकड़ों के लिए अपना ईमान बेच दिया है.

चाक चौबंद : चौकन्ना और स्वस्थ, हर दृष्टि से होशयार-चतुर.

चादर देखकर पाँव फैलाना : आय के अनुसार व्यय करना, शक्ति के अनुसार काम करना.

चाम के दाम चलाना : अन्याय करना, अपनी जबरदस्ती के भरोसे कोई काम करना.

चार आँखें होना : देखा-देखी होना, किसी से नजरें मिलाना.

चार चाँद लगना : शोभा, सौंदर्य की अत्यधिक वृद्धि करना.

चार पैसे : थोड़ा-सा धन. उनका बस चलता तो दाननाथ चार पैसे के आदमी हो गए होते.

चार सौ बीस : बहुत बड़ा धूर्त, कपटी, छलिया.

चिकना घड़ा : निर्लज्ज, बेहया व्यक्ति. नारद का कर्म-सचेत मन इन धमकियों के लिए अब चिकने घड़े के समान हो चुका था.

चिकना देखकर फिसल पड़ना : सुन्दर रूप-रंग देखकर मुग्ध हो जाना.

चिकनी चुपड़ी बातें : मीठी बातें जो किसी को प्रसन्न करने, बहकाने या धोखा देने के लिए कही जाएँ.

चिड़िया का दूध : अप्राप्य वस्तु, ऐसी वस्तु जिसका अस्तित्व न हो.

चिड़िया फँसाना : किसी मालदार आदमी को अपने दाँव पर चढ़ाना. किसी स्त्री को अपने वश में करना.

चित्त चुराना : मन मोह लेना. शकुन्तला ने दुष्यन्त का चित्त चुरा लिया था.

चित्र-लिखा-सा जान पड़ना : बिलकुल मंत्रमुग्ध, स्थिर, चुपचाप या जड़वत् रहना. तुम्हारे राग से लोग ऐसे बेसुए हो गए हैं कि सारी रंगशाला चित्र-लिखी-सी जान पड़ती है.

चिराग तले अँधेरा होना : जहाँ विशेष विचार, न्याय, योग्यता आदि की आशा हो वहाँ पर कुविचार, अन्याय, अयोग्यता आदिहोना.

चिराग लेकर ढूँढना : बड़ी छानबीन, परिश्रम के साथ तलाश करना.

चीं-चपड़ करना : उज्र-इन्कार करना. किसी ने जरा भी चीं-चपड़ की तो हड्डी तोड़ दूँगा.

चीं बोलना : बहुत थक जाना, हार मान लेना. मिर्जा जी बड़ी जवांमर्दी दिखाने चले थे. पचास कदम में ही चीं बोल गए.

चींटी की चाल : बहुत मन्द गति. चींटी की पर निकलना : मृत्यु के निकट आना.

चील-झपट्टा होना : छीना-झपटी होना या झपटकर ले जाना.

चुटिया हाथ में होना : किसी के अधीन या पूर्णतः नियंत्रण में होना.

चुपड़ी और दो-दो : दोनों ओर से लाभ, दोहरा लाभ, बढ़िया भी और मात्रा में भी अधिक.

चूँ-चूँ का मुरब्बा : तरह-तरह की बेमेल चीजों का योग.

चूना लगाना : ठग लेना, नीचा दिखाना, बेवकूफ बनाना, हानि पहुँचाना. इन्होंने पहले यह बताया ही नहीं था कि चचिया ससुर को चूना लगाने के लिए बनारस चलना है.

चूर रहना : निमग्न, डूबा हुआ, मस्त रहना. माधवी कल्पित प्रेम के उल्लास में चूर रहती थी.

चूलें ढीली होना : अधिक परिश्रम के कारण बहुत थकावट होना.

चूल्हे में जाय : नष्ट हो जाए. चूल्हे में जाय तू और तेरे वकील.

चेहरा उतरना : चिन्ता, लज्जा, शोक, दुख, भय, रोग आदि के कारण मुख का कान्तिहीन हो जाना. कोयरी टोले में किसी ने गाड़ी नहीं दी मैया. यह सुनते ही बिरजू की माँ का चेहरा उतर गया.

चेहरा खिल उठना : प्रसन्न होना, चेहरे से हर्ष प्रकट होना. अहाते के फाटक में फिटन के प्रवेश करते ही शेख जी का चेहरा खिल उठा.

चेहरा तमतमाना : तेज गर्मी, अत्यधिक क्रोध या तीव्र ज्वर के कारण चेहरे का लाल हो जाना.

चेहरा फ़क पड़ जाना : किसी अप्रत्याशित बात के सुनते ही चेहरा कान्तिहीन हो जाना.

चैन की नींद सोना : निश्च्िान्त रहना, सुखपूर्वक जीवन व्यतीत करना. लाला धनीराम और उनके सहयोगियों को मैं चैन की नींद न सोने दूंगा.

चोटी का : सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ. यह पहला अवसर था कि उन्हें चोटी के आदमियों से इतना सम्मान मिले.

चोटी हाथ में होना : किसी के वश में होना, लाचार होना. उनकी चोटी मेरे हाथ में है. अगर रुपये न दिए तो ऐसी खबर लूंगा कि याद करेंगे.

चोला छोड़ना : मरना, शरीर त्यागना. जिस दिन उमंग आई मैं हिमालय की ओर जाकर चोला छोड़ दूंगा.

चोली-दामन का साथ : घनिष्ठ सम्बन्ध, साथ-साथ चलने वाली वस्तुएँ. पन्ना रूपवती स्त्री थी और रूप तथा गर्व में चोली-दामन का नाता है.

चौकड़ी भूल जाना : घबड़ा जाना, सिटपिटा जाना.

चौक पूरना : पूजा आदि पवित्र कार्य के लिए आटे और अबीर-हल्दी से चौखटा बनाकर उसके भीतर तरह-तरह की आकृतियाँ बनाना.

चौका-बरतन करना : बरतन माँजने और रसोईघर लीपने-पोतने या धोने का काम करना.

चौखट पर माथा टेकना : अनुनय-विनय करना, विनीत प्रार्थना करना.

चौथ का चाँद : भादों शुक्ल चौथ का चाँद जिसके बारे में यह कहा जाता है कि यदि कोई उसे देख ले तो कलंक लगता है.

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