स्वतन्त्र भारत का पहला घोटाला
सन्
1947 में देश को स्वतन्त्रता मिली और उसके साथ ही देश भारत और पाकिस्तान में बँट गया। उसके मात्र
एक साल बाद यानी कि सन्
1948 में पाकिस्तानी सेना ने भारत की सीमा में घुसपैठ करना आरम्भ कर दिया उस घुसपैठ को रोकने के लिए भारतीय सैनिक जी-जान से
जुट गए. भारतीय सेना के लिए जीपें खरीदने का भार व्ही.के. कृष्णा मेनन
को, जो कि उस समय लंदन
में भारत के हाई कमिश्नर पद पर थे, सौंपा
गया। जीप खरीदी
के लिए श्री
मेनन ने ब्रिटेन की कतिपय विवादास्पद कंपनियों से समझौते किये और वांछित औपचारिकताएँ पूरी किए बगैर ही उन्हें एक लाख 72 हजार
पाउंड की भारी
धनराशि अग्रिम भुगतान के रूप में दे दिया। उन कंपनियों को 2,000 जीपों
के लिए क्रय
आदेश दिया गया था किन्तु ब्रिटेन से भारत में
155 जीपों, जो कि चलने की स्थिति में भी नहीं
थीं, की मात्र
एक ही खेप पहुँची। तत्कालीन विपक्ष ने व्ही.के.कष्णा मेनन पर सन 1949 में जीप घोटाले का गंभीर
आरोप लगाया। उन दिनों कांग्रेस की तूती बोलती थी और वह पूर्ण
बहुमत में थी, विपक्ष में नाममात्र की ही संख्या के सदस्य थे। विपक्ष के द्वारा प्रकरण के न्यायिक जाँच के अनुरोध को रद्द करके
अनन्तसायनम अयंगर के नेतृत्व में एक जाँच कमेटी बिठा
दी गई। बाद में 30 सितम्बर 1955 सरकार ने जाँच प्रकरण को समाप्त कर दिया।
यूनियन मिनिस्टर जी.बी. पन्त ने घोषित किया, “सरकार
इस मामले को समाप्त करने का निश्चय कर चुकी
है". यह तो इक क्षणिक धटना है यू ही भुला दी जाएगी। नमस्कार,आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757
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