नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

रविवार, 22 दिसंबर 2013

मौन का महत्त्व


मौन शब्द मुनि से उत्पन्न हुआ।अर्थात वह तप जो मुनि करते है।

अधिक वाचालता से कुटिलता उत्पन्न होती है।
घर परिवार में कई बार मौन रहने से सम्बन्ध बिगड़ने और टूटने से बच जाते है।
भोजन के समय मौन रहने से खाना अच्छे से पचेगा , भोजन का पूर्ण आनंद मिलेगा और वात का प्रकोप नहीं होगा।
सुबह के समय मौन रह कर ध्यान करने से परमात्मा के दिव्य विचार हमारे मस्तिष्क में आते है।
मौन यानी आत्मा से वार्तालाप , वह आत्मा जो चिरंतन है और सम्पूर्ण ज्ञानी है और शांत स्वरूप, प्रेम स्वरूप है।
एक घंटे के मौन से ही शक्ति में वृद्धि होती है।
मौन एक महान तप है।

क्रोध में आने पर मौन उत्तम उपाय है।
कुछ भी अधर्म होते देख मौन रहना पाप है।

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