राजेश खन्ना (जन्म: 29 दिसम्बर 1942 - मृत्यु: 18 जुलाई 2012) एक भारतीय बॉलीवुड अभिनेता, निर्देशक व निर्माता थे । उन्होंने कई हिन्दी फिल्में बनायीं और राजनीति में भी प्रवेश किया। वे नई दिल्ली लोक सभा सीट से पाँच वर्ष 1991-96 तक कांग्रेस पार्टी के सांसद रहे। बाद में उन्होंने राजनीति से सन्यास ले लिया।
उन्होंने कुल 180 फिल्मों किया - 163 फीचर फिल्मों में काम किया, 128 फिल्मों में मुख्य भूमिका निभायी, 22 में दोहरी भूमिका के अतिरिक्त 17 छोटी फिल्मों में भी काम किया। व तीन साल 1969-71 का अंदर १५ solo हिट फिल्म में अभिनय करके बॉलीवुड का सुपरस्टार कहा जाते थे । उन्हें फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिये तीन वार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला और १४ मनोनीत किया गया। बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा हिन्दी फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी अधिकतम चार बार उनके ही नाम रहा और २५ मनोनीत किया गया । 2005 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड दिया गया। राजेश खन्ना हिन्दी सिनेमा के पहले सुपर स्टार थे। 1966 में उन्होंने आखिरी खत नामक फिल्म से अपने अभिनय की शुरुआत की। राज़, बहारों के सपने, आखिरी खत - उनकी लगातार तीन कामयाब फिल्म किया । तब फिर बहारों के सपने पूर्णतः असफल हुआ । उन्होंने 1966-1991 में 74 स्वर्ण जयंती फिल्म किया(golden jubilee hits)।उन्होंने 1966-1991 में 22 रजत जयंती फिल्में किया।उन्होंने 1966-1996 में 9 सामान्य हित्त फिल्म किया ।उन्होंने 1966-2013 में 163 फिल्म किया और 105 हिट रहे।
स्कूली शिक्षा के साथ साथ जतिन की रुचि नाटकों में अभिनय करने की भी थी अत: वे स्वाभाविक रूप से थियेटर की ओर उन्मुख हो गये। स्कूल में रहते हुए उन्होंने कुछ नाटक भी खेले। केवल इतना ही नहीं, कॉलेज के दिनों उन्होंने नाटक प्रतियोगिता में कई पुरस्कार भी जीते। थियेटर व फिल्मों के लिये काम खोजने वे उस समय भी अपनी स्पोर्टस कार में जाया करते थे। यह उन्नीस सौ साठ के आस पास का वाकया है। दोनों दोस्तों ने बाद में तत्कालीन बम्बई के के०सी० कॉलेज में भी एक साथ तालीम हासिल की। . जतिन को राजेश खन्ना नाम उनके चाचा ने दिया था यही नाम बाद में उन्होंने फिल्मों में भी अपना लिया। यह भी एक हकीकत है कि जितेन्द्र को उनकी पहली फिल्म में ऑडीशन देने के लिये कैमरे के सामने बोलना राजेश ने ही सिखाया था। जितेन्द्र और उनकी पत्नी राजेश खन्ना को "काका" कहकर बुलाते थे।
राजेश खन्ना ने 1966 में पहली बार 23 साल की उम्र में "आखिरी खत" नामक फिल्म में काम किया था। इसके बाद राज़, बहारों के सपने, आखिरी खत - उनकी लगातार तीन कामयाब फिल्म किया । तब फिर बहारों के सपने पूर्णतः असफल हुआ लेकिन उन्हें असली कामयाबी 1969 में "आराधना" से मिली जो उनकी पहली प्लेटिनम जयंती सुपरहिट फिल्म थी। आराधना के बाद हिन्दी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का खिताब अपने नाम किया। उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार 15 solo सुपरहिट फिल्में दिया - आराधना, इत्त्फ़ाक़, दो रास्ते,बंधन,डोली, सफ़र, खामोशी ,कटी पतंग,आन मिलो सजना, ट्रैन ,आनन्द,सच्चा झूठा,दुश्मन, महबूब की मेंहदी,हाथी मेरे साथी।बहुकलाकार फिल्में 1969-72 का अंदाज़, मर्यादा सुपरहिट रहा। मालिक पूर्णतः असफल रहा।
अन्तत: 18 जुलाई 2012 को यह खबर प्रसारित हुई कि सुपरस्टार राजेश खन्ना नहीं रहे।
राजनीतिक हलकों से भी उन्हें अपार श्रद्धांजलियाँ दी गयीं जिनमें प्रधान मन्त्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गान्धी, पश्चिम बंगाल की मुख्य मन्त्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्य मन्त्री नीतीश कुमार, गुजरात के मुख्य मन्त्री नरेन्द्र मोदी आदि के नाम प्रमुख हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री रजा परवेज़ अशरफ़ सहित अन्य हस्तियों जैसे अली जफर व सैयद नूर ने भी उन्हें अपनी शाब्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की।
राजेश खन्ना के जीवन से जुडी हुई कुछ यादगार बातें:-
*राजेश खन्ना का वास्तविक नाम जतिन खन्ना है। अपने अंकल के कहने पर उन्होंने नाम बदल लिया।1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए।
*फिल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से काका कहा जाता था। जब वे सुपरस्टार थे तब एक कहावत बड़ी मशहूर थी- ऊपर आका और नीचे काका।
*राजेश ने फिल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाए। स्ट्रगलर होने के बावजूद वे इतनी महंगी कार में निर्माताओं के यहां जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं थी।
*लड़कियों के बीच राजेश खन्ना बेहद लोकप्रिय थे। लड़कियों ने उन्हें खून से खत लिखे। उनकी फोटो से शादी तक कर ली। कुछ ने अपने हाथ या जांघ पर राजेश का नाम गुदवा लिया। कई लड़कियां उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोती थी।
*स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती थी तो लड़कियां उस कार को ही चूम लेती थी। लिपिस्टिक के निशान से सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाया करती थी।
*निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना के घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे। वे मुंहमांगे दाम चुकाकर उन्हें साइन करना चाहते थे। पाइल्स के ऑपरेशन के लिए एक बार राजेश खन्ना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल में उनके इर्द गिर्द के कमरे निर्माताओं ने बुक करा लिए ताकि मौका मिलते ही वे राजेश को अपनी फिल्मों की कहानी सुना सके।
*राजेश खन्ना को रोमांटिक हीरो के रूप में बेहद पसंद किया गया। उनकी आंख झपकाने और गर्दन टेढ़ी करने की अदा के लोग दीवाने हो गए। राजेश खन्ना द्वारा पहने गए गुरु कुर्त्ते खूब प्रसिद्ध हुए और कई लोगों ने उनके जैसे कुर्त्ते पहने।
*'आराधना', 'सच्चा झूठा', 'कटी पतंग', 'हाथी मेरे साथी', 'महबूब की मेहंदी', 'आनंद', 'आन मिलो सजना', 'आपकी कसम' जैसी फिल्मों ने कमाई के नए रिकॉर्ड बनाए। आराधना फिल्म का गाना ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू...’ उनके कैरियर का सबसे बड़ा हिट गीत रहा।
*'आनंद' राजेश खन्ना के कैरियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जा सकती है, इसमें उन्होंने कैंसर से ग्रस्त जिंदादिल युवक की भूमिका निभाई।
*राजेश खन्ना की सफलता के पीछे संगीतकार आरडी बर्मन और गायक किशोर कुमार का अहम योगदान रहा। इस तिकड़ी के अधिकांश गीत हिट साबित हुए और आज भी सुने जाते हैं। किशोर ने 91 फिल्मों में राजेश को आवाज दी तो आरडी ने उनकी 40 फिल्मों में संगीत दिया।
*अपनी फिल्मों के संगीत को लेकर राजेश हमेशा सजग रहते थे। वे गाने की रिकॉर्डिंग के वक्त स्टुडियो में रहना पसंद करते थे और अपने सुझावों से संगीत निर्देशकों को अवगत कराते थे।
*मुमताज और शर्मिला टैगोर के साथ राजेश खन्ना की जोड़ी को काफी पसंद किया गया। मुमताज के साथ उन्होंने 8 सुपरहिट फिल्में दी। मुमताज ने शादी कर फिल्म को अलविदा कहने का मन बना लिया। उनके इस निर्णय से राजेश को बहुत दु:ख हुआ।
*शर्मिला और मुमताज, जो कि राजेश की लोकप्रियता की गवाह रही हैं, का कहना है कि लड़कियों के बीच राजेश जैसी लोकप्रियता बाद में उन्होंने कभी नहीं देखी।
*आशा पारेख और वहीदा रहमान जैसी सीनियर एक्ट्रेस के साथ भी उन्होंने काम किया। 'खामोशी' में राजेश को वहीदा के कहने पर ही रखा गया।
* 'जंजीर' और 'शोले' जैसी एक्शन फिल्मों की सफलता और अमिताभ बच्चन के उदय ने राजेश खन्ना की लहर को थाम लिया। लोग एक्शन फिल्में पसंद करने लगे और 1975 के बाद राजेश की कई रोमांटिक फिल्में असफल रही।
*कुछ लोग राजेश खन्ना के अहंकार और चमचों से घिरे रहने की वजह को उनकी असफलता का कारण मानते थे। बाद में भी राजेश खन्ना ने कई फिल्में की, लेकिन सफलता की वैसी कहानी वे दोहरा नहीं सके।
*राजेश ने उस समय कई महत्वपूर्ण फिल्में ठुकरा दी, जो बाद में अमिताभ को मिली। यही फिल्में अमिताभ के सुपरस्टार बनने की सीढ़ियां साबित हुईं। यही राजेश के पतन का कारण बना।
*राजेश के स्वभाव की वजह से मनमोहन देसाई, शक्ति सामंत, ऋषिकेश मुखर्जी और यश चोपड़ा ने उन्हें छोड़ अमिताभ को लेकर फिल्म बनाना शुरू कर दी।
*रोमांटिक हीरो राजेश दिल के मामले में भी रोमांटिक निकले। अंजू महेन्द्रू से उनका जमकर अफेयर चला, लेकिन फिर ब्रेकअप हो गया। ब्रेकअप की वजह दोनों ने कभी नहीं बताई। बाद में अंजू ने क्रिकेट खिलाड़ी गैरी सोबर्स से सगाई कर सभी को चौंका दिया।
*राजेश खन्ना ने अचानक डिम्पल कपाड़िया से शादी कर करोड़ों लड़कियों के दिल तोड़ दिए। डिम्पल ने 'बॉबी' फिल्म से सनसनी फैला दी थी।
*समुंदर किनारे चांदनी रात में डिम्पल और राजेश साथ घूम रहे थे। अचानक उस दौर के सुपरस्टार राजेश ने कमसिन डिम्पल के आगे शादी का प्रस्ताव रख दिया जिसे डिम्पल ठुकरा नहीं पाईं। शादी के वक्त डिम्पल की उम्र राजेश से लगभग आधी थी।
* राजेश-डिम्पल की शादी की एक छोटी-सी फिल्म उस समय देश भर के थिएटर्स में फिल्म शुरू होने के पहले दिखाई गई थी।
*अलग होने के बावजूद मुसीबत में हमेशा डिम्पल ने राजेश का साथ दिया। हाल ही में वे बीमार हुए तो डिम्पल ने उनकी सेवा की। उनका चुनाव प्रचार भी किया।
*अपनी साली सिम्पल कपाड़िया के साथ राजेश बतौर हीरो फिल्म ‘अनुरोध’ में नजर आए।
*राजीव गांधी के कहने पर राजेश राजनीति में आए। कांग्रेस (ई) की तरफ से कुछ चुनाव भी उन्होंने लड़े। जीते भी और हारे भी। लालकृष्ण आडवाणी को उन्होंने चुनाव में कड़ी टक्कर दी और शत्रुघ्न सिन्हा को हराया भी। बाद में उनका राजनीति से मोहभंग हो गया।
*राजेश खन्ना की लाइफ में टीना मुनीम भी आईं। एक जमाने में राजेश ने कहा भी था कि वे और टीना एक ही टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं।
*राजेश खन्ना और उनकी बेटी ट्विंकल का एक ही दिन जन्मदिन आता है, 29 दिसंबर को।
* बहुत पहले ‘जय शिव शंकर’ फिल्म में काम मांगने के लिए राजेश खन्ना के ऑफिस में अक्षय कुमार गए थे। घंटों उन्हें बिठाए रखा और बाद में काका उनसे नहीं मिले। उस दिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि यही अक्षय एक दिन काका के दामाद बनेंगे।
*कहा जाता है कि राजेश खन्ना ने बहुत सारा पैसा लॉटरी चलाने वाली एक कंपनी में लगा रखा था जिसके जरिये उन्हें बहुत आमदनी होती थी।
*काका का कहना था कि वे अपनी जिंदगी से बेहद खुश थे। दोबारा मौका मिला तो वे फिर राजेश खन्ना बनना चाहेंगे और वही गलतियां दोहराएंगे।
* अपने बैनर तले राजेश खन्ना ने ‘जय शिव शंकर’ नामक फिल्म शुरू की थी, जिसमें उन्होंने पत्नी डिम्पल को साइन किया। आधी बनने के बाद फिल्म रूक गई और आज तक रिलीज नहीं हुई।
उन्होंने कुल 180 फिल्मों किया - 163 फीचर फिल्मों में काम किया, 128 फिल्मों में मुख्य भूमिका निभायी, 22 में दोहरी भूमिका के अतिरिक्त 17 छोटी फिल्मों में भी काम किया। व तीन साल 1969-71 का अंदर १५ solo हिट फिल्म में अभिनय करके बॉलीवुड का सुपरस्टार कहा जाते थे । उन्हें फिल्मों में सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिये तीन वार फिल्म फेयर पुरस्कार मिला और १४ मनोनीत किया गया। बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा हिन्दी फिल्मों के सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार भी अधिकतम चार बार उनके ही नाम रहा और २५ मनोनीत किया गया । 2005 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड दिया गया। राजेश खन्ना हिन्दी सिनेमा के पहले सुपर स्टार थे। 1966 में उन्होंने आखिरी खत नामक फिल्म से अपने अभिनय की शुरुआत की। राज़, बहारों के सपने, आखिरी खत - उनकी लगातार तीन कामयाब फिल्म किया । तब फिर बहारों के सपने पूर्णतः असफल हुआ । उन्होंने 1966-1991 में 74 स्वर्ण जयंती फिल्म किया(golden jubilee hits)।उन्होंने 1966-1991 में 22 रजत जयंती फिल्में किया।उन्होंने 1966-1996 में 9 सामान्य हित्त फिल्म किया ।उन्होंने 1966-2013 में 163 फिल्म किया और 105 हिट रहे।
व्यक्तिगत जीवन
29 दिसम्बर 1942 को जतिन अरोरा नाम से जन्में बच्चे का पालन पोषण लीलावती चुन्नीलाल खन्ना ने किया था। जतिन के माता पिता भारत विभाजन के पश्चात पाकिस्तान से आकर अमृतसर में बस गये थे। खन्ना दम्पत्ति जो जतिन के वास्तविक माता-पिता के रिश्तेदार थे इस बच्चे को गोद ले लिया और पढ़ाया लिखाया। जतिन ने तब के बम्बई स्थित गिरगाँव के सेण्ट सेबेस्टियन हाई स्कूल में दाखिला लिया। उनके सहपाठी थे रवि कपूर जो आगे चलकर जितेन्द्र के नाम से फिल्म जगत में मशहूर हुए।स्कूली शिक्षा के साथ साथ जतिन की रुचि नाटकों में अभिनय करने की भी थी अत: वे स्वाभाविक रूप से थियेटर की ओर उन्मुख हो गये। स्कूल में रहते हुए उन्होंने कुछ नाटक भी खेले। केवल इतना ही नहीं, कॉलेज के दिनों उन्होंने नाटक प्रतियोगिता में कई पुरस्कार भी जीते। थियेटर व फिल्मों के लिये काम खोजने वे उस समय भी अपनी स्पोर्टस कार में जाया करते थे। यह उन्नीस सौ साठ के आस पास का वाकया है। दोनों दोस्तों ने बाद में तत्कालीन बम्बई के के०सी० कॉलेज में भी एक साथ तालीम हासिल की। . जतिन को राजेश खन्ना नाम उनके चाचा ने दिया था यही नाम बाद में उन्होंने फिल्मों में भी अपना लिया। यह भी एक हकीकत है कि जितेन्द्र को उनकी पहली फिल्म में ऑडीशन देने के लिये कैमरे के सामने बोलना राजेश ने ही सिखाया था। जितेन्द्र और उनकी पत्नी राजेश खन्ना को "काका" कहकर बुलाते थे।
राजेश खन्ना ने 1966 में पहली बार 23 साल की उम्र में "आखिरी खत" नामक फिल्म में काम किया था। इसके बाद राज़, बहारों के सपने, आखिरी खत - उनकी लगातार तीन कामयाब फिल्म किया । तब फिर बहारों के सपने पूर्णतः असफल हुआ लेकिन उन्हें असली कामयाबी 1969 में "आराधना" से मिली जो उनकी पहली प्लेटिनम जयंती सुपरहिट फिल्म थी। आराधना के बाद हिन्दी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का खिताब अपने नाम किया। उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार 15 solo सुपरहिट फिल्में दिया - आराधना, इत्त्फ़ाक़, दो रास्ते,बंधन,डोली, सफ़र, खामोशी ,कटी पतंग,आन मिलो सजना, ट्रैन ,आनन्द,सच्चा झूठा,दुश्मन, महबूब की मेंहदी,हाथी मेरे साथी।बहुकलाकार फिल्में 1969-72 का अंदाज़, मर्यादा सुपरहिट रहा। मालिक पूर्णतः असफल रहा।
पारिवारिक जीवन
1966-72 के दशक में एक फैशन डिजाइनर व अभिनेत्री अंजू महेन्द्रू से राजेश खन्ना का प्रेम प्रसंग चर्चा में रहा। बाद में उन्होंने डिम्पल कपाड़िया से मार्च 1973 में विधिवत विवाह कर लिया। विवाह के ८ महीने बाद डिम्पल की फिल्म बॉबी रिलीज हुई। डिम्पल से उनको दो बेटियाँ हुईं। बॉबी की अपार लोकप्रियता ने डिम्पल को फिल्मों में अभिनय की ओर प्रेरित किया। बस यहीं से उनके वैवाहिक जीवन में दरार पैदा हुई जिसके चलते दोनों पति-पत्नी 1984 में अलग हो गये। फिल्मी कैरियर की दीवानगी ने उनके पारिवारिक जीवन को ध्वस्त कर दिया। कुछ दिनों तक अलग रहने के बाद दोनों में सम्बन्ध विच्छेद हो गया। 1984-1987 में एक अन्य अभिनेत्री टीना मुनीम के साथ राजेश खन्ना का रोमांस उसके विदेश चले जाने तक चलता रहा।.काफी दिनों तक अलहदा रहने के बाद, 1990 में डिम्पल और राजेश में एक साथ रहने की पारस्परिक सहमति बनती दिखायी दी। रिपोर्टर दिनेश रहेजा के अनुसार उन दोनों में कटुता समाप्त होने लगी थी और दोनों एक साथ पार्टियों में शरीक होने लगे। यही नहीं, डिम्पल ने लोक सभा चुनाव में राजेश खन्ना के लिये वोट माँगे और उनकी एक फिल्म जय शिवशंकर में काम भी किया।1990 से 2012 तक साथ मे दोनों त्यौहार मनाते थे| दोनों की पहली बेटी ट्विंकल खन्ना एक फिल्म अभिनेत्री है। उसका विवाह फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार से हुआ। दूसरी बेटी रिंकी खन्ना भी हिन्दी फिल्मों की अदाकारा है उसका विवाह लन्दन के एक बैंकर समीर शरण से हुआ।फिल्मी सफ़र
उन्होंने 1969-72 में लगातार 15 solo सुपरहिट फिल्में दिया - आराधना, इत्त्फ़ाक़, दो रास्ते,बंधन,डोली, सफ़र, खामोशी ,कटी पतंग,आन मिलो सजना, ट्रैन ,आनन्द,सच्चा झूठा,दुश्मन, महबूब की मेंहदी,हाथी मेरे साथी।बहुकलाकार फिल्में 1969-72 का अंदाज़, मर्यादा सुपरहिट रहा। मालिक पूर्णतः असफल रहा। बाद के दिनों में 1972-1975 तक अमर प्रेम, दिल दौलत दुनिया, जोरू का गुलाम, शहज़ादा, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, अपना देश, अनुराग, दाग, नमक हराम, अविष्कार, अज़नबी,प्रेम नगर, रोटी, आप की कसम और प्रेम कहानी जैसी फिल्में भी कामयाब रहीं। मगर उस के लिए 1976-78 खराब काल रहा क्योँकि 7 critically acclaimed (साधुवाद ) फिल्में- महबूबा, त्याग,पलकों की छाँव में,नौकरी,जनता हवलदार, चक्रव्यूह , bundalbaaz असफल रहा। 1976-78 में महा चोर, छलिया बाबू,अनुरोध,भोला भाला,कर्म कामयाब रहा। उन्होंने 1979 में वापसी किया अमर दीप के साथ । उन्होंने 1980-1991 तक बहुत सारे सफल फिल्में दिया । 1979-1991 के सफल सिनेमा के नाम - अमर दीप, प्रेम बंधन, थोड़ी सी बेवफाई, आँचल, फ़िर वही रात, बंदिश, कुदरत,दर्द, धनवान, अशान्ति, पचास-पचास , जानवर,धर्म काँटा,सुराग,राजपूत,दिल-e-नादान,जानवर, निशान,सौतन,अगर तुम ना होते,अवतार,नया कदम,आज का एम एल ए राम अवतार,मकसद,धर्म और कानून,आवाज़,आशा ज्योति,पापी पेट का सवाल, मास्टर जी,बेवफ़ाई,बाबू,हम दोनों,ज़माना,आखिर क्यों?,शत्रु,अधिकार ,नसीहत,अंगारे,अनोखा रिश्ता,अमृत,आवाम,नज़राना,पाप का अंत,घर का चिराग,स्वर्ग,घर-परिवार। 1991 के बाद राजेश खन्ना का दौर खत्म होने लगा। बाद में वे राजनीति में आये और 1991 वे नई दिल्ली से कांग्रेस की टिकट पर संसद सदस्य चुने गये। 1994 में उन्होंने एक बार फिर खुदाई फिल्म से परदे पर वापसी की कोशिश की। 1996 में उन्होंने सफ़ल फिल्म सौतेला भाई किया। आ अब लौट चलें, क्या दिल ने कहा, प्यार ज़िन्दगी है, वफा जैसी फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया लेकिन इन फिल्मों को कोई खास सफलता नहीं मिली। कुल उन्होंने 1966-2013 में 117 स्रावित फिल्म as a lead hero किया और 117 में 91 हिट रहे।कुल उन्होंने 1966-2013 में 163 फिल्म किया और 105 हिट रहे।मुमताज़ का साथ
राजेश खन्ना ने मुमताज़ के साथ आठ फिल्मों में काम किया और ये सभी फिल्में सुपरहिट हुईं। राजेश और मुमताज़ दोनों के बँगले मुम्बई में पास पास थे अत: चित्रपट के रुपहले पर्दे पर साथ साथ काम करने में दोनों की अच्छी पटरी बैठी। जब राजेश ने डिम्पल के साथ शादी कर ली तब कहीं जाकर मुमताज़ ने भी उस जमाने के अरबपति मयूर माधवानी के साथ विवाह करने का निश्चय किया। 1974 में मुमताज़ ने अपनी शादी के बाद भी राजेश के साथ आप की कसम, रोटी और प्रेम कहानी जैसी तीन फिल्में पूरी कीं और उसके बाद फिल्मों से हमेशा हमेशा के लिये सन्यास ले लिया। यही नहीं मुमताज़ ने बम्बई को भी अलविदा कह दिया और अपने पति के साथ विदेश में जाकर बस गयी। इससे राजेश खन्ना को जबर्दस्त आघात लगा।अन्तिम दिनों में ख़राब स्वास्थ्य
जून 2012 में यह सूचना आयी कि राजेश खन्ना पिछले कुछ दिनों से काफी अस्वस्थ चल रहे हैं। 23 जून 2012 को उन्हें स्वास्थ्य सम्बन्धी जटिल रोगों के उपचार हेतु लीलावती अस्पताल ले जाया गया जहाँ सघन चिकित्सा कक्ष में उनका उपचार चला और वे वहाँ से 8 जुलाई 2012 को डिस्चार्ज हो गये। उस समय "वे पूर्ण स्वस्थ हैं", ऐसी रिपोर्ट दी गयी थी। 14 जुलाई 2012 को उन्हें मुम्बई के लीलावती अस्पताल में पुन: भर्ती कराया गया। उनकी पत्नी डिम्पल ने मीडिया को बतलाया कि उन्हें निम्न रक्तचाप है और वे अत्यधिक कमजोरी महसूस कर रहे हैं।अन्तत: 18 जुलाई 2012 को यह खबर प्रसारित हुई कि सुपरस्टार राजेश खन्ना नहीं रहे।
शव यात्रा व दाह संस्कार
जैसे ही मीडिया पर देश के पहले सुपरस्टार के निधन का समाचार आया उनके बान्द्रा स्थित आशीर्वाद बँगले के बाहर प्रशंसकों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी। उसे नियन्त्रित करने के लिये पुलिस व सुरक्षा गार्डों की सहायता ली गयी। अगले दिन 19 जुलाई को विले पार्ले के पवन हंस शवदाह गृह में उनका अन्तिम संस्कार किया गया। भारी वर्षा व ट्रेफिक जाम होने के बावजूद लोग पैदल चलकर श्मशान घाट तक पहुँचे। पचहत्तर वर्षीय फिल्म अभिनेता निर्देशक मनोज कुमार, फिल्मस्टार अमिताभ बच्चन तथा उनके पुत्र अभिषेक बच्चन काका की अन्तिम यात्रा में शरीक होने वालों में प्रमुख थे। उनकी चिता को मुखाग्नि अक्षय कुमार की सहायता से उनके नौ वर्षीय नाती आरव ने दी।संवेदना व श्रद्धांजलियाँ
राजेश खन्ना की मृत्यु पर वालीवुड अभिनेत्री हेमा मालिनी ने कहा-"हम सोच रहे थे कि वे अस्पताल से स्वस्थ होकर लौटेंगे लेकिन उनकी मृत्यु की खबर से हमें जबर्दस्त धक्का लगा।" उनके दामाद अक्षय कुमार ने कहा कि उन्हें स्वर्ग में शान्तिपूर्ण व सम्मानजनक स्थान मिले इसके लिये आप सब प्रार्थना कीजिये। उनके घर जाकर शोक व्यक्त करने वालों में ऋषि कपूर, प्रेम चोपड़ा व साजिद खान भी शामिल थे। शाहरुख खान ने ट्वीटर पर लिखा-"जीना क्या होता है कोई काका से सीखे जिन्होंने फिल्म जगत के एक युग का प्रतिनिधित्व किया। अपने जमाने की मशहूर अदाकारा मुमताज़, फिल्म अभिनेता शाहिद कपूर, फिल्म निर्माता सुभाष घई, नृत्यांगना व अभिनेत्री वैजयन्ती माला एवं माधुरी दीक्षित ने भी उन्हें शब्द सुमन अर्पित किये।" पार्श्वगायक मन्ना डे ने कहा-"इसमें कोई शक नहीं कि वे सुपर स्टार थे मुझे इस बात का गौरव है कि मैंने उनकी फिल्मों में अपना स्वर दिया।" मृणाल सेन ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि वे राजेश खन्ना को लेकर उनकी व्यस्तता के चलते कोई फिल्म नहीं बना सके। बुद्धदेव दास गुप्त ने कहा-"राजेश खन्ना अमिताभ बच्चन से भी दो कदम आगे थे क्योंकि अमिताभ ने उनसे बहुत कुछ सीखा। आने वाली युवा नस्लें उनसे प्रेरणा लेंगी।" ऋतुपर्ण घोष ने आनन्द फिल्म में बोले गये "बाबू मोशाय" को शिद्दत से याद किया। फिल्म इतिहासकार एसएमएम औसजा ने कहा-"साठ व सत्तर के दशक में उन्होंने अपने समय के चोटी के निर्माता निर्देशकों के साथ काम किया और उन सबके ऊपर अपने अभिनय की छाप छोड़ी। यद्यपि उन्होंने किसी भी बँगला फिल्म में काम नहीं किया फिर भी धोती कुर्ते में उनकी छवि देखकर कोई भी बंगाली उनसे प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकता।"राजनीतिक हलकों से भी उन्हें अपार श्रद्धांजलियाँ दी गयीं जिनमें प्रधान मन्त्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गान्धी, पश्चिम बंगाल की मुख्य मन्त्री ममता बनर्जी, बिहार के मुख्य मन्त्री नीतीश कुमार, गुजरात के मुख्य मन्त्री नरेन्द्र मोदी आदि के नाम प्रमुख हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तान के प्रधान मन्त्री रजा परवेज़ अशरफ़ सहित अन्य हस्तियों जैसे अली जफर व सैयद नूर ने भी उन्हें अपनी शाब्दिक श्रद्धांजलि अर्पित की।
राजेश खन्ना के जीवन से जुडी हुई कुछ यादगार बातें:-
*राजेश खन्ना का वास्तविक नाम जतिन खन्ना है। अपने अंकल के कहने पर उन्होंने नाम बदल लिया।1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए।
*फिल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से काका कहा जाता था। जब वे सुपरस्टार थे तब एक कहावत बड़ी मशहूर थी- ऊपर आका और नीचे काका।
*राजेश ने फिल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाए। स्ट्रगलर होने के बावजूद वे इतनी महंगी कार में निर्माताओं के यहां जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं थी।
*लड़कियों के बीच राजेश खन्ना बेहद लोकप्रिय थे। लड़कियों ने उन्हें खून से खत लिखे। उनकी फोटो से शादी तक कर ली। कुछ ने अपने हाथ या जांघ पर राजेश का नाम गुदवा लिया। कई लड़कियां उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोती थी।
*स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती थी तो लड़कियां उस कार को ही चूम लेती थी। लिपिस्टिक के निशान से सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाया करती थी।
*निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना के घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे। वे मुंहमांगे दाम चुकाकर उन्हें साइन करना चाहते थे। पाइल्स के ऑपरेशन के लिए एक बार राजेश खन्ना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल में उनके इर्द गिर्द के कमरे निर्माताओं ने बुक करा लिए ताकि मौका मिलते ही वे राजेश को अपनी फिल्मों की कहानी सुना सके।
*राजेश खन्ना को रोमांटिक हीरो के रूप में बेहद पसंद किया गया। उनकी आंख झपकाने और गर्दन टेढ़ी करने की अदा के लोग दीवाने हो गए। राजेश खन्ना द्वारा पहने गए गुरु कुर्त्ते खूब प्रसिद्ध हुए और कई लोगों ने उनके जैसे कुर्त्ते पहने।
*'आराधना', 'सच्चा झूठा', 'कटी पतंग', 'हाथी मेरे साथी', 'महबूब की मेहंदी', 'आनंद', 'आन मिलो सजना', 'आपकी कसम' जैसी फिल्मों ने कमाई के नए रिकॉर्ड बनाए। आराधना फिल्म का गाना ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू...’ उनके कैरियर का सबसे बड़ा हिट गीत रहा।
*'आनंद' राजेश खन्ना के कैरियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जा सकती है, इसमें उन्होंने कैंसर से ग्रस्त जिंदादिल युवक की भूमिका निभाई।
*राजेश खन्ना की सफलता के पीछे संगीतकार आरडी बर्मन और गायक किशोर कुमार का अहम योगदान रहा। इस तिकड़ी के अधिकांश गीत हिट साबित हुए और आज भी सुने जाते हैं। किशोर ने 91 फिल्मों में राजेश को आवाज दी तो आरडी ने उनकी 40 फिल्मों में संगीत दिया।
*अपनी फिल्मों के संगीत को लेकर राजेश हमेशा सजग रहते थे। वे गाने की रिकॉर्डिंग के वक्त स्टुडियो में रहना पसंद करते थे और अपने सुझावों से संगीत निर्देशकों को अवगत कराते थे।
*मुमताज और शर्मिला टैगोर के साथ राजेश खन्ना की जोड़ी को काफी पसंद किया गया। मुमताज के साथ उन्होंने 8 सुपरहिट फिल्में दी। मुमताज ने शादी कर फिल्म को अलविदा कहने का मन बना लिया। उनके इस निर्णय से राजेश को बहुत दु:ख हुआ।
*शर्मिला और मुमताज, जो कि राजेश की लोकप्रियता की गवाह रही हैं, का कहना है कि लड़कियों के बीच राजेश जैसी लोकप्रियता बाद में उन्होंने कभी नहीं देखी।
*आशा पारेख और वहीदा रहमान जैसी सीनियर एक्ट्रेस के साथ भी उन्होंने काम किया। 'खामोशी' में राजेश को वहीदा के कहने पर ही रखा गया।
* 'जंजीर' और 'शोले' जैसी एक्शन फिल्मों की सफलता और अमिताभ बच्चन के उदय ने राजेश खन्ना की लहर को थाम लिया। लोग एक्शन फिल्में पसंद करने लगे और 1975 के बाद राजेश की कई रोमांटिक फिल्में असफल रही।
*कुछ लोग राजेश खन्ना के अहंकार और चमचों से घिरे रहने की वजह को उनकी असफलता का कारण मानते थे। बाद में भी राजेश खन्ना ने कई फिल्में की, लेकिन सफलता की वैसी कहानी वे दोहरा नहीं सके।
*राजेश ने उस समय कई महत्वपूर्ण फिल्में ठुकरा दी, जो बाद में अमिताभ को मिली। यही फिल्में अमिताभ के सुपरस्टार बनने की सीढ़ियां साबित हुईं। यही राजेश के पतन का कारण बना।
*राजेश के स्वभाव की वजह से मनमोहन देसाई, शक्ति सामंत, ऋषिकेश मुखर्जी और यश चोपड़ा ने उन्हें छोड़ अमिताभ को लेकर फिल्म बनाना शुरू कर दी।
*रोमांटिक हीरो राजेश दिल के मामले में भी रोमांटिक निकले। अंजू महेन्द्रू से उनका जमकर अफेयर चला, लेकिन फिर ब्रेकअप हो गया। ब्रेकअप की वजह दोनों ने कभी नहीं बताई। बाद में अंजू ने क्रिकेट खिलाड़ी गैरी सोबर्स से सगाई कर सभी को चौंका दिया।
*राजेश खन्ना ने अचानक डिम्पल कपाड़िया से शादी कर करोड़ों लड़कियों के दिल तोड़ दिए। डिम्पल ने 'बॉबी' फिल्म से सनसनी फैला दी थी।
*समुंदर किनारे चांदनी रात में डिम्पल और राजेश साथ घूम रहे थे। अचानक उस दौर के सुपरस्टार राजेश ने कमसिन डिम्पल के आगे शादी का प्रस्ताव रख दिया जिसे डिम्पल ठुकरा नहीं पाईं। शादी के वक्त डिम्पल की उम्र राजेश से लगभग आधी थी।
* राजेश-डिम्पल की शादी की एक छोटी-सी फिल्म उस समय देश भर के थिएटर्स में फिल्म शुरू होने के पहले दिखाई गई थी।
*अलग होने के बावजूद मुसीबत में हमेशा डिम्पल ने राजेश का साथ दिया। हाल ही में वे बीमार हुए तो डिम्पल ने उनकी सेवा की। उनका चुनाव प्रचार भी किया।
*अपनी साली सिम्पल कपाड़िया के साथ राजेश बतौर हीरो फिल्म ‘अनुरोध’ में नजर आए।
*राजीव गांधी के कहने पर राजेश राजनीति में आए। कांग्रेस (ई) की तरफ से कुछ चुनाव भी उन्होंने लड़े। जीते भी और हारे भी। लालकृष्ण आडवाणी को उन्होंने चुनाव में कड़ी टक्कर दी और शत्रुघ्न सिन्हा को हराया भी। बाद में उनका राजनीति से मोहभंग हो गया।
*राजेश खन्ना की लाइफ में टीना मुनीम भी आईं। एक जमाने में राजेश ने कहा भी था कि वे और टीना एक ही टूथब्रश का इस्तेमाल करते हैं।
*राजेश खन्ना और उनकी बेटी ट्विंकल का एक ही दिन जन्मदिन आता है, 29 दिसंबर को।
* बहुत पहले ‘जय शिव शंकर’ फिल्म में काम मांगने के लिए राजेश खन्ना के ऑफिस में अक्षय कुमार गए थे। घंटों उन्हें बिठाए रखा और बाद में काका उनसे नहीं मिले। उस दिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि यही अक्षय एक दिन काका के दामाद बनेंगे।
*कहा जाता है कि राजेश खन्ना ने बहुत सारा पैसा लॉटरी चलाने वाली एक कंपनी में लगा रखा था जिसके जरिये उन्हें बहुत आमदनी होती थी।
*काका का कहना था कि वे अपनी जिंदगी से बेहद खुश थे। दोबारा मौका मिला तो वे फिर राजेश खन्ना बनना चाहेंगे और वही गलतियां दोहराएंगे।
* अपने बैनर तले राजेश खन्ना ने ‘जय शिव शंकर’ नामक फिल्म शुरू की थी, जिसमें उन्होंने पत्नी डिम्पल को साइन किया। आधी बनने के बाद फिल्म रूक गई और आज तक रिलीज नहीं हुई।
प्रमुख फिल्में
वर्ष | फ़िल्म | चरित्र | टिप्पणी |
---|---|---|---|
2002 | क्या दिल ने कहा | ||
2001 | प्यार ज़िन्दगी है | ||
1999 | आ अब लौट चलें | ||
1991 | रुप्ये दस करोड़ | ||
1990 | स्वर्ग | ||
1989 | मैं तेरा दुश्मन | शंकर | |
1989 | पाप का अंत | ||
1988 | विजय | ||
1987 | नज़राना | ||
1987 | आवाम | ||
1987 | आवारा बाप | ||
1987 | गोरा | ||
1986 | अमृत | ||
1986 | अनोखा रिश्ता | ||
1986 | अंगारे | ||
1986 | नसीहत | ||
1986 | शत्रु | इंस्पेक्टर अशोक शर्मा | |
1985 | निशान | ||
1985 | आखिर क्यों? | आलोक नाथ | |
1985 | ज़माना | ||
1985 | अलग अलग | ||
1985 | हम दोनों | ||
1985 | बाबू | ||
1985 | बेवफ़ाई | अशोक नाथ | |
1985 | दुर्गा | ||
1985 | मास्टर जी | ||
1985 | नया बकरा | ||
1985 | ऊँचे लोग | ||
1984 | आशा ज्योति | दीपक चन्दर | |
1984 | आवाज़ | ||
1984 | धर्म और कानून | ||
1984 | मकसद | ||
1984 | आज का एम एल ए राम अवतार | ||
1984 | नया कदम | रामू | |
1983 | अवतार | अवतार् | |
1983 | अगर तुम ना होते | अशोक मेहरा | |
1983 | सौतन | ||
1982 | नादान | आनन्द | |
1982 | राजपूत | ||
1982 | सुराग | अतिथि भूमिका | |
1982 | धर्म काँटा | ||
1982 | जानवर | राजू | |
1982 | अशान्ति | ||
1981 | धनवान | ||
1981 | दर्द | ||
1981 | कुदरत | ||
1980 | बंदिश | ||
1980 | फ़िर वही रात | डॉ. विजय | |
1980 | आँचल | ||
1980 | थोड़ी सी बेवफाई | अरुण कुमार चौधरी | |
1979 | प्रेम बंधन | किशन/मोहन खन्ना | |
1979 | अमर दीप | राजा/सोनू | |
1979 | मुकाबला | कव्वाली गायक | |
1979 | जनता हवलदार | ||
1978 | भोला भाला | ||
1978 | नौकरी | रंजीत गुप्ता 'रोनू' | |
1977 | अनुरोध | अरुण चौधरी/संजय कुमार | |
1977 | कर्म | अरविंद कुमार | |
1977 | छलिया बाबू | ||
1977 | आशिक हूँ बहारों का | अशोक शर्मा | |
1977 | पलकों की छाँव में | ||
1977 | त्याग | ||
1976 | महबूबा | ||
1976 | महा चोर | ||
1975 | प्रेम कहानी | ||
1974 | आप की कसम | ||
1974 | रोटी | मंगल सिंह | |
1974 | हमशक्ल | ||
1974 | प्रेम नगर | ||
1974 | अज़नबी | रोहित कुमार सक्सेना | |
1974 | अविष्कार | अमर | |
1973 | नमक हराम | ||
1973 | दाग | ||
1973 | अनुराग | गंगाराम | |
1972 | मेरे जीवन साथी | प्रकाश | |
1972 | अपना देश | आकाश चन्द्रा | |
1972 | बावर्ची | ||
1972 | शहज़ादा | राजेश | |
1972 | मालिक | राजू | |
1972 | जोरू का गुलाम | राजेश | |
1972 | दिल दौलत दुनिया | विजय | |
1972 | अमर प्रेम | आनन्द बाबू | |
1971 | हाथी मेरे साथी | राज कुमार | |
1971 | अंदाज़ | राज | |
1972 | दुश्मन | ||
1970 | सच्चा झूठा | भोला/रंजीत कुमार | |
1971 | आनन्द | ||
1971 | आन मिलो सजना | अजीत | |
1971 | कटी पतंग | कमल सिन्हा | |
1970 | सफ़र | अविनाश | |
1969 | बंधन | ||
1969 | दो रास्ते | ||
1969 | आराधना | ||
1967 | बहारों के सपने |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें