भारत के पश्चिमी तट पर स्थित मुम्बई (पूर्व नाम
बम्बई),
भारतीय
राज्य महाराष्ट्र की राजधानी है। इसकी अनुमानित जनसंख्या ३ करोड़ २९ लाख है जो देश
की पहली सर्वाधिक आबादी वाली नगरी है। इसका गठन लावा निर्मित सात छोटे-छोटे
द्वीपों द्वारा हुआ है एवं यह पुल द्वारा प्रमुख भू-खंड के साथ जुड़ा हुआ है।
मुम्बई बन्दरगाह भारतवर्ष का सर्वश्रेष्ठ सामुद्रिक बन्दरगाह है। मुम्बई का तट
कटा-फटा है जिसके कारण इसका पोताश्रय प्राकृतिक एवं सुरक्षित है। यूरोप, अमेरिका, अफ़्रीका
आदि पश्चिमी देशों से जलमार्ग या वायुमार्ग से आनेवाले जहाज यात्री एवं पर्यटक सर्वप्रथम
मुम्बई ही आते हैं इसलिए मुम्बई को भारत का प्रवेशद्वार कहा जाता है। मुम्बई भारत
का सर्ववृहत्तम वाणिज्यिक केन्द्र है। जिसकी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 5% की भागीदारी
है। यह सम्पूर्ण भारत के औद्योगिक उत्पाद का 25%, नौवहन व्यापार
का 40%,
एवं
भारतीय अर्थ व्यवस्था के पूंजी लेनदेन का 70% भागीदार
है। मुंबई विश्व के सर्वोच्च दस वाणिज्यिक केन्द्रों में से एक है। भारत के
अधिकांश बैंक एवं सौदागरी कार्यालयों के प्रमुख कार्यालय एवं कई महत्वपूर्ण आर्थिक
संस्थान जैसे भारतीय रिज़र्व बैंक, बम्बई स्टॉक
एक्स्चेंज,
नेशनल
स्टऑक एक्स्चेंज एवं अनेक भारतीय कम्पनियों के निगमित मुख्यालय तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियां
मुम्बई में अवस्थित हैं। इसलिए इसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहते हैं। नगर में
भारत का हिन्दी चलचित्र एवं दूरदर्शन उद्योग भी है, जो बॉलीवुड
नाम से प्रसिद्ध है। मुंबई की व्यवसायिक अपॊर्ट्युनिटी, व उच्च
जीवन स्तर पूरे भारतवर्ष भर के लोगों को आकर्षित करती है, जिसके कारण
यह नगर विभिन्न समाजों व संस्कृतियों का मिश्रण बन गया है। मुंबई पत्तन भारत के
लगभग आधे समुद्री माल की आवाजाही करता है। उद्गम
"मुंबई" नाम दो शब्दों से मिलकर बना है, मुंबा या
महा-अंबा
– हिन्दू
देवी दुर्गा का रूप,
जिनका
नाम मुंबा देवी है
– और
आई,
"मां" को मराठी में कहते हैं। पूर्व नाम
बॉंम्बे या बम्बई का उद्गम सोलहवीं शताब्दी से आया है, जब पुर्तगाली
लोग यहां पहले-पहल आये,
व
इसे कई नामों से पुकारा,
जिसने
अन्ततः बॉम्बे का रूप लिखित में लिया। यह नाम अभी भी पुर्तगाली प्रयोग में है।
सत्रहवीं शताब्दी में,
ब्रिटिश
लोगों ने यहां अधिकार करने के बाद, इसके
पूर्व नाम का आंग्लीकरण किया, जो बॉम्बे बना। किन्तु मराठी लोग इसे मुंबई या
मंबई व हिन्दी व भाषी लोग इसे बम्बई ही बुलाते रहे। इसका नाम आधिकारिक रूप से सन 1995 में
मुंबई बना। बॉम्बे नाम मूलतः पुर्तगाली नाम से निकला है, जिसका
अर्थ है
"अच्छी खाड़ी" (गुड बे) यह इस तथ्य पर आधारित
है,
कि
बॉम का पुर्तगाली में अर्थ है अच्छा, व
अंग्रेज़ी शब्द बे का निकटवर्ती पुर्तगाली शब्द है बैआ। सामान्य पुर्तगाली में गुड
बे (अच्छी खाड़ी) का रूप है: बोआ बहिया, जो कि
गलत शब्द बोम बहिया का शुद्ध रूप है। हां सोलहवीं शताब्दी की पुर्तगाली भाषा में
छोटी खाड़ी के लिये बैम शब्द है। अन्य सूत्रों का पुर्तगाली शब्द बॉम्बैम के लिये, भिन्न मूल
है। José
Pedro Machado's Dicionário Onomástico Etimológico da Língua Portuguesa ("एटायमोलॉजी
एवं ओनोमैस्टिक्स का पुर्तगाली शब्दकोष") बताता है, कि इस
स्थान का १५१६ से प्रथम पुर्तगाली सन्दर्भ क्या है, बेनमजम्बु
या तेन-माइयाम्ब
माइआम्बु
या "MAIAMBU"'
मुंबा
देवी से निकला हुआ लगता है। ये वही मुंबा देवी हैं, जिनके
नाम पर मुंबई नाम मराठी लोग लेते हैं। इसी शताब्दी में मोम्बाइयेन की वर्तनी बदली
(१५२५) और वह मोंबैएम बना (१५६३) और अन्ततः सोलहवीं शताब्दी में बोम्बैएम उभरा, जैसा गैस्पर
कोर्रेइया ने लेंडास द इंडिया ("लीजेंड्स ऑफ इंडिया") में लिखा है।
इतिहास
हाजी अली दरगाह जो सन 1431 में
बनी थी,
जब
मुंबई इस्लामी शासन के अधीन था। मुख्य लेख : मुंबई का इतिहास कांदिवली के निकट उत्तरी
मुंबई में मिले प्राचीन अवशेष संकेत करते हैं, कि यह
द्वीप समूह पाषाण युग से बसा हुआ है। मानव आबादी के लिखित प्रमाण २५० ई.पू तक
मिलते हैँ,
जब
इसे हैप्टानेसिया कहा जाता था। तीसरी शताब्दी इ.पू. मेँ ये द्वीपसमूह मौर्य
साम्राज्य का भाग बने,
जब
बौद्ध सम्राट अशोक महान का शासन था। कुछ शुरुआती शताब्दियों में मुंबई का नियंत्रण
सातवाहन साम्राज्य व इंडो-साइथियन वैस्टर्न सैट्रैप के बीच विवादित है। बाद में
हिन्दू सिल्हारा वंश के राजाओं ने यहां १३४३ तक राज्य किया, जब तक
कि गुजरात के राजा ने उनपर अधिकार नहीं कर लिया।
कुछ पुरातन नमूने, जैसे ऐलीफैंटा गुफाएं व बालकेश्वर मंदिर में इस काल के मिलते हैं। १५३४ में, पुर्तगालियों ने गुजरात के बहादुर शाह से यह द्वीप समूह हथिया लिया। जो कि बाद में चार्ल्स द्वितीय, इंग्लैंड को दहेज स्वरूप दे दिये गये। चार्ल्स का विवाह कैथरीन डे बर्गैन्ज़ा से हुआ था। यह द्वीपसमूह १६६८ में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को मात्र दस पाउण्ड प्रति वर्ष की दर पर पट्टे पर दे दिये गये। कंपनी को द्वीप के पूर्वी छोर पर गहरा हार्बर मिला, जो कि उपमहाद्वीप में प्रथम पत्तन स्थापन करने के लिये अत्योत्तम था। यहां की जनसंख्या १६६१ की मात्र दस हजार थी, जो १६७५ में बढ़कर साठ हजार हो गयी। १६८७ में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपने मुख्यालय सूरत से स्थानांतरित कर यहां मुंबई में स्थापित किये। और अंततः नगर बंबई प्रेसीडेंसी का मुख्यालय बन गया।
कुछ पुरातन नमूने, जैसे ऐलीफैंटा गुफाएं व बालकेश्वर मंदिर में इस काल के मिलते हैं। १५३४ में, पुर्तगालियों ने गुजरात के बहादुर शाह से यह द्वीप समूह हथिया लिया। जो कि बाद में चार्ल्स द्वितीय, इंग्लैंड को दहेज स्वरूप दे दिये गये। चार्ल्स का विवाह कैथरीन डे बर्गैन्ज़ा से हुआ था। यह द्वीपसमूह १६६८ में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को मात्र दस पाउण्ड प्रति वर्ष की दर पर पट्टे पर दे दिये गये। कंपनी को द्वीप के पूर्वी छोर पर गहरा हार्बर मिला, जो कि उपमहाद्वीप में प्रथम पत्तन स्थापन करने के लिये अत्योत्तम था। यहां की जनसंख्या १६६१ की मात्र दस हजार थी, जो १६७५ में बढ़कर साठ हजार हो गयी। १६८७ में ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपने मुख्यालय सूरत से स्थानांतरित कर यहां मुंबई में स्थापित किये। और अंततः नगर बंबई प्रेसीडेंसी का मुख्यालय बन गया।
गेटवे ऑफ इंडिया को २ दिसंबर,१९११ को
भारत में सम्राट जॉर्ज पंचम व महारानी मैरी के आगमन पर स्वागत हेतु बनाया गया, जो कि
४ दिसंबर,
१९२४
को पूरा हुआ। सन १८१७ के बाद, नगर को वृहत पैमाने पर सिविल कार्यों द्वारा
पुनर्ओद्धार किया गया। इसमें सभी द्वीपों को एक जुड़े हुए द्वीप में जोडने की
परियोजना मुख्य थी। इस परियोजना को हॉर्नबाय वेल्लार्ड कहा गया, जो
१८४५ में पूर्ण हुआ,
तथा
पूरा ४३८bsp;कि.मी.² निकला।
सन १८५३ में,
भारत
की प्रथम यात्री रेलवे लाइन स्थापित हुई, जिसने
मुंबई को ठाणे से जोड़ा। अमरीकी नागर युद्ध के दौरान, यह नगर
विश्व का प्रमुख सूती व्यवसाय बाजार बना, जिससे
इसकी अर्थ व्यवस्था मजबूत हुई, साथ ही नगर का स्तर कई गुणा उठा। १८६९ में स्वेज
नहर के खुलने के बाद से,
यह
अरब सागर का सबसे बड़ा पत्तन बन गया। अगले तीस वर्षों में, नगर एक
प्रधान नागरिक केंद्र के रुप में विकसित हुआ। यह विकास संरचना के विकास एवं
विभिन्न संस्थानों के निर्माण से परिपूर्ण था। १९०६ तक नगर की जनसंख्या दस लाख
बिलियन के लगभग हो गयी थी। अब यह भारत की तत्कालीन राजधानी कलकत्ता के बाद भारत
में,
दूसरे
स्थान सबसे बड़ा शहर था। बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी के रूप में, यह भारतीय
स्वतंत्रता संग्राम का आधार बना रहा। मुंबई में इस संग्राम की प्रमुख घटना १९४२
में महात्मा गाँधी द्वारा छेड़ा गया भारत छोड़ो आंदोलन था। १९४७ में भारतीय स्वतंत्रता
के उपरांत,
यह
बॉम्बे राज्य की राजधानी बना। १९५० में उत्तरी ओर स्थित सैल्सेट द्वीप के भागों को
मिलाते हुए,
यह
नगर अपनी वर्तमान सीमाओं तक पहुंचा। १९५५ के बाद, जब
बॉम्बे राज्य को पुनर्व्यवस्थित किया गया, और
भाषा के आधार पर इसे महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों में बांटा गया, एक मांग
उठी,
कि
नगर को एक स्वायत्त नगर-राज्य का दर्जा दिया जाये। हालांकि संयुक्त महाराष्ट्र समिति
के आंदोलन में इसका भरपूर विरोध हुआ, व
मुंबई को महाराष्ट्र की राजधानी बनाने पर जोर दिया गया। इन विरोधों के चलते, १०५ लोग
पुलिस गोलीबारी में मारे भी गये, और अन्ततः १ मई, १९६०
को महाराष्ट्र राज्य स्थापित हुआ, जिसकी राजधानी मुंबई को बनाया गया।
फ्लोरा फाउंटेन का पुनर्नामकरण हुतात्मा चौक किया
गया,
जो
कि संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के शहीदों का स्मारक बना १९७० के दशक के अंत तक, यहां
के निर्माण में एक सहसावृद्धि हुई, जिसने
यहां आवक प्रवासियों की संख्या को एक बड़े अंक तक पहुंचाया। इससे मुंबई ने कलकत्ता
को जनसंख्या में पछाड़ दिया, व प्रथम स्थान लिया। इस अंतःप्रवाह ने स्थानीय
मराठी लोगों के अंदर एक चिंता जगा दी, जो कि
अपनी संस्कृति,
व्यवसाय, भाषा के
खोने से आशंकित थे।[18]
बाला
साहेब ठाकरे द्वारा शिव सेना पार्टी बनायी गयी, जो
मराठियों के हित की रक्षा करने हेतु बनी थी।[19] नगर का
धर्म-निरपेक्ष सूत्र १९९२-९३ के दंगों के कारण छिन्न-भिन्न हो गया, जिसमें
बड़े पैमाने पर जान व माल का नुकसान हुआ। इसके कुछ ही महीनों बाद १२ मार्च,१९९३ को
शृंखलाबद्ध बम विस्फोटों ने नगर को दहला दिया। इनमें पुरे मुंबई में सैंकडों लोग मारे
गये। १९९५ में नगर का पुनर्नामकरण मुंबई के रूप में हुआ। यह शिवसेना सरकार की
ब्रिटिश कालीन नामों के ऐतिहासिक व स्थानीय आधार पर पुनर्नामकरण नीति के तहत हुआ।
यहां हाल के वर्षों में भी इस्लामी उग्रवादियों द्वारा आतंकवादी हमले हुए। २००६
में यहां ट्रेन विस्फोट हुए, जिनमें दो सौ से अधिक लोग मारे गये, जब कई
बम मुंबई की लोकल ट्रेनों में फटे।
भूगोल
यह महानगर मुंबई शहर, मुंबई
उपनगर जिलों एवं नवी मुंबई तथा ठाणे शहरों को मिलाकर बनता है। मुंबई शहर भारत के
पश्चिमी तट पर कोंकण तटीय क्षेत्र में उल्हास नदी के मुहाने पर स्थित है। इसमें
सैलसेट द्वीप का आंशिक भाग है, और शेष भाग ठाणे जिले में आते हैं। अधिकांश नगर
समुद्रतल से जरा ही ऊंचा है, जिसकी औसत ऊंचाई 10 मी (33 फ़ुट) से
15 मी (49 फ़ुट) के
बीच है। उत्तरी मुंबई का क्षेत्र पहाड़ी है, जिसका
सर्वोच्च स्थान 450
मी
(1,476 फ़ुट) पर
है। नगर का कुल क्षेत्रफल ६०३ कि.मी² (२३३ sq mi) है। संजय
गाँधी राष्ट्रीय उद्यान नगर के समीप ही स्थित है। यह कुल शहरी क्षेत्र के लगभग
छठवें भाग में बना हुआ है। इस उद्यान में तेंदुए इत्यादि पशु अभी भी मिल जाते हैं
जबकि जातियों का विलुप्तीकरण तथा नगर में आवास की समस्या सर उठाये खड़ी है। भाटसा
बांध के अलावा,
६
मुख्य झीलें नगर की जलापूर्ति करतीं हैं: विहार झील, वैतर्णा, अपर वैतर्णा, तुलसी, तंस व
पोवई। तुलसी एवं विहार झील बोरिवली राष्ट्रीय उद्यान में शहर की नगरपालिका सीमा के
भीतर स्थित हैं। पोवई झील से केवल औद्योगिक जलापुर्ति की जाती है। तीन छोटी नदियां
दहिसर,
पोइसर
एवं ओहिवाड़ा (या ओशीवाड़ा) उद्यान के भीतर से निकलतीं हैं, जबकि मीठी
नदी,
तुलसी
झील से निकलती है,
और
विहार व पोवई झीलों का बढ़ा हुआ जल ले लेती है। नगर की तटरेखा बहुत अधिक निवेशिकाओं
(संकरी खाड़ियों) से भरी है। सैलसेट द्वीप की पूर्वी ओर दलदली इलाका है, जो
जैवभिन्नताओं से परिपूर्ण है। पश्चिमी छोर अधिकतर रेतीला या पथरीला है। मुंबई की
अरब सागर से समीपता के खारण शहरी क्षेत्र में मुख्यतः रेतीली बालू ही मिलती है।
उपनगरीय क्षेत्रों में,
मिट्टी
अधिकतर अल्युवियल एवं ढेलेदार है। इस क्षेत्र के नीचे के पत्थर काले दक्खिन
बेसाल्ट व उनके क्षारीय व अम्लीय परिवर्तन हैं। ये अंतिम क्रेटेशियस एवं आरंभिक
इयोसीन काल के हैं। मुंबई सीज़्मिक एक्टिव(भूकम्प सक्रिय) ज़ोन है। जिसके कारण इस
क्षेत्र में तीन सक्रिय फॉल्ट लाइनें हैं। इस क्षेत्र को तृतीय श्रेणी में
वर्गीकृत किया गया है,
जिसका
अर्थ है,
कि
रिक्टर पैमाने पर 6.5
तीव्रता
के भूकम्प आ सकते हैं।
जलवायु
मुंबई
में औसत तापमान एवं वर्षण (प्रैसिपिटेशन) की सारणी उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अरब
सागर के निकट स्थित मुंबई की जलवायु में दो मुख्य ऋतुएं हैं: शुष्क एवं आर्द्र
ऋतु। आर्द्र ऋतु मार्च एवं अक्तूबर के बीच आती है। इसका मुख्य लक्षण है उच्च
आर्द्रता व तापमन लगभग 30
°से
(86 °फ़ै) से
भी अधिक। जून से सितंबर के बीच मानसून वर्षाएं नगर भिगोतीं हैं, जिससे
मुंबई का वार्षिक वर्षा स्तर 2,200 मिलीमीटर (86.6 इंच)
तक पहुंचता है। अधिकतम अंकित वार्षिक वर्षा १९५४ में 3,452 मिलीमीटर
(135.9 इंच) थी।
मुंबई में दर्ज एक दिन में सर्वोच्च वर्षा 944 मिलीमीटर
(37.17 इंच) २६
जुलाई,२००५ को
हुयी थी नवंबर से फरवरी तक शुष्क मौसम रहता है, जिसमें
मध्यम आर्द्रता स्तर बना रहता है, व हल्का गर्म से हल्का ठंडा मौसम रहता है। जनवरी
से फरवरी तक हल्की ठंड पड़ती है, जो यहां आने वाली ठंडी उत्तरी हवाओं के कारण होती
है। मुंबई का वार्षिक तापमान उच्चतम 38 °से (100 °फ़ै) से
न्यूनतम 11
°से (52 °फ़ै)तक
रहता है। अब तक का रिकॉर्ड सर्वोच्च तापमान 43.3 °से (109.9 °फ़ै) तथा
२२ जनवरी,१९६२ को
नयूनतम 7.4
°से (45.3 °फ़ै) रहा।
हालांकि 7.4
°से (45.3 °फ़ै) यहां
के मौसम विभाग के दो में से एक स्टेशन द्वारा अंकित न्यूनतम तापमान कन्हेरी गुफाएं
के निकट नगर की सीमाओं के भीतर स्थित स्टेशन द्वारा न्यूनतम तापमान ८ फरवरी,२००८
को 6.5
°से
(43.7 °फ़ै) अंकित
किया गया।
अर्थ-व्यवस्था
कफे परेड मुंबई का महत्वपूर्ण व्यवसायिक केन्द्र
है,
जहां
विश्व व्यापार केन्द्र स्थित है, व अन्य कई महत्वपूर्ण आर्थिक संस्थान भी हैं।
बंबई स्टॉक एक्स्चेंज एशिया का पुरातनतम स्टॉक
एक्स्चेंज है मुंबई भारत की सबसे बड़ी नगरी है। यह देश की एक महत्वपूर्ण आर्थिक
केन्द्र भी है,
जो
सभी फैक्ट्री रोजगारों का १०%, सभी आयकर संग्रह का ४०%, सभी
सीमा शुल्क का ६०%,
केन्द्रीय
राजस्व का २०% व भारत के विदेश व्यापार एवं 40 बिलियन
(US$820 मिलियन)
निगमित करों से योगदान देती है। मुंबई की प्रति-व्यक्ति आय 48,954
(US$1,010) है, जो
राष्ट्रीय औसत आय की लगभग तीन गुणा है।भारत के कई बड़े उद्योग (भारतीय स्टेट बैंक, टाटा ग्रुप, गोदरेज
एवं रिलायंस सहित) तथा चार फॉर्च्यून ग्लोबल 500 कंपनियां
भी मुंबई में स्थित हैं। कई विदेशी बैंक तथा संस्थानों की भी शाखाएं यहां के विश्व
व्यापार केंद्र क्षेत्र में स्थित हैं। सन १९८० तक, मुंबई अपने
कपड़ा उद्योग व पत्तन के कारण संपन्नता अर्जित करता था, किन्तु
स्थानीय अर्थ-व्यवस्था तब से अब तक कई गुणा सुधर गई है, जिसमें
अब अभियांत्रिकी,
रत्न
व्यवसाय,
हैल्थ-केयर
एवं सूचना प्रौद्योगिकी भी सम्मिलित हैं। मुंबई में ही भाभा आण्विक अनुसंधान केंद्र
भी स्थित है। यहीं भारत के अधिकांश विशिष्ट तकनीकी उद्योग स्थित हैं, जिनके
पास आधुनिक औद्योगिक आधार संरचना के साथ ही अपार मात्रा में कुशल मानव संसाधन भी
हैं। आर्थिक कंपनियों के उभरते सितारे, ऐयरोस्पेस, ऑप्टिकल
इंजीनियरिंग,
सभी
प्रकार के कम्प्यूटर एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जलपोत उद्योग
तथा पुनर्नवीनीकृत ऊर्जा स्रोत तथा शक्ति-उद्योग यहां अपना अलग स्थान रखते हैं।
नगर के कार्यक्षेत्र का एक बड़ा भाग केन्द्र एवं राज्य सरकारी कर्मचारी बनाते हैं।
मुंबई में एक बड़ी मात्रा में कुशल तथा अकुशल व अर्ध-कुशल श्रमिकों की शक्ति है, जो प्राथमिकता
से अपना जीवन यापन टैक्सी-चालक, फेरीवाले, यांत्रिक
व अन्य ब्लू कॉलर कार्यों से करते हैं। पत्तन व जहाजरानी उद्योग भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष
रूप से ढ़ेरों कर्मचारियों को रोजगार देता है। नगर के धारावी क्षेत्र में, यहां का
कूड़ा पुनर्चक्रण उद्योग स्थापित है। इस जिले में अनुमानित १५,०००
एक-कमरा फैक्ट्रियां हैं। मीडिया उद्योग भी यहां का एक बड़ा नियोक्ता है। भारत के
प्रधान दूरदर्शन व उपग्रह तंत्रजाल (नेटवर्क), व मुख्य
प्रकाशन गृह यहीं से चलते हैं। हिन्दी चलचित्र उद्योग का केन्द्र भी यहीं स्थित है, जिससे प्रति
वर्ष विश्व की सर्वाधिक फिल्में रिलीज़ होती हैं। बॉलीवुड शब्द बॉंम्बे व हॉलीवुड
को मिलाकर निर्मित है। मराठी दूरदर्शन एवं मराठी फिल्म उद्योग भी मुंबई में ही
स्थित है। शेष भारत की तरह,
इसकी
वाणिज्यिक राजधानी मुंबई ने भी १९९१ के सरकारी उदारीकरण नीति के चलते आर्थिक
उछाल(सहसावृद्धि) को देखा है। इसके साथ ही १९९० के मध्य दशक में सूचना
प्रौद्योगिकी,
निर्यात, सेवाएं
व बी पी ओ उद्योगों में भी उत्थान देखा है। मुंबई का मध्यम-वर्गीय नागरिक जहां इस
उछाल से सर्वाधिक प्रभावित हुआ है वहीं वो इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप उपभोक्ता उछाल
का कर्ता भी है। इन लोगों की ऊपरावर्ती गतिशीलता ने उपभोक्तओं के जीवन स्तर व व्यय
क्षमता को भी उछाला है। मुंबई को वित्तीय बहाव के आधार पर मास्टरकार्ड वर्ल्डवाइड
के एक सर्वेक्षण में;
विश्व
के दस सर्वोच्च वाणिज्य केन्द्रों में से एक गिना गया है। नागर प्रशासन मुंबई में
दो पृथक क्षेत्र हैं: नगर एवं उपनगर, यही महाराष्ट्र
के दो जिले भी बनाते हैं। शहरी क्षेत्र को प्रायः द्वीप नगर या आइलैण्ड सिटी कहा
जाता है। नगर का प्रशासन बृहन्मुंबई नगर निगम (बी एम सी) (पूर्व बंबई नगर निगम) के
अधीन है,
जिसकी
कार्यपालक अधिकार नगर निगम आयुक्त, राज्य
सरकार द्वारा नियुक्त एक आई ए एस अधिकारी को दिये गए हैं। निगम में 227 पार्षद
हैं,
जो 24 नगर निगम
वार्डों का प्रतिनिधित्व करते हैं, पाँच
नामांकित पार्षद व एक महापौर हैं। निगम नागरिक सुविधाओं एवं शहर की अवसंरचना
आवश्यकताओं के लिए प्रभारी है। एक सहायक निगम आयुक्त प्रत्येक वार्ड का प्रशासन
देखता है। पार्षदों के चुनाव हेतु, लगभग
सभी राजनीतिक पार्टियां अपने प्रत्याशि खड़े करतीं हैं। मुंबई महानगरीय क्षेत्र
में 7
नगर
निगम व 13
नगर
परिषद हैं। बी एम सी के अलावा, यहां ठाणे, कल्याण-डोंभीवली, नवी
मुंबई,
मीरा
भयंदर,
भिवंडी-निज़ामपुर
एवं उल्हासनगर की नगरमहापालिकाएं व नगरपालिकाएं हैं।
बंबई उच्च न्यायालय का अधिकारक्षेत्र महाराष्ट्र, गोवा, दमन
एवं दीव तथा दादरा एवं नागर हवेली पर है। ग्रेटर मुंबई में महाराष्ट्र के दो जिले
बनते हैं,
प्रत्येक
का एक जिलाध्यक्ष है। जिलाध्यक्ष जिले की सम्पत्ति लेख, केंद्र
सरकार के राजस्व संग्रहण के लिए उत्तरदायी होता है। इसके साथ ही वह शहर में होने
वाले चुनावों पर भी नज़र रखता है। मुंबई पुलिस का अध्यक्ष पुलिस आयुक्त होता है, जो आई
पी एस अधिकारी होता है। मुंबई पुलिस राज्य गृह मंत्रालय के अधीन आती है। नगर सात
पुलिस ज़ोन व सत्रह यातायात पुलिस ज़ोन में बंटा हुआ है, जिनमें
से प्रत्येक का एक पुलिस उपायुक्त है। यातायात पुलिस मुंबई पुलिस के अधीन एक
स्वायत्त संस्था है। मुंबई अग्निशमन दल विभाग का अध्यक्ष एक मुख्य फायर अधिकारी
होता है,
जिसके
अधीन चार उप मुख्य फायर अधिकारी व छः मंडलीय अधिकारी होते हैं। मुंबई में ही बंबई
उच्च न्यायालय स्थित है,
जिसके
अधिकार-क्षेत्र में महाराष्ट्र, गोआ राज्य एवं दमन एवं दीव तथा दादरा एवं नागर
हवेली के केंद्र शासित प्रदेश भी आते हैं। मुंबई में दो निम्न न्यायालय भी हैं, स्मॉल कॉज़ेज़
कोर्ट –नागरिक
मामलों हेतु,
व
विशेष टाडा (टेररिस्ट एण्ड डिस्रप्टिव एक्टिविटीज़) न्यायालय –जहां
आतंकवादियों व फैलाने वालों व विध्वंसक प्रवृत्ति व गतिविधियों में पहड़े गए लोगों
पर मुकदमें चलाए जाते हैं। शहर में लोक सभा की छः व महाराष्ट्र विधान सभा की
चौंतीस सीटें हैं। मुंबई की महापौर शुभा रावल हैं, नगर निगम
आयुक्त हैं जयराज फाटाक एवं शेर्रिफ हैं इंदु साहनी।
यातायात
छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, मध्य रेलवे का मुख्यालय है, व युनेस्को विश्व धरोहर स्थल है मुंबई के अधिकांश निवासी अपने आवास व कार्याक्षेत्र के बीच आवागमन के लिए कोल यातायात पर निर्भर हैं। मुंबई के यातायात में मुंबई उपनगरीय रेलवे, बी ई एस टी (बेस्ट) की बसें, टैक्सी ऑटोरिक्शा, फेरी सेवा आतीं हैं।यह शहर भारतीय रेल के दो मंडलों का मुख्यालय है: मध्य रेलवे (सेंट्रल रेलवे), जिसका मुख्यालय छत्रपति शिवाजी टर्मिनस है, एवं पश्चिम रेलवे, जिसका मुख्यालय चर्चगेट के निकट स्थित है। नगर यातायात की रीढ़ है मुंबई उपनगरीय रेल, जो तीन भिन्न नेटव्र्कों से बनी है, जिनके रूट शहर की लम्बाई में उत्तर-दक्षिण दिशा में दौड़ते हैं। मुंबई मैट्रो, एक भूमिगत एवं उत्थित स्तरीय रेलवे प्रणाली, जो फिल्हाल निर्माणाधीन है, वर्सोवा से अंधेरी होकर घाटकोपर तक प्रथम चरण में 2009 तक चालू होगी। मुंबई भारत के अन्य भागों से भारतीय रेल द्वारा व्यवस्थित ढंग से जुड़ा है। रेलगाड़ियां छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, दादर, लोकमान्य तिलक टर्मिनस, मुंबई सेंट्रल, बांद्रा टर्मिनस एवं अंधेरी से आरंभ या समाप्त होती हैं। मुंबई उपनगरीय रेल प्रणाली 6.3 मिलियन यात्रियों को प्रतिदिन लाती ले जाती है।
बी ई एस टी बस बी ई एस टी द्वारा चालित बसें, लगभग नगर
के हरेक भाग को यातायात उपलब्ध करातीं हैं। साथ ही नवी मुंबई एवं ठाणे के भी भाग
तक जातीं हैं। बसें छोटी से मध्यम दूरी तक के सफर के लिए प्रयोगनीय हैं, जबकि
ट्रेनें लम्बी दूरियों के लिए सस्ता यातायात उपलब्ध करातीं हैं। बेस्ट के अधीन
लगभग 3,408
बसें
चलतीं हैं,
जो
प्रतिदिन लगभग 4.5
मिलियन
यात्रियों को 340
बस-रूटों
पर लाती ले जातीं हैं। इसके बेड़े में सिंगल-डेकर, डबल-डेकर, वेस्टीब्यूल, लो-फ्लोर, डिसेबल्ड
फ्रेंड्ली,
वातानुकूलित
एवं हाल ही में जुड़ीं यूरो-तीन सम्मत सी एन जी चालित बसें सम्मिलित हैं।
महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एम एस आर टी सी) की अन्तर्शहरीय यातायात सेवा
है,
जो
मुंबई को राज्य व अन्य राज्यों के शहरों से जोड़तीं हैं। मुंबई दर्शन सेवा के द्वारा
पर्यटक यहां के स्थानीय पर्यटन स्थलों का एक दिवसीय दौरा कर सकते हैं। काली व पीली, मीटर-युक्त
टैसी सेवा पूरे शहर में उपलब्ध है। मुंबई के उपनगरीय क्षेत्रों में ऑटोरिक्शा उपलब्ध
हैं,
जो
सी एन जी चालित हैं,
व
भाड़े पर चलते हैं। ये तिपहिया सवारी जाने आने का उपयुक्त साधन हैं। ये भाड़े के यातायात
का सबसे सस्ता जरिया हैं,
व
इनमें तीन सवारियां बैठ सकतीं हैं।
छत्रपति शिवाजी अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र
दक्षिण एशिया का व्यस्ततम हवाई अड्डा है। मुंबई का छत्रपति शिवाजी अन्तर्राष्ट्रीय
विमानक्षेत्र
(पूर्व
सहर अन्तर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र) दक्षिण एशिया का व्यस्ततम हवाई अड्डा है।जूहू
विमानक्षेत्र भारत का प्रथम विमानक्षेत्र है, जिसमें
फ्लाइंग क्लब व एक हैलीपोर्ट भी हैं। प्रस्तावित नवी मुंबई अन्तर्राष्ट्रीय
विमानक्षेत्र,
जो
कोपरा-पन्वेल क्षेत्र में बनना है, को
सरकार की मंजूरी मिल चुकी है, पूरा होने पर, वर्तमान
हवाई अड्डे का भार काफी हद तक कम कर देगा। मुंबई में देश के 25% अन्तर्देशीय
व 38%
अन्तर्राष्ट्रीय
यात्री यातायात सम्पन्न होता है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण, मुंबई
में विश्व के सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक पत्तन उपलब्ध हैं। यहां से ही देश के यात्री व
कार्गो का 50%
आवागमन
होता है।यह भारतीय नौसेना का एक महत्वपूर्ण बेस भी है, क्योंकि
यहां पश्चिमी नौसैनिक कमान भी स्थित है। फैरी भी द्वीपों आदि के लिए उपलब्ध हैं, जो कि
द्वीपों व तटीय स्थलों पर जाने का एक सस्ता जरिया हैं।
उपयोगिता सेवाएं
बीएमसी मुख्यालय बी एम सी शहर की पेय जलापूर्ति
करता है। इस जल का अधिकांश भाग तुलसी एवं विहार झील से तथा कुछ अन्य उत्तरी झीलों
से आता है। यह जल भाण्डुप एशिया के सबसे बड़े जल-शोधन संयंत्र में में शोधित कर
आपूर्ति के लिए उपलब्ध कराया जाता है। भारत की प्रथम भूमिगत जल-सुरंग भी मुंबई में
ही बनने वाली है। बी एम सी ही शहर की सड़क रखरखाव और कूड़ा प्रबंधन भी देखता है।
प्रतिदिन शहर का लगभग ७८०० मीट्रिक टन कूड़ा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में मुलुंड, उत्तर-पश्चिम
में गोराई और पूर्व में देवनार में डम्प किया जाता है। सीवेज ट्रीटमेंट वर्ली और
बांद्रा में कर सागर में निष्कासित किया जाता है। मुंबई शहर में विद्युत आपूर्ति
बेस्ट,
रिलायंस
एनर्जी,
टाटा
पावर और महावितरण (महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लि.) करते हैं। यहां की
अधिकांश आपूर्ति जल-विद्युत और नाभिकीय शक्ति से होती है। शहर की विद्युत खपत
उत्पादन क्षमता को पछाड़ती जा रही है। शहर का सबसे बड़ा दूरभाष सेवा प्रदाता एम टी
एन एल है। इसकी २००० तक लैंडलाइन और सेल्युलर सेवा पर मोनोपॉली थी। आज यहां मोबाइल
सेवा प्रदाताओं में एयरटेल,
वोडाफोन, एम टी
एन एल,
बी
पी एल,
रिलायंस
कम्युनिकेशंस और टाटा इंडिकॉम हैं। शहर में जी एस एम और सी डी एम ए सेवाएं, दोनों
ही उपलब्ध हैं। एम टी एन एल एवं टाटा यहां ब्रॉडबैंड सेवा भी उपलब्ध कराते हैं।
जनसांख्यिकी
Since
the 1970s, Mumbai has witnessed a construction boom and a significant influx of
migrants, making it India's largest city २००१ की जनगणना अनुसार मुंबई की
जनसंख्या ११,९१४,३९८
थी। वर्ल्ड गैज़ेटियर द्वारा २००८ में किये गये गणना कार्यक्रम के अनुसार मुंबई की
जनसंख्या १३,६६२,८८५ थी।
तभी मुंबई महानगरीय क्षेत्र की जनसंख्या २१,३४७,४१२
थी। यहां की जनसंख्या घनत्व २२,००० व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर था। २००१ की
जनगणना अनुसार बी.एम.सी के प्रशासनाधीन ग्रेटर मुंबई क्षेत्र की साक्षरता दर
७७.४५% थी,
जो
राष्ट्रीय औसत ६४.८% से अधिक थी। यहां का लिंग अनुपात ७७४ स्त्रियां प्रति १००० पुरुष
द्वीपीय क्षेत्र में,
८२६
उपनगरीय क्षेत्र और ८११ ग्रेटर मुंबई में, जो
आंकड़े सभी राष्ट्रीय औसत अनुपात ९३३ से नीचे हैं। यह निम्नतर लिंग अनुपात बड़ी
संख्या में रोजगार हेतु आये प्रवासी पुरुषों के कारण है, जो
अपने परिवार को अपने मूल स्थान में ही छोड़कर आते हैं। मुंबई में ६७.३९% हिन्दू, १८.५६%
मुस्लिम,
३.९९%
जैन और ३.७२% ईसाई लोग हैं। इनमें शेष जनता सिख और पारसीयों की है। मुंबई में
पुरातनतम,
मुस्लिम
संप्रदाय में दाउदी बोहरे,
खोजे
और कोंकणी मुस्लिम हैं। स्थानीय ईसाइयों में ईस्ट इंडियन कैथोलिक्स हैं, जिनका
धर्मांतरण पुर्तगालियों ने १६वीं शताब्दी में किया था। शहर की जनसंख्या का एक छोटा
अंश इज़्राइली बेने यहूदी और पारसीयों का भी है, जो
लगभग १६०० वर्ष पूर्व यहां फारस की खाड़ी या यमन से आये थे। मुंबई में भारत के
किसी भी महानगर की अपेक्षा सबसे अधिक बहुभाषियों की संख्या है।महाराष्ट्र राज्य की
आधिकारिक राजभाषा मराठी है। अन्य बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी, और
अंग्रेज़ी हैं। एक सर्वसाधारण की बोलचाल की निम्न-स्तरीय भाषा है बंबइया हिन्दी
जिसमें अधिकांश शब्द और व्याकरण तो हिन्दी का ही है, किंतु
इसके अलावा मराठी और अंग्रेज़ी के शब्द भी हैं। इसके अलावा कुछ शब्द यही अविष्कृत
हैं। मुंबई के लोग अपने आफ को मुंबईकर या मुंबैयाइट्स कहलाते हैं। उच्चस्तरीय
व्यावसाय में संलग्न लोगों द्वारा अंग्रेज़ी को वरीयता दी जाती है। मुंबई में भी
तीव्र गति से शहरीकरण को अग्रसर विकसित देशों के शहरों द्वारा देखी जारही प्रधान
शहरीकरण समस्या का सामना करना पड़ रहा है। इनमें गरीबी, बेरोजगारी, गिरता
जन-स्वास्थ्य और अशिक्षा/असाक्षरता प्रमुख हैं। यहां की भूमि के मूल्य इतने ऊंचे
हो गये हैं,
कि
लोगों को निम्नस्तरीय क्षेत्रों में अपने व्यवसाय स्थल से बहुत दूर रहना पड़ता है।
इस कारण सड़कों पर यातायात जाम, और लोक-परिवहन आदि में अत्यधिक भीड़ बढ़ती ही जा
रही हैं। मुंबई की कुल जनसंख्या का लगभग ६०% अंश गंदी बस्तियों और झुग्गियों में
बसता है। धारावी,
एशिया
की दूसरी सबसे बड़ी स्लम-बस्त्ती मध्य मुंबई में स्थित है, जिसमें
८ लाख लोग रहते हैं। ये स्लम भी मुंबई के पर्यटक आकर्षण बनते जा रहे हैं। मुंबई
में प्रवारियों की संख्या १९९१-२००१ में ११.२ लाख थी, जो मुंबई
की जनसंख्या में कुल बढ़त का ५४.८% है। २००७ में मुंबई की अपराध दर (भारतीय दंड
संहिता के अंतर्गत दर्ज अपराध) १८६.२ प्रति १ लाख व्यक्ति थी, जो
राष्ट्रीय औसत १७५.१ से कुछ ही अधिक है, किंतु भारत
के दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहर सूची के अन्य शहरों की औसत दर ३१२.३ से बहुत
नीचे है। शहर की मुख्य जेल अर्थर रोड जेल है।
संस्कृति
बंबई
एशियाटिक सोसाइटी शहर की पुरातनतम पुर्तकालयों में से एक है। मुंबई की संस्कृति
परंपरागत उत्सवों,
खानपान, संगीत, नृत्य
और रंगमंच का सम्मिश्रण है। इस शहर में विश्व की अन्य राजधानियों की अपेक्षा
बहुभाषी और बहुआयामी जीवनशैली देखने को मिलती है, जिसमें
विस्तृत खानपान,
मनोरंजन
और रात्रि की रौनक भी शामिल है। मुंबई के इतिहास में यह मुख्यतः एक प्रधान व्यापारिक
केन्द्र रहा है। इस खारण विभिन्न क्षेत्रों के लोग यहां आते रहे, जिससे
बहुत सी संस्कृतियां,
धर्म, आदि यहां
एकसाथ मिलजुलकर रहते हैं। मुंबई भारतीय चलचित्र का जन्मस्थान है।—दादा साहेब
फाल्के ने यहां मूक चलचित्र के द्वारा इस उद्योग की स्थापना की थी। इसके भाद ही
यहां मराठी चलचित्र का भी श्रीगणेश हुआ था। तब आरंभिक बीसवीं शताब्दी में यहां सबसे
पुरानी फिल्म प्रसारित हुयी थी। मुंबई में बड़ी संख्या में सिनेमा हॉल भी हैं, जो
हिन्दी,
मराठी
और अंग्रेज़ी फिल्में दिखाते हैं। विश्व में सबसे बड़ा IMAX डोम रंगमंच
भी मुंबई में वडाला में ही स्थित है।
मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव और फिल्मफेयर पुरस्कार की वितरण कार्यक्रम सभा मुंबाई में ही आयोजित होती हैं। हालांकि मुंबई के ब्रिटिश काल में स्थापित अधिकांश रंगमंच समूह १९५० के बाद भंग हो चुके हैं, फिर भी मुंबई में एक समृद्ध रंगमंच संस्कृति विकसित हुयी हुई है। ये मराठी और अंग्रेज़ी, तीनों भाषाओं के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी विकसित है। यहां कला-प्रेमियों की कमी भी नहीं है। अनेक निजी व्यावसायिक एवं सरकारी कला-दीर्घाएं खुली हुई हैं। इनमें जहांगीर कला दीर्घा और राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा प्रमुख हैं। १८३३ में बनी बंबई एशियाटिक सोसाइटी में शहर का पुरातनतम पुस्तकालय स्थित है। छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय (पूर्व प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूज़ियम) दक्षिण मुंबई का प्रसिद्ध संग्रहालय है, जहां भारतीय इतिहास के अनेक संग्रह सुरक्षित हैं। मुंबई के चिड़ियाघर का नाम जीजामाता उद्यान है (पूर्व नाम: विक्टोरिया गार्डन्स), जिसमें एक हरा भरा उद्यान भी है। नगर की साहित्य में संपन्नता को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति तब मिली जब सल्मान रश्दी और अरविंद अडिग को बुकर सम्मान मिले थे। यही के निवासी रुडयार्ड किपलिंग को १९०७ में नोबल पुरस्कार भी मिला था। मराठी साहित्य भी समय की गति क साथ साथ आधुनिक हो चुका है। यह मुंबई के लेखकों जैसे मोहन आप्टे, अनंत काणेकर और बाल गंगाधर तिलक के कार्यों में सदा दृष्टिगोचर रहा है। इसको वार्षिक साहित्य अकादमी पुरस्कार से और प्रोत्साहन मिला है।
मुंबई अंतर्राष्ट्रीय फिल्म उत्सव और फिल्मफेयर पुरस्कार की वितरण कार्यक्रम सभा मुंबाई में ही आयोजित होती हैं। हालांकि मुंबई के ब्रिटिश काल में स्थापित अधिकांश रंगमंच समूह १९५० के बाद भंग हो चुके हैं, फिर भी मुंबई में एक समृद्ध रंगमंच संस्कृति विकसित हुयी हुई है। ये मराठी और अंग्रेज़ी, तीनों भाषाओं के अलावा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी विकसित है। यहां कला-प्रेमियों की कमी भी नहीं है। अनेक निजी व्यावसायिक एवं सरकारी कला-दीर्घाएं खुली हुई हैं। इनमें जहांगीर कला दीर्घा और राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा प्रमुख हैं। १८३३ में बनी बंबई एशियाटिक सोसाइटी में शहर का पुरातनतम पुस्तकालय स्थित है। छत्रपति शिवाजी महाराज वास्तु संग्रहालय (पूर्व प्रिंस ऑफ वेल्स म्यूज़ियम) दक्षिण मुंबई का प्रसिद्ध संग्रहालय है, जहां भारतीय इतिहास के अनेक संग्रह सुरक्षित हैं। मुंबई के चिड़ियाघर का नाम जीजामाता उद्यान है (पूर्व नाम: विक्टोरिया गार्डन्स), जिसमें एक हरा भरा उद्यान भी है। नगर की साहित्य में संपन्नता को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति तब मिली जब सल्मान रश्दी और अरविंद अडिग को बुकर सम्मान मिले थे। यही के निवासी रुडयार्ड किपलिंग को १९०७ में नोबल पुरस्कार भी मिला था। मराठी साहित्य भी समय की गति क साथ साथ आधुनिक हो चुका है। यह मुंबई के लेखकों जैसे मोहन आप्टे, अनंत काणेकर और बाल गंगाधर तिलक के कार्यों में सदा दृष्टिगोचर रहा है। इसको वार्षिक साहित्य अकादमी पुरस्कार से और प्रोत्साहन मिला है।
एलीफेंटा की गुफाएं विश्व धरोहर स्थ घोषित हैं।
मुंबई शहर की इमारतों में झलक्ता स्थापत्य गोथिक, इंडो
रेनेनिक,
आर्ट
डेको और अन्य समकालीन स्थापत्य शैलियों का संगम है। ब्रिटिश काल की अधिकांश इमारतें, जैसे विक्टोरिया
टर्मिनस और बंबई विश्वविद्यालय, गोथिक शैली में निर्मित हैं। इनके वास्तु घटकों
में यूरोपीय प्रभाव साफ दिखाई देता है, जैसे जर्मन
गेबल,
डच
शैली की छतें,
स्विस
शैली में काष्ठ कला,
रोमन
मेहराब साथ ही परंपरागत भारतीय घटक भी दिखते हैं। कुछ इंडो सेरेनिक शैली की इमारतें
भी हैं,
जैसे
गेटवे ऑफ इंडिया। आर्ट डेको शैली के निर्माण मैरीन ड्राइव और ओवल मैदान के किनारे दिखाई
देते हैं। मुंबई में मायामी के बाद विश्व में सबसे अधिक आर्ट डेको शैली की इमारतें
मिलती हैं। नये उपनगरीय क्षेत्रों में आधुनिक इमारतें अधिक दिखती हैं। मुंबई में
अब तक भारत में सबसे अधिक गगनचुम्बी इमारतें हैं। इनमें ९५६ बनी हुई हैं, और २७२
निर्माणाधीन हैं।(२००९ के अनुसार) १९९५ में स्थापित, मुंबई धरोहर
संरक्षण समिति (एम.एच.सी.सी) शहर में स्थित धरोहर स्थलों के संरक्षण का ध्यान रखती
है। मुंबई में दो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं – छत्रपति
शिवाजी टर्मिनस और एलीफेंटा की गुफाएं शहर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में नरीमन
पाइंट,
गिरगौम
चौपाटी,
जूहू
बीच और मैरीन ड्राइव आते हैं। एसेल वर्ल्ड यहां का थीम पार्क है, जो गोरई
बीच के निकट स्थित है। यहीं एशिया का सबसे बड़ा थीम वाटर पार्क, वॉटर
किंगडम भी है। मुंबई के निवासी भारतीय त्यौहार मनाने के साथ-साथ अन्य त्यौहार भी
मनाते हैं। दिवाली,
होली, ईद, क्रिसमस, नवरात्रि, दशहरा, दुर्गा
पूजा,
महाशिवरात्रि, मुहर्रम
आदि प्रमुख त्यौहार हैं। इनके अलावा गणेश चतुर्थी और जन्माष्टमी कुछ अधिक धूम-धाम
के संग मनाये जाते हैं। गणेश-उत्सव में शहर में जगह जगह बहुत विशाल एवं भव्य पंडाल
लगाये जाते हैं,
जिनमें
भगवान गणपति की विशाल मूर्तियों की स्थापना की जाती है। ये मूर्तियां दस दिन बाद
अनंत चौदस के दिन सागर में विसर्जित कर दी जाती हैं। जन्माष्टमी के दिन सभी
मुहल्लों में समितियों द्वारा बहुत ऊंचा माखान का मटका बांधा जाता है। इसे मुहल्ले
के बच्चे और लड़के मुलकर जुगत लगाकर फोड़ते हैं। काला घोड़ा कला उत्सव कला की एक
प्रदर्शनी होती है,
जिसमें
विभिन्न कला-क्षेत्रों जैसे संगीत, नृत्य, रंगमंच
और चलचित्र आदि के क्षेत्र से कार्यों का प्रदर्शन होता है। सप्ताह भर लंबा
बांद्रा उत्सव स्थानीय लोगों द्वारा मनाया जाता है। बाणागंगा उत्सव दो-दिवसीय
वार्षिक संगीत उत्सव होता है, जो जनवरी माह में आयोजित होता है। ये उत्सव
महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (एम.टी.डी.सी) द्वारा ऐतिहाशिक बाणगंगा सरोवर के
निकट आयोजित किया जाटा है। एलीफेंटा उत्सव—प्रत्येक फरवरी माह में
एलीफेंटा द्वीप पर आयोजित किया जाता है। यह भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं शास्त्रीय
नृत्य का कार्यक्रम ढेरों भारतीय और विदेशी पर्यटक आकर्षित करता है। शहर और प्रदेश
का खास सार्वजनिक अवकाश १ मई को महाराष्ट्र दिवस के रूप में महाराष्ट्र राज्य के
गठन की १ मई,
१९६०
की वर्षागांठ मनाने के लिए होता है।
मीडिया
मुम्बई में ही हिन्दी चलचित्र उद्योग- बॉलीवुड बसा
हुआ है। मुंबई में बहुत से समाचार-पत्र, प्रकाशन
गृह,
दूरदर्शन
और रेडियो स्टेशन हैं। मराठी पत्रों में नवकाल, महाराष्ट्र
टाइम्स,
लोकसत्ता, लोकमत, सकाल आदि
प्रमुख हैं। मुंबई में प्रमुख अंग्रेज़ी अखबारों में टाइम्स ऑफ इंडिया, मिड डे, हिन्दुस्तान
टाइम्स,
डेली
न्यूज़ अनालिसिस एवं इंडियन एक्स्प्रेस आते हैं। मुंबई में ही एशिया का सबसे पुराना
समाचार-पत्र बॉम्बे समाचार भी निकलता है।] बॉम्बे दर्पण प्रथम मराठी समाचार-पत्र
था,
जिसे
बालशास्त्री जाम्भेकर ने १८३२ में आरंभ किया था। यहां बहुत से भारतीय एवं अंतर्राष्ट्रीय
टीवी चैनल्स उपलब्ध हैं। यह महानगर बहुत से अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया निगमों और
मुद्रकों एवं प्रकाशकों का केन्द्र भी है। राष्ट्रीय टेलीवीज़र प्रसारक दूरदर्शन, दो टेरेस्ट्रियल
चैनल प्रसारित करता है,
और
तीन मुख्य केबल नेटवर्क अन्य सभी चैनल उपलब्ध कराते हैं। केबल चैनलों की विस्तृत
सूची में ईएसपीएन,
स्टार
स्पोर्ट्स,
ज़ी
मराठी,
ईटीवी
मराठी,
डीडी
सह्याद्री,
मी
मराठी,
ज़ी
टाकीज़,
ज़ी
टीवी,
स्टार
प्लस,
सोनी
टीवी और नये चैनल जैसे स्टार मांझा आइ कई मराठी व अन्य भाषाओं के चैनल शामिल हैं। मुंबई
के लिए पूर्ण समर्पित चैनलों में सहारा समय मुंबई आदि चैनल हैं। इनके अलावा डी.टी.एच
प्रणाली अपनी ऊंची लागत के कारण अभी अधिक परिमाण नहीं बना पायी है। प्रमुख डीटीएच
सेवा प्रदाताओं में डिश टीवी, बिग टीवी, टाटा स्काई
और सन टीवी हैं। मुंबई में बारह रेडियो चैनल हैं, जिनमें
से नौ एफ़ एम एवं तीन ऑल इंडिया रेडियो के स्टेशन हैं जो ए एम प्रसारण करते हैं मुंबई
में कमर्शियल रेडियो प्रसारण प्रदाता भी उपलब्ध हैं, जिनमें
वर्ल्ड स्पेस,
सायरस
तथा एक्स एम प्रमुख हैं। बॉलीवुड, हिन्दी चलचित्र उद्योग भी मुंबई में ही स्थित है।
इस उद्योग में प्रतिवर्शः १५०-२०० फिल्में बनती हैं। बॉलीवुड का नाम अमरीकी
चलचित्र उद्योग के शहर हॉलीवुड के आगे बंबई का ब लगा कर निकला हुआ है। २१वीं
शताब्दी ने बॉलीवुड की सागरपार प्रसिद्धि के नये आयाम देखे हैं। इस कारण फिल्म
निर्माण की गुणवत्ता,
सिनेमैटोग्राफ़ी
आदि में नयी ऊंचाइयां दिखायी दी हैं। गोरेगांव और फिल सिटी स्थित स्टूडियो में ही अधिकांश
फिल्मों की शूटिंग होतीं हैं। मराठी चलचित्र उद्योग भी मुंबई में ही स्थित है।
शिक्षा
राजाबाई घंटाघर, मुंबई विश्वविद्यालय
के निकट मुंबई के विद्यालय या तो नगरपालिका विद्यालय होते हैं, या निजी
विद्यालय होते हैं,
जो
किसी न्यास या व्यक्ति द्वारा चलाये जा रहे होते हैं। इनमें से कुछ निजी विद्यालयों
को सरकारी सहायता भी प्राप्त होती है। ये विद्यालय महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड, अखिल भारतीय
काउंसिल ऑफ इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्ज़ामिनेशंस (आई.सी.एस.ई) या सीबीएसी बोर्ड
द्वारा संबद्ध होते हैं। यहां मराठी या अंग्रेज़ी शिक्षा का माध्यम होता है सरकारी
सार्वजनिक विद्यालयों में वित्तीय अभाव के चलते बहुत सी कमियां होती हैं, किंतु गरीब
लोगों का यही सहारा है,
क्योंकि
वे महंगे निजी विद्यालय का भार वहन नहीं कर सकते हैं। १०+२+३/४ योजना के अंतर्गत, विद्यार्थी
दस वर्ष का विद्यालय समाप्त कर दो वर्ष कनिष्ठ कालिज (ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा)
में भर्ती होते हैं। यहां उन्हें तीन क्षेत्रों में से एक चुनना होता है: कला, विज्ञान
या वाणिज्य। इसके भाद उन्हें सामान्यतया एक ३-वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम अपने चुने क्षेत्र
में कर ना होता है,
जैसे
विधि,
अभियांत्रिकी
या चिकित्सा इत्यादि। शहर के अधिकांश महाविद्यालय मुंबई विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हैं, जो स्नातओं
की संख्यानुसार विश्व के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है। भारतीय प्रौद्योगिकी
संस्थान (बंबई) वीरमाता जीजाबाई प्रौद्योगिकी संस्थान (वी.जे.टी.आई) और
युनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (यू.आई.सी.टी), भारत के
प्रधान अभियांत्रिकी और प्रौद्योगिकी संस्थानों में आते हैं, और [[एस एन
डी टी महिला विश्वविद्यालय मुंबई के स्वायत्त विश्वविद्यालय हैं। मुंबई में
जमनालाल बजाज प्रबंधन शिक्षा संस्थान, एस पी
जैन प्रबंधन एवं शोध संस्थान एवं बहुत से अन्य प्रबंधन महाविद्यालय हैं। मुंबई
स्थित गवर्नमेंट लॉ कालिज तथा सिडनहैम कालिज, भारत
के पुरातनतम क्रमशः विधि एवं वाणिज्य महाविद्यालय हैं। सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स
मुंबई का पुरातनतम कला महाविद्यालय है। मुंबई में दो प्रधान अनुसंधान संस्थान भी
हैं: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टी.आई.एफ.आर), तथा
भाभा आण्विक अनुसंधान केन्द्र (बी.ए.आर.सी). भाभा संस्थान ही सी आई आर यू एस, ४० मेगावाट
नाभिकीय भट्टी चलाता है,
जो
उनके ट्रॉंबे स्थित संस्थान में स्थापित है।
क्रीड़ा
ब्रेबोर्न स्टेडियम, शहर के
सबसे पुराने क्रिकेट स्टेडियमों में से एक है क्रिकेट शहर और देश के सबसे चहेते
खेलों में से एक है।. महानगरों में मैदानों की कमी के चलते गलियों का क्रिकेट सबसे
प्रचलित है। मुंबई में ही भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) स्थित है।
मुंबई क्रिकेट टीम रणजी ट्रॉफी में शहर का प्रतिनिधित्व करती है। इसको अब तक ३८
खिताब मिले हैं,
जो
किसी भी टीम को मिलने वाले खिताबों से अधिक हैं। शहर की एक और टीम मुंबई इंडियंस
भी है,
जो
इंडियन प्रीमियर लीग में शहर की टीम है। शहर में दो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैदान
हैं- वान्खेड़े स्टेडियम और ब्रेबोर्न स्टेडियम शहर में आयोजित हुए सबसे बड़े
क्रिकेट कार्यक्रम में आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी का २००६ का फाइनल था। यह ब्रेबोर्न
स्टेडियम में हुआ था। मुंबई से प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ियों में विश्व-प्रसिद्ध
सचिन तेन्दुलकर और सुनील गावस्कर हैं। क्रिकेट की प्रसिद्ध के चलते हॉकी कुछ नीचे
दब गया है। मुंबई की मराठा वारियर्स प्रीमियर हाकी लीग में शहर की टीम है प्रत्येक
फरवरी में मुंबई में डर्बी रेस घुड़दौड़ होती है। यह महालक्ष्मी रेसकोर्स में
आयोजित की जाती है। मैक-डॉवल्स डर्बी भी टर्फ़ क्लब में फ़रवरी में माह में ही
आयोजित की जाती है। फार्मूला वन कार रेस के प्रेमी भी यहां बढ़ते ही जा रहे हैं
२००८ में,
फोर्स
इंडिया (एफ़ १) टीम कार मुंबई में अनावृत हुई थी मार्च २००४ में यहां मुंबई ग्रैंड
प्रिक्स एफ़ १ पावरबोट रेस की विश्व प्रतियोगिता का भाग आयोजित हुआ था।
मुंबई कुछ और जानकारियाँ:-
मुम्बई बिजनेस केपिटल ऑफ इंडिया
मुम्बई को पहले बॉम्बे के नाम से जाना जाता था। भारत के चार प्रमुख महानगरों में
से एक होने के साथ-साथ यह महाराष्ट्र राज्य की राजधानी भी है। मुम्बई शहर को
बिजनेस केपिटल ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। यहां देश के प्रमुख वित्तीय
और संचार केन्द्र है। भारत का सबसे बड़ा शेयर बाजार, जिसका
विश्व में तीसरा स्थान है मुम्बई में ही स्थित है। मुम्बई भारत के पश्चिमी
समुद्रतट पर स्थित है। यह अरबियन समुद्र के सात द्वीपों का एक हिस्सा है। मुम्बई
सामान्य रूप से सात द्वीपों जिनके नाम कोलाबा, माजागांव, ओल्ड
वूमन द्वीप,
वाडाला, माहीम, पारेल
और माटूंगा-सायन पर स्थित है। सन् 1661 में
इंग्लैंड के महाराजा चार्ल्स ने पुर्तगाल की राजकुमारी कैटरीना डे ब्रिगेंजा से
शादी की थी। शादी में दहेज के रूप में चार्ल्स को बम्बई शहर मिला था, जो
वर्तमान समय में मुम्बई के नाम से जाना जाता है। लेकिन सन् 1668 में
मुम्बई ईस्ट इंडिया कम्पनी के हाथों में चला गया। सन् 1868 में
महारानी विक्टोरिया ने शहर के प्रशासन को ईस्ट इंडिया कम्पनी से वापस ले लिया। भारत
में सबसे पहली रेल सेवा बॉम्बे (वीटी) और थाने के बीच 1861 के
बीच शुरू हुई। वहीं महात्मा गांधी ने भी सन् 1920 में
भारतीय राजनीति में प्रवेश किया था। कहां
घूमें गेटवे ऑफ इंडिया गेटवे आफॅ इंडिया मुम्बई का बहुत ही प्रसिद्ध स्थान है। यह
अपोलो बंडर के समीप स्थित है। इसकी रूपरेखा जार्ज विककेट ने तैयार की थी। जबकि
इसका निर्माण किंग जार्ज और क्वीन मैरी ने 1911 में
करवाया था।
फ्लोरा फाउंटेन (हुतामा चौक) - इस संगमरमर फाउंटेन का निर्माण 1869 में
सर हैंरी बेरटल और एडवर्ड फ्रेर के सम्मान में किया गया था। चौपाटी
और जूहू बीच - चौपाटी बीच मारीन ड्राईव में स्थित है। यह बीच मुख्य रूप से यहां
लगने वाले भेल-पूरी और पानी पूरी चाट के स्टोल के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह
मुम्बईवासियों की पहली पंसद है। जूहू बीच मुम्बई का सबसे प्रसिद्ध बीच है। यह
मुम्बई से तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह बीच पिकनिक स्थल के रूप में भी
काफी प्रसिद्ध है। यह बीच बहुत ही बड़ा है, जो
सेंटाक्रूज से लेकर वेली-पार्ले तक फैला हुआ है। वीकेंड के दौरान इन दोनों ही बीच
पर बहुत अधिक भीड़ रहती है। हाजी अली - हाजी अली एक मस्जिद है। यहां पर एक
मुस्लिम संत की समाधि है। यह स्थान अरबियन समुद्र के समुद्र तट पर बने महालक्ष्मी
मंदिर के समीप स्थित है। हाजी अली में हर धर्म, हर
मजहब के लोग आते हैं।
महालक्ष्मी मंदिर - यह मंदिर महालक्ष्मी समुद्र के बिल्कुल क रीब स्थित है। इस
मंदिर में तीन बहुत ही सुंदर मूर्तियां है। यह मूर्तियां महालक्ष्मी, महासरस्वती
और महाकाली की है। यह मूर्तियां सोने की बनी हुई है। नवरात्रि के त्यौहारों के
दौरान,
असंख्य
हिन्दू भक्त भगवान को नारियल, फूल और मिठाई चढ़ाते हैं। माउंट
मेरी चर्च - यह मुम्बई के विशिष्ट और भव्य चर्चो में से एक है। यह चर्च बांद्रा
(पश्चिम) में स्थित है। इस चर्च में सितम्बर माह के दौरान सप्ताह भर तक मेला लगता
है। जिसमें हर धर्म के लोग इस मेले में शामिल होते हैं।
महालक्ष्मी रेस कोर्स - यह रेस कोर्स महालक्ष्मी समुद्र तट के समीप स्थित है। यह
रस कोर्स विश्व के प्रसिद्ध रेस कोर्स में से एक है। यहां रेसिंग सीजन छह महीने
अक्टूबर से अप्रैल तक होता है। इस दौरान यहां विशाल संख्या में भीड़ रहती है। नेहरू
प्लेनेटरीयम और विज्ञान केन्द्र - इस जगह नाम पंडित जवाहर नेहरू की मृत्यु के बाद
रखा गया। यह स्थान वर्ली में स्थित है। यहां पर कम्प्यूटर प्रयोगशाला, मोबाइल
विज्ञान प्रदर्शनी इकाई,
हैरीटेज
हॉल,
ऑडिटोरियम, विज्ञान
पुस्तकालय और बच्चों के लिए साइंस पार्क आदि भी है। यहां स्थित पुस्तकालय में बहुत
अधिक संख्या में खगोल विद्या, खगोल भौतिकी और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ी किताबें
हैं। यहां अतंरिक्ष में स्थित तारामंडल का वर्णन साथ में ध्वनि प्रभाव और स्लाइड
प्रोजेक्शन अत्यधिक आकर्षक होने के साथ-साथ मनोरजंन और शिक्षा से भी जुड़ा हुआ है। द
प्रिंस ऑफ वेलस् म्यूजियम - यह संग्रहालय गेटवे ऑफ इंडिया से बस थोड़ी सी
दूरी पर स्थित है। यहां शिल्प-कला, मूर्तिकला, चाइना
और प्राचीन इत्यादि सम्बन्धित बहुमूल्य संग्रह है। इस इमारत का निर्माण विक्टोरियन
गोथिक ने 1904 में
करवाया था। इस संग्रहालय के चारों ओर बेहद ही खूबसूरत बगीचा है।
तारापोरवाला एक्वेरियम - यह जगह मरीन ड्राईव में स्थित है। इस एक्वेरियम में
अलग-अलग शेप,
साइज
और रंग की मछलियां है।
विक्टोरिया गार्डन (वीरमाता जीजाबाई भोसंले उद्यान) - यह
वनस्पतिक और प्राणी विज्ञान से सम्बन्धित बगीचा हैं। इस बगीचे में रोचक वनस्पतियों
और जीवों का संग्रह है। इसके अतिरिक्त यहां स्थित संग्रहालय की इमारत ग्रेको-रोमन
शैली में बनाई गई है। इस बगीचे के प्रवेश द्वार पर बहुत अधिक संख्या में पत्थर से
बने हाथी भी है। जो बहुत ही खूबसूरत है। यह बगीचा बायकुल्ला में स्थित है।
एलिफेंटा द्वीप - एलिफेंटा द्वीप यूनेस्को विश्व पैतृक स्थल है। यह मुम्बई से 11
किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां स्थित गुफा में चट्टानों को कांट कर मूर्तियां
बनाई गई है। इस गुफा के बाहर बहुत ही मजबूत अस्तिश्म चट्टान भी है। यहां स्थित
पर्वत पर भगवान शिव की मूर्ति भी है। इसके अलावा यहां एक मंदिर भी है जिसके भीतर
गुफा बनी हुई है। मंदिर में एक बड़ा हॉल भी है जिसमें भगवान शिव की नौ मूर्तियों
के खण्ड विभिन्न मुद्राओं को प्रस्तुत करते हैं। यहां से हर तीस मिनट के बाद एक
नाव जाती है जो केवल सुबह के नौ बजे से लेकर दोपहर के बारह बजे के बीच ही चलती है।
अपोलो बंडर से एलीफेंटा के बीच नाव चलने का समय दोपहर के एक बजे से लेकर शाम बजे
के बीच वापस आती है। एसेल वर्ल्ड
-यह गौरी बीच के समीप स्थित है। एसेल वर्ल्ड भारत का सबसे बड़ा मनोरंजन पार्क है।
यहां अलग-अलग तरह के झूले हैं। जोगेश्वरी गुफा - यह गुफा 1500 साल
पुरानी है। इस गुफा तक पहुंचने के लिए चर्च गेट से 45 मिनट
की यात्रा करनी होती है। जोगेश्वरी गुफा मंदिर में विशाल केंद्रीय हॉल भी है।
इसके अतिरिक्त हनुमान,
देवी
माता,
जोगेश्वरी
और गणेशजी की मूर्तियां भी यहां स्थित है।
हेंगिग गार्डन - हेंगिग गार्डन को फिरोजशाह मेहता गार्डन के नाम से भी जाना जाता
है। यह गार्डन तीन जलाशय के ऊपर बना हुआ है।
खरीददारी
मुम्बई में शॉपिंग करना एक यादगार अनुभव हो सकता है। यहां लगने वाले बाजारों में चोर बाजार, मटन स्ट्रीट और जावरी बाजार प्रसिद्ध है। चोर बाजार से असाधारण से प्राचीन, आभूषण, लकड़ी की वस्तुएं, चमड़े का सामान और सामान्य छोटी-मोटी वस्तुएं आसानी से मिल जाएगी। क्रोफोर्ड बाजार फूलों, फल, मीट और मछली के लिए प्रसिद्ध है। वहीं जावरी बाजार से सस्ते दामों में आभूषण खरीदे जा सकते हैं। रंगीन और नव-निर्माण गलीचे के लिए मेयरवेदर मार्ग, ताज महल होटल के पीछे जा सकते हैं। लेकिन यहां मिलने वाले गालीचों की कीमत बहुत अधिक है। कपड़ों की खरीददारी के लिए सेंट्रल कॉटेज इंडस्टरी इम्पोरियम (अपोलो बंडर)और खादी विलेज इंडस्टरी इम्पोरियम (डी.एन.रोड़) जा सकते हैं। यहां बिल्कुल निश्चित कीमत पर कपड़े मिलते हैं। लेकिन यहां मिलने वाले कपड़े बेहतरीन किस्म के होते हैं। ग्लैमरस चीजों की खरीद के लिए कीम्स कॉर्नर, वार्डन रोड़, ब्रीच केंडी और नेपिन सी रोड़ सबसे बेहतरीन जगहों में से है। इसके अलावा इत्र, कशीदा और जरी के काम वो भी हाथ से बने हुए चीजों के लिए प्रसिद्ध मोहम्मद अली रोड़ में बहुत सारी दुकानें है। मुम्बई 20 में विभिन्न डिजाइनरों जैसे हूगो बॉस, पिरी कार्डिन, अरमानी, पोलो स्पोर्ट और अन्य बहुत से डिजाइनरों के ब्रांड यहां मिल जाएंगें।
मुम्बई में शॉपिंग करना एक यादगार अनुभव हो सकता है। यहां लगने वाले बाजारों में चोर बाजार, मटन स्ट्रीट और जावरी बाजार प्रसिद्ध है। चोर बाजार से असाधारण से प्राचीन, आभूषण, लकड़ी की वस्तुएं, चमड़े का सामान और सामान्य छोटी-मोटी वस्तुएं आसानी से मिल जाएगी। क्रोफोर्ड बाजार फूलों, फल, मीट और मछली के लिए प्रसिद्ध है। वहीं जावरी बाजार से सस्ते दामों में आभूषण खरीदे जा सकते हैं। रंगीन और नव-निर्माण गलीचे के लिए मेयरवेदर मार्ग, ताज महल होटल के पीछे जा सकते हैं। लेकिन यहां मिलने वाले गालीचों की कीमत बहुत अधिक है। कपड़ों की खरीददारी के लिए सेंट्रल कॉटेज इंडस्टरी इम्पोरियम (अपोलो बंडर)और खादी विलेज इंडस्टरी इम्पोरियम (डी.एन.रोड़) जा सकते हैं। यहां बिल्कुल निश्चित कीमत पर कपड़े मिलते हैं। लेकिन यहां मिलने वाले कपड़े बेहतरीन किस्म के होते हैं। ग्लैमरस चीजों की खरीद के लिए कीम्स कॉर्नर, वार्डन रोड़, ब्रीच केंडी और नेपिन सी रोड़ सबसे बेहतरीन जगहों में से है। इसके अलावा इत्र, कशीदा और जरी के काम वो भी हाथ से बने हुए चीजों के लिए प्रसिद्ध मोहम्मद अली रोड़ में बहुत सारी दुकानें है। मुम्बई 20 में विभिन्न डिजाइनरों जैसे हूगो बॉस, पिरी कार्डिन, अरमानी, पोलो स्पोर्ट और अन्य बहुत से डिजाइनरों के ब्रांड यहां मिल जाएंगें।
एक दृष्टि में-
राज्य- महाराष्ट्र
क्षेत्रफल- 430.86 वर्ग किलोमीटर
घूमने का समय- अक्टूबर से मार्च
टेलीफोन कोड- 022
भाषा- मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी और गुजराती
तापमान- गर्मियां- मार्च से मई (अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस)
मानसून- जून से सितम्बर (औसत वर्षा: 210 सेंटीमीटर)
सर्दियां- अक्टूबर से फरवरी (न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस)
राज्य- महाराष्ट्र
क्षेत्रफल- 430.86 वर्ग किलोमीटर
घूमने का समय- अक्टूबर से मार्च
टेलीफोन कोड- 022
भाषा- मराठी, हिन्दी, अंग्रेजी और गुजराती
तापमान- गर्मियां- मार्च से मई (अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस)
मानसून- जून से सितम्बर (औसत वर्षा: 210 सेंटीमीटर)
सर्दियां- अक्टूबर से फरवरी (न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस)
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग- मुम्बई में अंर्तराष्ट्रीय और घरेलू हवाई अड्डा है। इन दोनों हवाई अड्डों के नाम क्षत्रपति शिवाजी है। अंर्तराष्ट्रीय ट्रर्मिनल सहार में स्थित है। जो शहर के केन्द्र के उत्तर से लगभग तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जबकि घरेलू टर्मिनल सेंटा क्रूज में स्थित है, जो केवल चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
वायु मार्ग- मुम्बई में अंर्तराष्ट्रीय और घरेलू हवाई अड्डा है। इन दोनों हवाई अड्डों के नाम क्षत्रपति शिवाजी है। अंर्तराष्ट्रीय ट्रर्मिनल सहार में स्थित है। जो शहर के केन्द्र के उत्तर से लगभग तीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जबकि घरेलू टर्मिनल सेंटा क्रूज में स्थित है, जो केवल चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
रेल मार्ग- मुम्बई में लोकमान्य तिलक टर्मिनल
(एलटीटी) और दादर स्टेशन है। सीटीसी मुख्य स्टेशन है, जहां
पर अधिकतर रेलें रूकती है। सबसे प्रमुख रेलवे स्टेशन विक्टोरिया रेलवे स्टेशन है।
जिसे अब क्षत्रपति शिवाजी नाम से जाना है। अन्य रेलवे स्टेशन चर्चगेट और कुरला में
स्थित है।
सड़क मार्ग- केंद्रीय रेलवे स्टेशन के विपरीत ही
राज्य परिवहन टर्मिनल स्थित है। यहां से भारत यात्रा के लिए आसानी से बस मिल जाएंगी।
लेकिन यदि आपको हिन्दी और मराठी की जानकारी नहीं है और आपके पास अंग्रेजी में भी
छपी हुई जानकारी नहीं है तो यह आपके लिए अच्छा विकल्प नहीं है। वैसे अधिकतर सभी
पड़ोसी राज्य जैसे गोवा,
गुजरात, कर्नाटक
और मध्य प्रदेश आदि के राज्य बस कम्पनी कार्यालय यहां पर स्थित है।
भोजन
कोलाबा बड़े मियां, मुसाफिर खानं गुलशन-ए-ईरान, हाजी अली जूस सेंटर, शिव सागर जूहू स्थित है यह सब अरबन तड़का के लिए प्रसिद्ध है। चॉकलेट चाय के लिए दादर स्थित पश्चिम स्टेशन जा सकते हैं। जबकि पानी पूरी के लिए बांद्रा के कराची स्वीट जाया जा सकता है। गर्म पोहा और साबूदाना वड़ा के लिए महापालिका मार्ग जा सकते हैं। होर्नीमन सर्कल के नजदीक अपूर्वा में मंगलोरियन सीफ्रूड का मजा ले सकते हैं। भिंडी बाजार और नूर मोहम्मदी में रमजान के महीनें में यहां सड़क किनारे लगने वाली रेहड़ी से फिरनी और मालपुआ का स्वाद चख सकते हैं। स्वाति स्नैक्स जो टारडियो मार्ग में स्थित है भारत के बेहतरीन स्नैक्स मिलते हैं। सिन्धुद्वार जो आर.के. विद्या रोड़, दादर पश्चिम में स्थित है मछली के प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां के चिड़वा और लड्डू का स्वाद भी ले सकते है। बहुत ही कम दाम में दक्षिण भारतीय शाकाहारी खाने के लिए रामानायक उद्दुपी, माटूंगा केंद्रीय स्टेशन के समीप। अगर आप बांद्रा (पश्चिम) में है तो लक्की रेस्तरां में जा सकते हैं। यह रस्तरां बिरयानी से लिए प्रसिद्ध है। गांधी नगर स्थित गोमांतक हाईवे, अपना बाजार, बांद्रा (पूर्व) में कोकर्णी के विभिन्न व्यंजन परोसे जाते हैं। इसके अलावा कोकर्णी खाने के लिए सायबा, बांद्रा (पूर्व) में स्थित है।
कोलाबा बड़े मियां, मुसाफिर खानं गुलशन-ए-ईरान, हाजी अली जूस सेंटर, शिव सागर जूहू स्थित है यह सब अरबन तड़का के लिए प्रसिद्ध है। चॉकलेट चाय के लिए दादर स्थित पश्चिम स्टेशन जा सकते हैं। जबकि पानी पूरी के लिए बांद्रा के कराची स्वीट जाया जा सकता है। गर्म पोहा और साबूदाना वड़ा के लिए महापालिका मार्ग जा सकते हैं। होर्नीमन सर्कल के नजदीक अपूर्वा में मंगलोरियन सीफ्रूड का मजा ले सकते हैं। भिंडी बाजार और नूर मोहम्मदी में रमजान के महीनें में यहां सड़क किनारे लगने वाली रेहड़ी से फिरनी और मालपुआ का स्वाद चख सकते हैं। स्वाति स्नैक्स जो टारडियो मार्ग में स्थित है भारत के बेहतरीन स्नैक्स मिलते हैं। सिन्धुद्वार जो आर.के. विद्या रोड़, दादर पश्चिम में स्थित है मछली के प्रसिद्ध है। इसके अलावा यहां के चिड़वा और लड्डू का स्वाद भी ले सकते है। बहुत ही कम दाम में दक्षिण भारतीय शाकाहारी खाने के लिए रामानायक उद्दुपी, माटूंगा केंद्रीय स्टेशन के समीप। अगर आप बांद्रा (पश्चिम) में है तो लक्की रेस्तरां में जा सकते हैं। यह रस्तरां बिरयानी से लिए प्रसिद्ध है। गांधी नगर स्थित गोमांतक हाईवे, अपना बाजार, बांद्रा (पूर्व) में कोकर्णी के विभिन्न व्यंजन परोसे जाते हैं। इसके अलावा कोकर्णी खाने के लिए सायबा, बांद्रा (पूर्व) में स्थित है।
साभार-विकीपीडिया व स्रोत
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