हवा
को बचाना है, पानी को बचाना है
पृथ्वी
को बचाना है, जीवों को बचाना है
पेड़
को बचाना है, जंगल को बचाना है
जंगल
में रहनेवाले जानवरों को बचाना है
झरने
को बचाना है, नदी को बचाना है
बह
सके जिसमें नदी, उस पहाड़ को बचाना है
बेटी
को बचाना है, बूढ़े माँ-बाप को बचाना है
तेजी
से बिखरते हुए, समाज को बचाना है
मानव
को बचाना है, मानवता को बचाना है
मगर
देखना मरने न पाए तुम्हारी आँखों का पानी
क्योंकि
इन सब को बचाने के लिए जरूरी
तुम्हारी
आँखों के कोरों में पानी को बचाना है
(कृष्ण धर शर्मा, २०१६)
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