नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

बुधवार, 24 जुलाई 2019

मानवता की समस्याएं


पढाई के शुरुआती दिनों में
जबकि पढने-लिखने की तमाम
विषयवस्तु होती है लगभग
मजेदार, सरल व् आकर्षक
ठीक वैसे ही तो जैसे
बलि के बकरे को बलि से पहले
नहलाया-धुलाया जाता है
खिलाया-पिलाया जाता है
वयस्कता की तरफ बढ़ते हुए
किशोरवय मनःस्थिति पर
शुरू होती हैं कोशिशें
वैचारिकता और दुनियादारी की
तमाम परतें चढाने की
एक साफ़-सुथरे और निष्कपट मन को
चतुर और चालाक बनाने की
कोशिशें होती हैं यह भी समझाने की
कि सत्य, अहिंसा और शांति की राह
हम साधारण लोगों के लिए नहीं है
वह तो बड़े-बड़े महापुरुषों के लिए है
हमारे लिए तो बस यही लक्ष्य है
कि पढ़-लिखकर बन सकें
एक कुशल और कठोर प्रशासक
या एक सफल वैज्ञानिक
जो बनवा सके तमाम तरह के
आधुनिक व् खतरनाक हथियार
बम, बारूद, तोपें और मिसाइल
ताकि हम जीत सकें दुनिया को
और हो सकें अमर, अजेय!
काश! हमें पढाया जाता
कि कैसे जीतना है दिल किसी दुश्मन का
कैसे सुलझाना है गणित दुश्मनी का
ताकि हम और हमारे तथाकथित दुश्मन
साथ मिलकर यह सोच सकें कि
कैसे सुलझानी है मानवता की समस्याएं
कैसे देनी है अपनी अगली पीढ़ी को
एक शांत और बेहतर दुनिया....
         (कृष्ण धर शर्मा, 04.10.2018)

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