नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

रविवार, 2 अक्टूबर 2011

मुहावरे (क)

कंघी - चोटी करना : श्रृंगार करना, बनाव-सिंगार करना।
आज सबेरे से मेरी ही सेवा में लगी रही। नहलाया-धुलाया, कंघी-चोटी की, कपड़े-बपड़े पहनाये, सभी उसी ने किया।

कंचन बरसना : बहुत अधिक लाभ होना।
सुजान की खेती में कई साल से कंचन बरस रहा था।

कच्चा चबाना : कठोर दण्ड देना।
नारायणी भी तो आने वाली थी, कब आएगी? उसे भी तो तेरी भाभी कच्चा ही चबा जाएगी।

कच्ची गोली खेलना : अनाड़ीपन, ऐसा काम करना जिससे विफलता हाथ लगे।
आप शायद चाहते होंगे, जब आपको राजा साहब से रुपये मिल जाते तो आप मुझे दो हजार रुपये दे देते तो मैं ऐसी कच्ची गोली नहीं खेलता।

कट जाना : बहुत लज्जित होना।
जब मैं स्त्रियों के ऊपर दया दिखाने का उत्साह पुरुषों में देखती हूँ तो जैसे कट जाती हूँ।

कठपुतली की तरह नचाना : दूसरों से अपनी इच्छा के अनुसार काम कराना।
यही लोग उन बेचारों को कठपुतली की तरह नचा रहे हैं।

कढ़ी का - सा उबाल : शीघ्र ही समाप्त हो जाने वाला जोश।
मैं उस पर विश्वास नहीं कर सकता, क्योंकि उसमें कढ़ी का-सा उबाल आता है।

कतरब्योंत से : हिसाब से, समझ-बूझकर।
वह ऐसी कतरब्योंत से चलते हैं कि थोड़ी आमदनी में अपनी प्रतिष्ठा बनाए हुए हैं।

कन्नी काटना : कतराकर, बचकर किनारे से निकल जाना।

कब्र में पाँव लटकाना : मौत के निकट आना।
अब मुझे अम्मा कब्र में पैर लटकाए दीख पड़ती थीं।

कबाब में हड्डी : सुखोपभोग में बाधक होना।
एक बार तो मेरे जी में आया कि चलो लौट चलो, क्यों खामखाह किसी के कबाब में हड्डी बन रहे हो।

करम फूटना : अभागा होना, भाग्य बिगड़ना।
मेरे तो करम फूटे हैं ही।

कमर कसना : तैयार होना।
उसने निश्चय किया कि वह कमर कसकर नए सिरे से अपना जीवन-संघर्ष आरम्भ करेगा।

कलई खुलना : रहस्य प्रकट होना, वास्तविक बात ज्ञात होना।
उन्हें सबसे विषम वेदना यही थी कि मेरे मनोभावों की कलई खुल गई।

कलेजा बैठना : घोर दु:ख या ग्लानि होना, उत्साह मंद पड़ना।
यह याद करके मेरा कलेजा बैठा जा रहा है कि अब मैं आप लोगों के लिए कुछ भी न कर सकूँगा।

कलेजे पर पत्थर रखना : जी कड़ा करना।
यह सशंकिता विधवा अपने कलेजे पर पत्थर रखकर अपनी इस प्यारी संतान को त्याग देने के लिए बाध्य हुई।

कलेजा पसीजना : दया आना।
उसका करुण क्रन्दन सुनकर सबका कलेजा पसीज गया।

कलेजे का टुकड़ा : पुत्र।
वे अपने ही कलेजे के टुकड़े हैं।

कलेजे में आग लगना : दु:ख देना।
यह शब्द उसके कलेजे में चुभ गए थे।

कसौटी पर कसना : अच्छी तरह जाँच करना, परीक्षा लेना।
निस्सन्देह कृष्ण भगवान ने मुझे प्रेम-कसौटी पर कसा और मैं खोटी निकली।

कहा-सुनी हो जाना : झगड़ा, वाद-विवाद होना।
प्राय: बच्चों के पीछे पति-पत्नी में कहा-सुनी हो जाती थी।

कहानी समाप्त होना : मृत्यु हो जाना।
जिस समय उसने जबरदस्ती मुझे अपनी विशाल भुजाओं में घेर लिया उस समय मैंने सोचा कि कहानी समाप्त हो गई।

कहीं का न रखना : किसी काम का न छोड़ना, निराश्रय कर देना।
आपने सारी जायदाद चौपट कर दी, हम लोगों को कहीं का न रखा।

काँटा निकालना : बाधा या खटका दूर करना।
यह न समझो कि मैं अपने लिए, अपने पहलू का काँटा निकालने के लिए तुमसे ये बातें कर रही हूँ।

काँटा बोना : अनिष्ट, बुराई करना।
मैं ऐसा पागल नहीं हूँ कि जो मुझे काँटे बोये, मैं उसके लिए फूल बोता फिरूँ।

काँटों में घसीटना : बहुत दुख देना।
वह हाथ में आ जाता तो काँटों में ऐसा घसीटता कि उसे होश आ जाता।

काँव-काँव करना : शोरगुल, हल्ला मचाना।
बिरादरी का झंझट जो है, सारा गाँव काँव-काँव करने लगेगा।

काग़ज की नाव : अस्थायी, क्षणिक, न टिकने वाली वस्तु।
हमारा शरीर काग़ज की नाव है, अतएव इस पर गर्व नहीं करना चाहिए।

काग़जी घोड़े दौड़ाना : लिखा-पढ़ी करना, केवल काग़जी कार्रवाई करना।
आप क्या करते हैं, सिर्फ कागजी घोड़े दौड़ाते हैं।

काटो तो खून नहीं : स्तब्ध हो जाना, सन्न हो जाना।
मुझे काटो तो खून नहीं, तब क्या बात सचमुच ही यहाँ तक बढ़ गई थी?

कान का कच्चा : बिना सोचे-बिचारे दूसरों की बातों पर विश्वास कर
लेने वाला।
पन्तजी ऐसे पहले महाकवि नहीं थे जो ऐसे मामलों में कान के कच्चे थे।

कान काटना : चालाकी, धूर्तता आदि में किसी से बढ़कर होना।
मान गया बहू जी तुम्हें, वाह, क्या हिकमत निकाली है। हम सबके कान काट लिए।

कान पर जूँ न रेंगना : बार-बार कहने पर भी बात को ध्यान में न
बच्चे लाख चीखें, रोएँ-चिल्लाएँ, उस सहिष्णु जननी के कान पर कभी जूँ नहीं रेंगती।

कान भरना : शिकायत करना।
वह मेरे विरुद्ध गुरुजी के कान भरता है।

काना-फूँसी करना : चुपके-चुपके, बहुत धीरे-धीरे बात करना
कुछ लोग आपस में काना-फूँसी कर रहे थे, माया शंकर कितना भाग्यवान लड़का है।

कानून छाँटना : व्यर्थ की दलीलें देना, निरर्थक तर्क उपस्थित करना

कानों में अंगुली डालना : किसी बात को न सुनने का प्रयास करना, सुनने की इच्छा न होना।

काफूर हो जाना : एकाएक गायब हो जाना
द्वारकादास की नैराश्य उत्पादक दशा से तारा की कठोरता काफूर हो गई।

काया पलट होना : रूप, गुण, दशा, स्थिति आदि का पूर्णतया बदल जाना, और का और हो जाना
अभी यह मेरे साथ बैठा हुआ कैसी-कैसी बातें कर रहा था। इतनी ही देर में इसकी ऐसी कायापलट हो गई कि मेरी जड़ खोदने पर तुला हुआ है।

कारूँ का खजाना : कुबेर का कोष अतुल धनराशि।

काला धन : बेईमानी और तस्करी आदि से पैदा किया हुआ धन।
मैं उनके काले धन का हिसाब रखा करता था।

काला बाजार : वह बाजार जहाँ चोरी और तस्करी आदि की चीजों का क्रय-विक्रय होता है।
आजादी के बाद आया फूट, असंगठन, विलास,व्यभिचार, लूट, डाके, खून और काले बाजार काजमाना।

कालिख पोतना : कलंकित करना।
अब मेरी जान बख्शो, क्यों मेरे मुँह में कालिख पोत रहीहो?

काले कोसों : बहुत दूर।
सुबह दस बजे इसे तरकारी लाने के वास्ते भेजा था और वह भी काले कोसों नहीं।

काले पानी भेजना : देश निकाले का दंड देना, अंडमान द्वीप मेंभेजना जहाँ पहले आजीवन कैद का दंड पाने वालेअपराधी भेजे जाते थे।

किताबी कीड़ा : जो मनुष्य केवल पुस्तक पढ़ता रहता हो,जिसके पास केवल किताबों का ज्ञान हो, बुद्धि तथा अनुभव न हो।
मेरे जैसे किताब के कीड़े को कौन औरत पसन्द करेगी?

किला फतह करना : अत्यन्त कठिना काम करना।
यह कहकर मानों उन्होंने किला फतह कर लिया।

किस मुँह से : अपनी हीनता, अयोग्यता आदि का विचारकरके, अपने को दीन-हीन समझते हुए।
बहू से अब वह कहती भी तो किस मुँह से?

किसी के आगे पानी भरना : किसी की तुलना में अति तुच्छहोना, फीका पड़ना।
उन पाँच दिनों क्या ठाट रहते हैं वोटर के, बारात कादूल्हा भी उसके आगे पानी भरे।

किसी के घर में आग लगाकर अपना हाथ सेंकना : अपने काम केलिए दूसरों को भारी हानि पहुँचाना।
डॉक्टर साहब उन लोगों में हैं जो दूसरों के घर में आग लगाकरअपना हाथ सेकते हैं।

किसी के साथ मुँह काला करना : किसी के साथ व्यभिचार करना।
सारा दोष बुढ़िया का है, अरे दिन-दहाड़े जो यह डॉक्टरनीउसके बेटे के साथ मुँह काला किए फिर रही है, उससे अच्छायह नहीं है कि इसे बहू बना ले?

किसी को न गिनना : सबको तुच्छ, नगण्य समझना।
इस सफलता से मनीराम का सिर फिर गया था, वह किसी कोन गिनता था।

किसी खूंटे से बाँधना : किसी के साथ विवाह करना।
तेरी दीदी तो ऐसी गऊ है जिसे हमें ही किसी खूंटे से बाँधना
होगा।

किसी पर बरस पड़ना : एकाएक किसी से क्रोधपूर्ण बातें करना।
उनके जाते ही वह अपनी माँ पर बरस पड़ी।

किसी पर हाथ छोड़ देना : किसी को मारना-पीटना।
कभी-कभी हरसिंह अपनी बीवी पर हाथ छोड़ देता था।

किस्मत का फेर : अभाग्य, दुर्भाग्य, जमाने का उलट-फेर।
किस्मत का फेर देखिए, जो राजा थे वे रंक हो गए और जो रंक थे वे राजा हो गए।

कीड़े काटना : बेचैनी होना, जी उकताना।
दस मिनट पढ़ने के बाद उसे कीड़े काटने लगते हैं।

कुएँ का मेढ़क : बहुत अल्पज्ञ या कम अनुभव का व्यक्ति।

कुएँ में बाँस डालना : बहुत खोज करना।
उसके लिए कुओं में बाँस डाले गए, पर उसका पता नहीं चला।

कुएँ में भाँग पड़ना : सबकी बुद्धि मारी जाना, सबका पागल, मूर्खजैसा व्यवहार करना।

कुत्ता काटना : पागल होना।
क्या हमें कुत्ते ने काटा है जो हम इतनी रात को वहाँजाएँगे?

कुप्पा होना : फूल जाना, अत्यंत प्रसन्न होना।
जिस समय वह परीक्षा में पास होने की बात सुनेगाफूलकर कुप्पा हो जाएगा।

कुरसी देना : सम्मान करना।
बड़े-बड़े हाकिम उसे कुरसी देते हैं।

कोढ़ में खाज : दुख पर दुख, संकट पर संकट।

कोर-कसर न रखना : हर संभव प्रयास करना।
वह भिन्न-भिन्न प्रकृति और संस्कृति की इन युक्तियों को संघर्ष से बचाने और प्रेम से रखने में कुछ कोर-कसर न रखती थी।

कोरा जवाब देना : साफ इन्कार करना।
अगर सोफिया को क्लर्क से प्रेम न था, तो क्या वह उन्हें कोरा जवाब न दे सकती थी?

कोल्हू का बैल : बहुत अधिक परिश्रम करना वाला व्यक्ति।
कोल्हू के बैल की तरह खटकर सारी उम्र काट दी इसके यहाँ, कभी एक पैसे की जलेबी भी लाकर दी है इसके खसम ने?

कौड़ियों के मोल बिकना : बहुत ही सस्ते या कम दाम पर बिकना।

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