नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

रविवार, 24 जनवरी 2010

आंटी से कहना, मुझे भूल जाएं

लड़की: मेरी मम्मी को तुम बहुत पसंद आए।

लड़का: कुछ भी हो, मैं शादी तुमसे ही करूंगा। आंटी से कहना, मुझे भूल जाएं।

रविवार, 17 जनवरी 2010

आजादी के लिए

उन दिनों महान स्वतंत्रता सेनानी और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद देश के नामी वकीलों में गिने जाते थे। उनके पास मान-सम्मान और पैसे की कोई कमी नहीं थी। लेकिन जब गांधी जी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया तो राजेन्द्र बाबू ने वकालत छोड़ दी और अपना पूरा समय मातृभूमि की सेवा में लगाने लगे। हालांकि अपने एक पुराने मित्र रायबहादुर हरिहर प्रसाद सिंह को दिए वचन के कारण उनके मुकदमों की पैरवी के लिए उन्हें इंग्लैण्ड जाना पड़ा।

सीनियर बैरिस्टर अपजौन इंग्लैण्ड में हरि जी का केस लड़ रहे थे, जिनके साथ राजेन्द्र बाबू को काम करना था। अपजौन देखते कि राजेन्द्र बाबू सुबह से शाम तक अपना काम बिना कुछ बोले, पूरी निष्ठा और लगन के साथ करते रहते हैं। वह उनकी सादगी और विनम्रता से बेहद प्रभावित हुए। एक दिन किसी ने अपजौन को राजेंद्र बाबू के बारे में बताया कि वह एक सफल वकील रहे हैं पर अपने देश को आजाद कराने के लिए उन्होंने वकालत छोड़ दी और अब गांधीजी के निकटतम सहयोगी हैं।

अपजौन को आश्चर्य हुआ। वह सोचने लगे कि ये इतने दिनों से मेरे साथ काम कर रहे है पर अपने मुंह से आज तक अपने बारे में कुछ नहीं बताया। अपजौन एक दिन राजेन्द्र बाबू से बोले- लोग सफलता, पद और पैसे के पीछे भागते हैं और आप हैं कि इतनी चलती हुई वकालत को ठोकर मार दी। आपने गलत किया। राजेन्द्र बाबू ने जवाब दिया- एक सच्चे हिंदुस्तानी को अपने देश को आजाद कराने के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने के लिए तैयार रहना चाहिए। वकालत छोड़ना तो एक छोटी सी बात है। अपजौन अवाक रह गए।

लंबी-लंबी तो छोड़ रहा हूं।

प्रेमी: तुम्हारी आंखें कितनी हसीन हैं...

प्रेमिका: छोड़ो ना..

प्रेमी: तुम्हारे बाल कितने खूबसूरत हैं...




प्रेमिका: छोड़ो ना..

प्रेमी: तुम्हारे गाल कितने गुलाबी हैं...

प्रेमिका: छोड़ो ना..

प्रेमी: अरे इतनी देर से लंबी-लंबी तो छोड़ रहा हूं।