नेताजी एक सभा को संबोधित कर रहे थे. उनके भाषण का विषय था- भ्रष्टाचार, बढ़ती रिश्वतखोरी, अनैतिकता आदि. उनका कहना था कि मैं इन सब बुराइयों को अपने समाज से जड़ से मिटाने के लिये कृतसंकल्प हूँ और इस काम के लिये मुझे अपनी जान की बाजी भी लगानी पड़ी तो मैं पीछे नहीं हटूंगा और मेरा एक निवेदन है आप लोगों से कि मैंने जो विदेशी हटाओ स्वदेशी लाओ आंदोलन चलाया है उसमें आप लोग भी मेंरा सहयोग करें. विदेशी वस्तुओं को पराई स्त्री जैसी समझूंगा और उनकी तरफ आंख उठा कर भी ना देखें व अधिक से अधिक स्वदेशी वस्तुओं का का प्रयोग करें. गर्मी का मौसम था नेताजी पसीने से तर-बतर हो रहे थे और प्यास से उनका गला भी सूख रहा था अत: उन्होंने अंत में सब का आभार व्यक्त करते हुये (अपनी सभा को सफल बनाने के लिये) माइक अपने जूनियर नेताजी को पकडा़ दिया और वहां से निकलकर सीधे अपनी वातानुकूलित वैन में पहुंचे जो सर्वसुविधा युक्त थी सबसे पहले उन्होंने विदेशी ब्रान्ड का ठंडा कोल्ड्रिंक पीकर अपना गला तर किया और वैन में उपलब्ध अन्य सुविधाओं का आनंद लेते हुए वह एक पंचसितारा होटल पहुचे जहां पर कुछ बिजनेसमैन पहले से ही उनका इंतजार कर रहे थे, नेताजी ने उनसे किसी फैक्ट्री के लाइसेंस वगैरह के बारे में बात की और उन्हें आश्वस्त किया कि उनका काम हो जायेगा फिर उनके द्वारा दिये हुये दोनों सूटकेस चेक किये. इसके बाद सबने मिलकर विदेशी ब्रांड की शराब के साथ पार्टी की और जब नशे ने कुछ असर दिखाना शरू किया तो नेताजी नें उन्हें कुछ याद दिलाया तब वह व्यकित बाहर गये और कुछ देर में उन्होंने किसी को कमरे में अंदर धकेला और दरवाजा बाहर से बंद कर दिया. अंदर नेताजी अपने भाषण में बताये गये नैतिक आदर्शों की धज्जियां उड़ाने में व्यस्त हो गये...(कृष्ण धर शर्मा,2007)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें