नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 9 अगस्त 2011

क्यूं नहीं आते फरिश्ते

कहां गया वह जमाना जब
आते थे फरिश्ते धरती पर
अब तो लगता है देखने से भी
कतराते हैं फरिश्ते धरती पर
एक जमाना था जब
द्रौपदियों की लाज बचाने
आते थे फरिश्ते धरती पर
सक्रिय  होतीं आसुरी शकितयां
तब उन्हें मिटाने को
आते थे फरिश्ते धरती पर
जब बढ़ जाता बोझ  धरा पर
आते थे फरिश्ते धरती पर
संपूर्ण पापियों का सर्वनाश
कर जाते थे फरिश्ते धरती पर
लेकिन लुट रही आज द्रौपदियां
मगर लाज बचाने को 
नहीं आते फरिश्ते धरती पर
रौंदे जा रहे आज संतजन
नहीं आते फरिश्ते धरती पर
हर तरफ मचा है हाहाकार,अत्याचार
क्यूं नही आते फरिश्ते धरती पर.(कृष्ण धर शर्मा,1998)

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