एक सड़क किनारे एक सेठ मजदुर को डाट रहे थे , उसे गालियाँ और भला - भूरा कह रहे थे .
सेठ कि आँखों पे चश्मा हाथो में सोने का कड़ा उंगलियोमे अंगुठिया कीमती कपडे पुरे रोब के साथ मजदुर कि छोटी गलती कि वजह से उस पे बरस रहे थे . गरीब मजदुर फटे - पुराने कपडे पहने नजरे झुकाये सब सुन रहा था .
अचानक एक ट्रक ज़ोर से आया दोनों को कुचल दिया . दोनों खून से लथ - पथ थे . कुछ घंटो बाद दोनों को अलग - अलग चिता पर सफ़ेद कफ़न लिपटाकर जलाया जा रहा था . अब दोनों में कोई फरक नहीं था .
जब मरना सभी को है एक जैसा तो अहंकार किस बात का ?
पैसे का ?
किसी पद का ?
या किसी ऊँची जात का ?
ये सवाल अपने आप से पूछना!
सेठ कि आँखों पे चश्मा हाथो में सोने का कड़ा उंगलियोमे अंगुठिया कीमती कपडे पुरे रोब के साथ मजदुर कि छोटी गलती कि वजह से उस पे बरस रहे थे . गरीब मजदुर फटे - पुराने कपडे पहने नजरे झुकाये सब सुन रहा था .
अचानक एक ट्रक ज़ोर से आया दोनों को कुचल दिया . दोनों खून से लथ - पथ थे . कुछ घंटो बाद दोनों को अलग - अलग चिता पर सफ़ेद कफ़न लिपटाकर जलाया जा रहा था . अब दोनों में कोई फरक नहीं था .
जब मरना सभी को है एक जैसा तो अहंकार किस बात का ?
पैसे का ?
किसी पद का ?
या किसी ऊँची जात का ?
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