नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शनिवार, 30 अगस्त 2014

कमर दर्द



प्राणायाम और आसन  :-   
मर्कटासन, भुजंगासन, कमर घुमाना    
प्रात: का भोजन :-   
1) बैगन, सहजन, कुलत्थी की भाजी   
2) गेहूँ की रोटी (तेल युक्त)   
3) कच्चा आम, अंगूर, बेर एक फल खाना   
4) छाछ में चूना डालकर पीना   
शाम का भेजन :-   
1 भाजी में हींग और मेथी का छौंक लगाकर प्रयोग करें।   
2 सरसों तेल को गर्म करके लहसुन के साथ मालिश करें (रात को सोने से पहले)   
3 अश्वगंधा + सोंठ चूर्ण (1/2 चम्मच) गाय के दूध से   
 पथ्य :-  घी, तेल, गेहूँ, चावल, कुलत्थी, लहसुन, परवल, बैगन, गोमूत्र, अनार, रोजाना तेल मालिश।   अपथ्य :-  चना, मटर, अरहर, सुपारी, सेम, करेला, शहद, ठण्डा पानी ,ज्यादा देर तक जागना।   
रोग मुक्ति के लिये आवश्यक नियम  :   
 पानी के सामान्य नियम :    
) सुबह बिना मंजन/कुल्ला किये दो गिलास गुनगुना पानी पिएं   
) पानी हमेशा बैठकर घूँट-घूँट कर के पियें    
) भोजन करते समय एक घूँट से अधिक पानी कदापि ना पियें, भोजन समाप्त होने के डेढ़ घण्टे बाद पानी अवश्य पियें  
) पानी हमेशा गुनगुना या सादा ही पियें (ठंडा पानी का प्रयोग कभी भी ना करें।    
 भोजन के सामान्य नियम :    
) सूर्योदय के दो घंटे के अंदर सुबह का भोजन और सूर्यास्त के एक घंटे पहले का भोजन अवश्य कर लें    
) यदि दोपहर को भूख लगे तो १२ से बीच में अल्पाहार कर लें, उदाहरण - मूंग की खिचड़ी, सलाद, फल और छांछ    
) सुबह दही फल दोपहर को छांछ और सूर्यास्त के पश्चात दूध हितकर है   
 ) भोजन अच्छी तरह चबाकर खाएं और दिन में बार से अधिक ना खाएं     
 अन्य आवश्यक नियम :  
) मिट्टी के बर्तन/हांडी मे बनाया भोजन स्वस्थ्य के लिये सर्वश्रेष्ठ है    
) किसी भी प्रकार का रिफाइंड तेल और सोयाबीन, कपास, सूर्यमुखी, पाम, राईस ब्रॉन और वनस्पति घी का प्रयोग विषतुल्य है उसके स्थान पर मूंगफली, तिल, सरसो नारियल के घानी वाले तेल का ही प्रयोग करें    
 ) चीनी/शक्कर का प्रयोग ना करें, उसके स्थान पर गुड़ या धागे वाली मिश्री (खड़ी शक्कर) का प्रयोग करें  
) आयोडीन युक्त नमक से नपुंसकता होती है इसलिए उसके स्थान पर सेंधा नमक या ढेले वाले नमक  प्रयोग करें    
) मैदे का प्रयोग शरीर के लिये हानिकारक है इसलिए इसका प्रयोग ना करें
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