"गुरुजी ने कहा, "दोनों ही करतार की आज्ञा के अनुसार अस्तित्व में आये हैं। चाहे हिंदू हो या मुसलमान, दोनों की उत्पत्ति उसी करतार से हुई है। दोनों की राह अलग-अलग हैं, लेकिन मंजिल एक है- एको हुकुम वरतै सभ लोई। एकसु ते सभ ओपति होइ।। राह दोवै खसमु एको जाणु। गुर के सबदि हुकम पछाणु।। सगल रूप वरन मन माही। कहु नानक एको सालाही।। (सिख गुरु गाथा-जगजीत सिंह)
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