नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शनिवार, 23 मार्च 2019

सिख गुरु गाथा-जगजीत सिंह

 "गुरुजी ने कहा, "दोनों ही करतार की आज्ञा के अनुसार अस्तित्व में आये हैं। चाहे हिंदू हो या मुसलमान, दोनों की उत्पत्ति उसी करतार से हुई है। दोनों की राह अलग-अलग हैं, लेकिन मंजिल एक है- एको हुकुम वरतै सभ लोई। एकसु ते सभ ओपति होइ।। राह दोवै खसमु एको जाणु। गुर के सबदि हुकम पछाणु।। सगल रूप वरन मन माही। कहु नानक एको सालाही।। (सिख गुरु गाथा-जगजीत सिंह)



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