"गांधी महराज के धनि औ दीन शिष्य अनेक
पर एक ऐसी बात है जिसमें सभी हैं एक
हम पेट के हित दीन-पीड़न में नहीं अभ्यस्त
झुकते न धनियों से कभी न होते भय से त्रस्त"
-रवींद्रनाथ टैगोर (गांधी के सपनों का भारत-महेश प्रसाद सिंह)
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की बात
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