गर्मियों के आते ही लोग घर से निकलना कम ही पसंद करते हैं। आज की इस व्यस्तता भरी दुनिया में लोग अपनी ही भागदौड़ में लगे हुए है। जिससे परिवार और दोस्तों को वक़्त देना मुश्किल होता जा रहा है। आज हम आपको ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं। जो की पहले से ही विश्वप्रसिद्ध है। मगर इससे अच्छी जगह नहीं हो सकती जब आप अपने परिवार और दोस्तों को वक़्त देना चाहें। हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के विश्वप्रसिद्ध दार्शनिक स्थल और जलप्रपात घटारानी और जतमई की। इस जगह की सबसे अच्छी बात है की यहाँ आप किसी भी मौसम में जा सकते हैं।
छत्तीसगढ़ का ऐसा मंदिर जहां माता के चरण छूने मंदिर तक पहुंचती है जलधारा
ऐसा माना जाता है कि झरने के रूप में गिर रही यह जल धाराएं माता की सेविका हैं जो हमेशा माता के मंदिर के आसपास ही रहती हैं। प्राकृतिक रूप से यह स्थल काफी मनमोहक है।छत्तीसगढ़ में जतमई और घटरानी एेसे मंदिर हैं जहां जलधाराएं हर साल माता के चरण छूने मंदिर के अंदर तक पहुंचती हैं। ऐसा माना जाता है कि झरने के रूप में गिर रही यह जल धाराएं माता की सेविका हैं जो हमेशा माता के मंदिर के आसपास ही रहती हैं।
जतमई और घटारानी की सैर करने के लिए सभी मौसम अनुकूल है। बारिश के मौसम में आसपास का जंगल में हरियाली और ज्यादा बढ़ जाती है। और गर्मियों में हरियाली पेड़ की छाव और पानी आपका मन मोह लेगी। झरने का पानी और भी ज्यादा मनमोहक लगता है। इस झरने पर आकर पर्यटक नहाने का भी भरपूर मजा ले सकते हैं। घटारानी प्रपात तक पहुंचने के लिए घने जंगल के बीच बनी सकरी सड़क है। जिसमें बताया जाता है कि जंगली जानवर भी हैं। जो कभी कभी यहां से गुजरने वाले पर्यटकों के वाहन के सामने आ जाते हैं। प्रकृति प्रेमियों के लिए इन जगहों पर जाने का सबसे अच्छा समय अगस्त से फरवरी तक है।
साभार- दीपक साहू (पत्रिका)
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छत्तीसगढ़ का ऐसा मंदिर जहां माता के चरण छूने मंदिर तक पहुंचती है जलधारा
ऐसा माना जाता है कि झरने के रूप में गिर रही यह जल धाराएं माता की सेविका हैं जो हमेशा माता के मंदिर के आसपास ही रहती हैं। प्राकृतिक रूप से यह स्थल काफी मनमोहक है।छत्तीसगढ़ में जतमई और घटरानी एेसे मंदिर हैं जहां जलधाराएं हर साल माता के चरण छूने मंदिर के अंदर तक पहुंचती हैं। ऐसा माना जाता है कि झरने के रूप में गिर रही यह जल धाराएं माता की सेविका हैं जो हमेशा माता के मंदिर के आसपास ही रहती हैं।
प्राकृतिक रूप से यह स्थल काफी मनमोहक है। चारों ओर फैली हरियाली और उंचे पहाड़ों के बीच गिरता झरना यहां आने वालों के लिए यादगार बन जाता है। यह स्थल धार्मिक महत्व तो रखता ही है साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी समृद्ध है।
राजधानी से लगभग 80 किलोमीटर पर राजिम मार्ग पर स्थित है जतमई का यह स्थल। यहां से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है घटारानी। जतमई पहाड़ी को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित करने के बाद यह स्थल पर्यटन के नक्शेे पर आया जिसके बाद यहां पर लोग इस मनमोहक प्राकृतिक स्थल को जान व देख रहे हैं। पटेवा के निकट स्थित जतमई पहाड़ी एक 200 मीटर क्षेत्र में फैला पहाड़ है, जिसकी उंचाई करीब 75 मीटर है। यहां शिखर पर विशालकाय पत्थर आपस में जुड़े हुए हैं। जिसे देखकर लगता है इन्हें यहां किसी ने रखा हुआ है।
साभार- दीपक साहू (पत्रिका)
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