नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

साक्षात्कार- नरेन्द्र कोहली

 "एक निर्धन तपस्वी के लिए इतने धनी लोगों का सम्बन्धी होना जोखिम की बात है; और तुमने सुना ही होगा, देवि! मैंने अनेक राक्षसों का वध किया है।" राम कोमल स्वर में बोले, "ताड़का और सुबाहु भी मेरे हाथों ही मरे थे। रावण अवश्य ही मुझे अपना शत्रु मानता होगा। सम्भवतः किसी समय रावण से मेरा आमने-सामने युद्ध हो ।”

 शूर्पणखा ने राम की पूरी बात भी नहीं सुनी। राम की इच्छा की दिशा पहचानते ही जैसे वह उस ओर बह निकली, "युद्ध होता है, हो राम! कोई भय नहीं है। युद्ध किसी से भी हो, पत्नी तो अपने पति की ओर से ही लड़ेगी। तुम्हें कदाचित ज्ञान न हो कि मैंने अनेक शस्त्रास्त्रों का ज्ञान अपने भाई कुम्भकर्ण से पाया है; और योद्धा के रूप में रावण से तनिक भी हीन नहीं हूं। युद्ध की स्थिति में मेरी सेनाएं तुम्हारे पक्ष से रावण के विरुद्ध लड़ेंगी। स्वयं मैं तुम्हारी ओर से लडूंगी।..." शूर्पणखा को लगा कि वह रावण से अपने प्रेमी-द्रोह का प्रतिशोध ले रही है, "मैं तुम्हें रावण की वीरता, उसकी सेना, उसके शस्त्रों का एक-एक भेद बताऊंगी। उसकी व्यूह-रचना को खंड-खंड कर दूंगी। मैं इस राक्षस साम्राज्य को ध्वस्त कर दूंगी और अपने हाथों से तुम्हें लंका के सिंहासन पर बैठाकर तुम्हारा राज्याभिषेक करूंगी..." (साक्षात्कार- नरेन्द्र कोहली)



#साहित्य_की_सोहबत  #पढ़ेंगे_तो_सीखेंगे

#हिंदीसाहित्य  #साहित्य  #कृष्णधरशर्मा

Samajkibaat समाज की बात


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें