हमने वफ़ा की और उनसे भी वफ़ा ही चाही
अफ़सोस कि उन्हें बेवफाई में ही मज़ा आता है
कृष्णधर शर्मा 30.5.22
नमस्कार,आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757
हमने वफ़ा की और उनसे भी वफ़ा ही चाही
अफ़सोस कि उन्हें बेवफाई में ही मज़ा आता है
कृष्णधर शर्मा 30.5.22
कातिल को शौक था गला रेतकर मारने का
अपनी भी नसें मगर फौलादी ही निकलीं
कृष्णधर शर्मा 18.05.22