नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 31 मई 2022

उनसे भी वफ़ा ही चाही

 

हमने वफ़ा की और उनसे भी वफ़ा ही चाही

अफ़सोस कि उन्हें बेवफाई में ही मज़ा आता है

                     कृष्णधर शर्मा 30.5.22

गुरुवार, 19 मई 2022

कातिल को शौक था

 

कातिल को शौक था गला रेतकर मारने का

अपनी भी नसें मगर फौलादी ही निकलीं

                      कृष्णधर शर्मा 18.05.22