तिरंगा फहराने और जयहिन्द बोलने जितनी
आसान
नहीं थी देश की आजादी
बहुत
बड़ी कीमत चुकाई गई थी
आजादी
पाने के लिए
घर-बार
और अपनी जान से भी
हाथ
धोना पड़ा था लाखों लोगों को
आजादी
के दीवानों ने कितने ही जुल्म
और
कितनी ही यातनाएं झेली थी
तब
जाकर आजादी नसीब हुई थी हमें
जिसे
आज कौडियों के भाव बेचने की
साजिशें
की जा रही हैं....
(कृष्णधर शर्मा 15.8.2022)
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