नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

रविवार, 27 अगस्त 2023

दुर्गा और लक्ष्मी

 साप्ताहिक बाजार से शराब पीकर लौटते हुए

रास्ते में कहीं पर भी गिर जाता है उसका पति

एक हाथ से दुधमुंहे बच्चे को, और

दूसरे हाथ में सब्जी-भाजी का थैला पकडे हुए

वह समझ नहीं पाती है कि

अपने गिरे हुए पति को अब

किस हाथ से उठाये और घर तक पहुंचाए

अपने घर-परिवार में औरतों को दुर्गा और लक्ष्मी

मानने की कहानियां सुनकर बड़ी हुई

बचपन से ही सुनहरे भविष्य के सपने देखती

आज इस मोड पर अपने को अकेला पाकर

रोना भी आता है उसको यह सब देखकर

मगर खुद रोये या रोते बच्चे को चुप कराये

बहुत ही बेबस और लाचार पाती है वह अपने को

इन बहुत ही कठिन परिस्थितियों के बीच में...

              कृष्णधर शर्मा  27.8.23


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