साप्ताहिक बाजार से शराब पीकर लौटते हुए
रास्ते में कहीं पर भी गिर जाता है उसका पति
एक हाथ से दुधमुंहे बच्चे को, और
दूसरे हाथ में सब्जी-भाजी का थैला पकडे हुए
वह समझ नहीं पाती है कि
अपने गिरे हुए पति को अब
किस हाथ से उठाये और घर तक पहुंचाए
अपने घर-परिवार में औरतों को दुर्गा और लक्ष्मी
मानने की कहानियां सुनकर बड़ी हुई
बचपन से ही सुनहरे भविष्य के सपने देखती
आज इस मोड पर अपने को अकेला पाकर
रोना भी आता है उसको यह सब देखकर
मगर खुद रोये या रोते बच्चे को चुप कराये
बहुत ही बेबस और लाचार पाती है वह अपने को
इन बहुत ही कठिन परिस्थितियों के बीच में...
कृष्णधर शर्मा 27.8.23
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