दूसरों के दुःख देखकर मैं भी दुखी हो जाता हूँ
दूसरों को रोते देखकर अक्सर मैं भी रो देता हूँ
यूँ तो कमजोर नहीं मानता अपने को मगर
अपनों से लड़ते वक्त कमजोर पड़ जाता हूँ
कोशिश तो करता हूँ कि न दुखाऊँ दिल किसी का
मगर अनुशासनहीनता नहीं सह पाता हूँ
कई लोग नाराज रहा करते हैं मुझसे
मगर नाराजगी कि वजह नहीं बताते हैं
अपनी कमियों को स्वीकार नहीं करते
सारा दोष मुझपर ही लगा जाते हैं
समय का बड़ा पाबन्द हूँ मैं
औरों से भी यही चाहता हूँ
इसी चक्कर में अक्सर
रोज नए दुश्मन बनाता हूँ...
कृष्णधर शर्मा 7.4.24
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