नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

बुधवार, 14 अगस्त 2024

नेक बैंड और ईयर बड के अधिक उपयोग से सुनने की क्षमता हो रही कम

अगर आप मोबाइल नेक बैंड या ईयर बड का अधिक उपयोग करते हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. राकेश वर्मा ने दावा किया है कि इन उपकरणों के अत्यधिक इस्तेमाल से कानों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे सुनने की क्षमता कम हो सकती है और यहां तक कि बहरेपन की समस्या भी हो सकती है 

अगर आप मोबाइल नेक बैंड या ईयर बड का अधिक उपयोग करते हैं, तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण हो सकती है। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. राकेश वर्मा ने दावा किया है कि इन उपकरणों के अत्यधिक इस्तेमाल से कानों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे सुनने की क्षमता कम हो सकती है और यहां तक कि बहरेपन की समस्या भी हो सकती है।  

डॉ. वर्मा ने बताया कि आजकल के युवा मोबाइल नेक बैंड और ईयर बड का बहुत अधिक उपयोग कर रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप उनकी सुनने की शक्ति कमजोर हो रही है। इसके साथ ही, कान में दर्द और संक्रमण की शिकायतें भी बढ़ रही हैं। उन्होंने चेताया कि ईयरफोन, हेडफोन, और ईयर बड्स का लंबे समय तक इस्तेमाल करना कान के लिए हानिकारक हो सकता है, और इससे कानों में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

  डॉ. वर्मा ने कहा, "130 डेसिबल से ऊपर की आवाज कान में दर्द पैदा कर सकती है, और ज्यादा बेस वाले इयरफोन का वाइब्रेशन कान के पर्दे पर जोरदार प्रभाव डालता है, जिससे कानों को नुकसान पहुंचता है।"  

उन्होंने जोर देकर कहा कि इन उपकरणों का उपयोग बहुत कम और सावधानीपूर्वक करना चाहिए।  कानों की देखभाल के लिए इयरफोन और ईयर बड का सुरक्षित उपयोग करना महत्वपूर्ण है। ध्वनि के स्तर को नियंत्रित करना और सुरक्षित सुनने की आदतें विकसित करना आवश्यक है। 

संक्रमण से बचने के लिए साफ-सफाई का ध्यान रखना भी जरूरी है। समाज में इस समस्या के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है, ताकि युवाओं में इसके दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी बढ़े। इसके अलावा, इन उपकरणों के विकल्प के रूप में हेडफोन और स्पीकर का उपयोग भी किया जा सकता है, जो कानों के लिए कम हानिकारक होते हैं। 

इसके अलावा, उन्होंने यह भी सलाह दी कि कभी भी किसी और के इयरफोन का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि इयरफोन और इयरबड्स का उपयोग कम करें और अपने कानों की सुरक्षा का ध्यान रखें, ताकि भविष्य में सुनने की समस्याओं से बचा जा सके।

 डॉ. राकेश वर्मा

(साभार- देशबंधु)

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Krishnadhar Sharma कृष्णधर शर्मा