एक बड़ा अधिकारी था
सूरत से तो अच्छा था
सीरत से बड़ा भिखारी था
तनखा अच्छी पाता था
फिर भी मांग के खाता था
काम अधिक ना करता था
फिर भी रौब जमाता था
बड़े ठाट से रहता था
बड़े बाट से रहता था
एक बड़ा अधिकारी था
मांग-मांग कर खाता था
बड़े-बड़ों से डरता था
छोटों को सताता था
मंहगी दारू पीता था
सस्ती बातें करता था
अपने को अच्छा कहता
औरों को चोर बताता था
एक बड़ा अधिकारी था
मांग-मांग कर खाता था
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