नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024

यही तो है दिवाली

जब घर हो साफ-सुथरा

और मन भी हो निर्मल

स्वच्छता हो चारों ओर

हवा भी हो शीतल

अपना भी घर जगमग हो

दूसरों के घर भी अंधेरा न रहे

हम भी मुस्कुराएं और

दूसरों को भी मुस्कुराने दें

अपने अलावा भी किसी

और का घर जगमगाने दें

हम भी खाएं और दूसरों का

पेट भी न रहे खाली

यही तो त्योहारों का आनंद है

यही तो है दिवाली 

               कृष्णधर शर्मा 31.10.24

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