नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2025

 इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए,

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए.!!


आप दरिया हैं तो फिर इस वक़्त हम ख़तरे में हैं,

आप कश्ती हैं तो हम को पार होना चाहिए.!!


ऐरे-ग़ैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों,

आप को औरत नहीं अख़बार होना चाहिए.!!


ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें,

टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए.!!


अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे,

इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए.!!


  मुनव्वर राना साहब

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