इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए,
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए.!!
आप दरिया हैं तो फिर इस वक़्त हम ख़तरे में हैं,
आप कश्ती हैं तो हम को पार होना चाहिए.!!
ऐरे-ग़ैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों,
आप को औरत नहीं अख़बार होना चाहिए.!!
ज़िंदगी तू कब तलक दर-दर फिराएगी हमें,
टूटा-फूटा ही सही घर-बार होना चाहिए.!!
अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे,
इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए.!!
मुनव्वर राना साहब
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