नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

मंगलवार, 9 सितंबर 2025

दंगों के घाव

दंगों में कभी नहीं मारे जाते दंगाई

दंगों में मरते हैं हमेशा ही

बेकसूर और कमजोर लोग

जिन्हें शायद अपनी गलती भी

ठीक से नहीं होती पता

बुरे लोगों की बुराई की कीमत

हमेशा अच्छे लोग ही चुकाते हैं

दंगे करके निकल जाते हैं दंगाई

छोड़ जाते हैं अपने पीछे

कभी न भरने वाले घाव

जो रह-रहकर रिसते रहते हैं

जीवन भर किसी नासूर की तरह

          कृष्णधर शर्मा 8.9.25

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