नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

गुरुवार, 19 मई 2011

ऐसे पहुंचा अमेरिका ओसामा बिन लादेन तक

ओसामा बिन लादेन तक अमेरिकी फौजी कैसे पहुंचे, इसकी कहानी परत-दर-परत खुलने लगी है। पिछले साल ओसामा बिन लादेन के एक भरोसेमंद साथी ने एक फोन कॉल रिसीव की और इसी कॉल ने अमेरिका को ओसामा बिन लादेन के गिरेबां तक पहुंचा दिया।

एक अधिकारी ने बताया कि इस फोन कॉल के जरिए ही बिन लादेन के निजी संदेशवाहक (कुरियर) की एक साल पुरानी तलाश पूरी हुई थी। इस संदेशवाहक के चलते ही अमेरिकी खुफिया एजेंसियां लादेन के ठिकाने की पुख्‍ता जानकारी जुटा सकीं और नेवी सील कमांडो ने अंतत: रविवार को उसे मार गिराया।

इस फोन कॉल की मदद से ओसामा बिन लादेन के निजी संदेहवाहक (कुरियर) की तलाश पूरी हुई। इस कुरियर की मदद से अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ऐबटाबाद में लादेन के ठिकाने तक पहुंचने में सफल हो सकी और अंतत: अमेरिकी कमांडो ने रविवार की रात दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी को मौत के घाट उतार दिया।

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को लंबे समय से ओसामा बिन लादेन के इस भरोसेमंद कुरियर की तलाश थी।

खालिद शेख से मिला सुराग

11 सितंबर 2001 को हुए हमले के बाद सीआईए को ओसामा बिन लादेन के कुरियर अबू अहमद अल-कुवैती की तलाश थी। सीआईए ने अल कायदा के नंबर तीन खालिद शेख मोहम्मद को रावलपिंडी में गिरफ्तार किया, तो इस कुरियर के बारे में उसे पहली बार जानकारी मिली। खालिद ने कहा कि वह अल-कुवैती को जानता है, लेकिन उसने इस बात से इनकार किया कि उसका अल कायदा से किसी तरह का कोई संबंध है।

हसन गुल की गिरफ्तारी से मिली मदद

2004 में इराक में अल कायदा आतंकवादी हसन गुल को गिरफ्तार किया गया। हसन ने सीआईए को बताया कि अल-कुवैती अल कायदा का अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति है। हसन ने बताया कि वह फराज अल-लिबी का काफी करीबी है। लिबी अल कायदा का ऑपरेशनल कमांडर है। यही वह महत्वपूर्ण सुराग था लादेन के कुरियर तक पहुंचने का। सीआईए अफसरों ने बताया कि हसन गुल ही वह शख्स था, जिसने हमें लादेन के कुरियर तक पहुंचने की अहम जानकारी दी।

मई 2005 में अल-लिबी को गिरफ्तार कर लिया गया। लिबी ने सीआईए के सामने यह स्वीकार किया कि अल कायदा में उसके प्रमोशन की खबर एक कुरियर के माध्यम से मिली थी। लेकिन उसने अल-कुवैती को जानने से इनकार कर दिया। पूछताछ में सीआईए को पता चला कि यह कुरियर काफी महत्वपूर्ण है। अगर इस कुरियर यानी अल-कुवैती तक पहुंचा जा सकेगा तो लादेन भी मिल जाएगा।

फिर सालों की कोशिश के बाद सीआईए कुरियर की पहचान करने सफल रहा। कुरियर पाकिस्तानी था जिसका जन्म कुवैत में हुआ था। उसका नाम था शेख अबू अहमद। उसे अल-कुवैती के नाम से भी जानते थे।

एक कॉल ने पहुंचाया कुरियर तक

अब सीआईए के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी लादेन का पता लगाना। चूंकि, लादेन ना तो फोन या इंटरनेट का इस्तेमाल करता था और ना ही खुद इधर-उधर जाता था, इसलिए उसके बारे में पता लगाना बहुत ही मुश्किल था। लेकिन, अल-कुवैती की पहचान होने के बाद सीआईए का काम काफी आसान हो गया।

पिछले साल अमेरिकी अधिकारी किसी की फोन टैप कर रहे थे, इसी दौरान अल-कुवैती ने किसी की कॉल रिसीव की। अब अमेरिकी अधिकारियों के पास लादेन के सबसे भरोसमंद साथी का फोन नंबर था।

अबू अहमद लादेन से अलग रहता था। इसके बाद अमेरिकी खुफिया अफसरों ने अबू अहमद की हर गतिविधि पर नजर रखनी शुरू कर दी। वह कहां जाता है? किससे मिलता है? क्या करता है? लेकिन इसकी जानकारी किसी को भी नहीं दी। विशेषकर पाकिस्तानी अधिकारियों को, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं पाकिस्तानी लादेन के सतर्क ना कर दे।

अगस्त 2010 में अबू अहमद ऐबटाबाद के उस कंपाउंड में गया जहां लादेन रहता था। गौरतलब है कि लिबी भी कुछ दिन वहां रह चुका था। अमेरिकी खुफिया अधिकारियों को लगा कि हो ना हो लादेन इसी मकान में रहता है। उन्होंने उस मकान पर निगरानी शुरू कर दी। सैटलाइट से तस्वीरें लेनी शुरू कर दीं। लेकिन, किसी को भी इसकी जानकारी नहीं दी। जब इसके पुख्ता सबूत मिल गए तो अमेरिकी प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने ऐक्शन लेने का आदेश दिया, लेकिन इस प्लान से पाकिस्तान को दूर रखा।

मौत का लाइव कवरेज

कार्रवाई का सीधा प्रसारण देखने के लिए अपने सीनियर सहयोगियों से साथ अमेरिकी प्रेजिडेंट बराक ओबामा सिचुएशन रूम में बैठे थे। उधर वार रूम में कार्रवाई का सीधा प्रसारण और निगरानी रख रहे थे सीआईए चीफ लिओन पैनेटा।

लादेन का कोड वर्ड में नाम रखा गया था जेरोनिमो ( Geronimo).

ऐबटाबाद में कार्रवाई शुरू हो चुकी थी। कुछ मिनटों के बाद पैनेटा ना कहा जेरोनिमो देखा गया है। फिर संदेश आया एनिमी किल्ड इन एक्शन। यह संदेश सुनते सिचुएशन रूम में सन्नाटा छा गया। फाइनली इस सन्नाटे को प्रेजिडेंट ओबामा ने तोड़ा। ओबामा ने कहा, आखिर हमने उसे ढूंढ निकाला।

टाइम्स नाऊ के सूत्रों के मुताबिक, ओसामा बिन लादेन को एक सेकंड का भी वक्त नहीं मिला। उसे यह समझने का मौका ही नहीं मिला कि आखिर क्या हो रहा है। इसके पहले कि ओसामा संभल पाता अमेरिकी कमांडो की गोली उसके सिर के पार जा चुकी थी। यह गोली उसकी आंख के ठीक ऊपर लगी और ओसामा बिन लादेन की जिंदगी खत्म हो गई।
{साभार-नवभारत टाइम्स}

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें