नमस्कार,
आज की इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हम-आप बहुत कुछ पीछे छोड़कर आगे बढ़ते जाते हैं. हम अपने समाज में हो रहे सामजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक बदलावों से या तो अनजान रहते हैं या जानबूझकर अनजान बनने की कोशिश करते हैं. हमारी यह प्रवृत्ति हमारे परिवार, समाज और देश के लिए घातक साबित हो सकती है. अपने इस चिट्ठे (Blog) "समाज की बात - Samaj Ki Baat" में इन्हीं मुद्दों से सम्बंधित विषयों का संकलन करने का प्रयास मैंने किया है. आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत रहेगा...कृष्णधर शर्मा - 9479265757

शनिवार, 16 जुलाई 2011

बापू उनका

टप-टप चू रहा है पानी

पुराने हो चुके छप्पर में

जगह-जगह हो चुके सुराखों से

दुबके हुए से बैठे हैं

कुछ बच्चे एक कोने में

उन टपकती हुई बूँदों से

अपने को बचाने  का

असफल प्रयत्न करते हुए

साथ ही लगाये यह आशा

कि आता ही होगा बापू उनका 

लेकर कुछ खाने के लिए. 
                                  [कृष्ण धर शर्मा] "1999"

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