सदा हंसते रहो मुस्कुराते रहो
कुछ ना कुछ यूं ही गुनगुनाते रहो
चेहरे पर ये उदासी अच्छी नहीं लगती
जिन्दगी मुझे तो इतनी सस्ती नहीं लगती
मिला है जीवन तो
खुशियों से इसे संवार दो
चार दिन की है जिन्दगी
हँसते हुये गुजार दो.(कृष्ण धर शर्मा,2003)
कुछ ना कुछ यूं ही गुनगुनाते रहो
चेहरे पर ये उदासी अच्छी नहीं लगती
जिन्दगी मुझे तो इतनी सस्ती नहीं लगती
मिला है जीवन तो
खुशियों से इसे संवार दो
चार दिन की है जिन्दगी
हँसते हुये गुजार दो.(कृष्ण धर शर्मा,2003)
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