इरोम शर्मिला !
तुम्हारी तपस्या का फल क्या होगा?तुम्हारा यह सत्याग्रह
कहीं निष्फल तो नहीं हो जायेगा!
यह सोच कर ही
कंपकंपी सी छूट जाती है
क्योंकि जुड़ी हैं तुमसे लाखों ही आशायें
हम सब तुम्हारी तरह तो नहीं हो पा रहे
मगर हमारे लिये तो तुम ही हो
जिसे देखकर हममें कुछ आशायें जागी हैं
डर भी लगता है कि राक्षसों की टोली
जो लगी है तुम्हें विचलित करने में
कहीं भंग ना कर दें तुम्हारी तपस्याऔर टूट ना जायें लाखों ही उम्मीदें
जो दशकों बाद जागी हैं हमारे अंदर
हम तो प्रार्थना करतें हैं
कि हे ईश्वर!
इरोम शर्मिला की रक्षा करना
और उनके इरादों को मजबूती देना
ताकि वह लाखों-करोड़ों आशायें
जो इरोम शर्मिला से जुड़ी हुई हैं
कहीं टूट ना जायें
कहीं बिखर ना जायें. (कृष्ण धर शर्मा,2011)
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