जब इरादा कर ही लिया है
आगे बढ़ने का
तो पीछे मुड़कर देखना छोड़ दो
तोड़ दो सारी जंजीरें
नवयुग से नाता जोड़ लो
तितलियों की तरह सीखो उड़ना
जो स्वछंद विचरण करती हैं
छोड़ कर सारी चिन्तायें जो
उन्मुक्त होकर उड़ती हैं.(कृष्ण धर शर्मा,2000)
आगे बढ़ने का
तो पीछे मुड़कर देखना छोड़ दो
तोड़ दो सारी जंजीरें
नवयुग से नाता जोड़ लो
तितलियों की तरह सीखो उड़ना
जो स्वछंद विचरण करती हैं
छोड़ कर सारी चिन्तायें जो
उन्मुक्त होकर उड़ती हैं.(कृष्ण धर शर्मा,2000)
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